भजन-संहिता 100
धनबाद अऊ महिमा देय बर एक भजन।
हे धरती के जम्मो मनखेमन, यहोवा बर आनंद के मारे चिचियावव।
खुस होके यहोवा के अराधना करव;
आनंद के गीत गावत ओकर आघू म आवव।
ये बात ला जानव कि यहोवा ही परमेसर अय।
ओही ह हमन ला बनाय हवय, अऊ हमन ओकरेच अन*या अपन खुद के नो हन;
हमन ओकर मनखे, ओकर चरागन के भेड़ अन।
 
धनबाद करत ओकर कपाट के भीतर
अऊ परसंसा करत ओकर अंगना म जावव;
ओला धनबाद देवव अऊ ओकर नांव के महिमा करव।
काबरकि यहोवा ह बने अय अऊ ओकर मया हमेसा बने रहिथे;
ओकर बिसवासयोग्यता ह जम्मो पीढ़ी म बने रहिथे।

*भजन-संहिता 100:3 या अपन खुद के नो हन