*इबरानी म 102:1‑28 ला 102:2‑29 गने गे हवय
भजन-संहिता 102
एक दुखित मनखे के पराथना, जऊन ह कमजोर हो गे हवय अऊ यहोवा के आघू म खुलके अपन मन के दुख ला रखत हे।
हे यहोवा, मोर पराथना ला सुन;
मदद बर मोर गोहार ह तोर तक हबरय।
जब मेंह दुखित हंव,
त अपन मुहूं ला मोर ले झन छिपा।
अपन कान ला मोर कोति कर;
जब मेंह पुकारंव, जल्दी से मोला जबाब दे।
 
काबरकि मोर जिनगी के समय ह धुआं के सहीं खतम होवत हे;
मोर हाड़ामन दहकत अंगरा सहीं बरत हें।
मोर हिरदय म रोग लगे हे अऊ कांदी सहीं मुरझा गे हवय;
मेंह अपन जेवन जे बर भुला जाथंव।
अपन पीरा म मेंह जोर-जोर से कलहरत हंव
अऊ सूखके चमड़ी अऊ हाड़ा हो गे हवंव।
मेंह सुन्ना जगह के एक उल्लू अंव,
खंडहर म रहइया एक उल्लू सहीं अंव।
मेंह पड़े-पड़े जागत रहिथंव; मेंह छानी म
अकेला बईठे एक चिरई सहीं हो गे हवंव।
दिन भर मोर बईरीमन मोला ताना मारत रहिथें;
जऊन मन मोला ताना मारथें, ओमन मोर नांव के उपयोग सराप दे बर करथें।
काबरकि राख ला मेंह खाना के रूप म खाथंव
अऊ आंसू ला मिलाके पानी पीथंव
10 येह तोर बड़े कोप के कारन होय हवय,
काबरकि तेंह मोला उठाके अलग फटिक दे हस।
11 मोर उमर ह संझा के ढरत छइहां के सहीं अय;
मेंह कांदी के सहीं अइला जाथंव।
 
12 पर हे यहोवा, तेंह सदाकाल बर बिराजमान हस;
तोर खियाती जम्मो पीढ़ी तक बने रहिथे।
13 तेंह उठबे अऊ सियोन ऊपर दया करबे,
काबरकि येह ओकर ऊपर किरपा करे के समय ए;
ठहिराय गे समय ह आ गे हवय।
14 काबरकि ओकर पथरामन तोर सेवकमन बर मयारू अंय;
ओकर धुर्रा ला ही देखके ओमन के मन म दया के भाव आ जाथे।
15 जाति-जाति के मनखेमन यहोवा के नांव के भय मानहीं,
धरती के जम्मो राजामन तोर महिमा के आघू म मुड़ नवाहीं।
16 काबरकि यहोवा ह सियोन ला फेर बनाही
अऊ अपन महिमा म परगट होही।
17 ओह गरीब-लाचार के पराथना के जबाब दीही;
ओह ओमन के बिनती ला तुछ नइं समझय।
 
18 येला अवइया पीढ़ी के मनखेमन बर लिखे जावय,
ताकि ओ मनखे, जेमन अभी सिरजे नइं गे हवंय, ओमन यहोवा के इस्तुति करंय:
19 “यहोवा ह अपन ऊंच पबितर-स्थान ले खाल्हे देखिस,
स्वरग ले ओह धरती ला देखिस,
20 ताकि कैदीमन के कलहरई ला सुनय
अऊ मिरतू-दंड पाय मनखेमन ला छुड़ावय।”
21 ताकि जब देस-देस अऊ राज-राज के मनखेमन
यहोवा के अराधना करे बर जूरंय,
22 त सियोन म यहोवा के नांव के घोसना
अऊ यरूसलेम म ओकर परसंसा होवय।
 
23 मोर जिनगी के यातरा म, ओह मोर बल ला टोर दीस;
ओह मोर उमर ला घटा दीस।
24 एकरसेति मेंह कहेंव:
“हे मोर परमेसर, मोर जिनगी के बीच म ले मोला झन उठा ले;
तोर जिनगी ह तो जम्मो पीढ़ी तक बने रहिथे।
25 सुरूआत म तेंह धरती के नीव रखे,
अऊ अकास ह तोर हांथ के दुवारा बनाय गे हवय।
26 ओमन तो नास हो जाहीं, पर तेंह बने रहिबे;
ओमन जम्मो पहिरे के कपड़ा के सहीं जुन्ना हो जाहीं।
कपड़ा के सहीं तेंह ओमन ला बदल देबे
अऊ ओमन तियाग दिये जाहीं।
27 पर तेंह वइसनेच के वइसने रहिथस,
अऊ तोर उमर ह कभू खतम नइं होवय।
28 तोर सेवक के लइकामन तोर आघू म रहिहीं;
ओमन के संतान तोर आघू म स्थापित करे जाहीं।”

*^ इबरानी म 102:1‑28 ला 102:2‑29 गने गे हवय