भजन-संहिता 108
एक गीत। दाऊद के एक भजन।
1 हे परमेसर, मोर मन ह अटल हवय;
मेंह अपन पूरा आतमा ले गीत गाहूं अऊ बाजा बजाहूं।
2 हे बीना अऊ सारंगी, जागव!
मेंह बड़े बिहनियां ला जगाहूं।
3 हे यहोवा, मेंह जाति-जाति के मनखेमन के बीच म तोर परसंसा करहूं;
मेंह मनखेमन के बीच म तोर गीत गाहूं।
4 काबरकि तोर मया ह अतेक महान ए कि ओह स्वरग ले घलो ऊंच हवय;
तोर बिसवासयोग्यता ह अकास तक हबरत हवय।
5 हे परमेसर, तोर महिमा ह स्वरगमन ले घलो ऊपर होवय;
तोर महिमा ह जम्मो धरती ऊपर होवय।
6 अपन जेवनी हांथ उठाके हमन ला बचा अऊ हमर मदद कर,
ताकि जऊन मन तोर ले मया करथें, ओमन छोंड़ाय जावंय।
7 परमेसर ह अपन पबितर-स्थान ले कहे हवय:
“जीत के खुसी म, मेंह सकेम ला बांट दूहूं
अऊ सुक्कोत के घाटी ला नापहूं।
8 गिलाद ह मोर ए, मनस्से ह घलो मोर ए;
एपरैम ह मोर मुड़ के टोप ए,
यहूदा ह मोर राजदंड ए।
9 मोआब ह मोर हांथ-मुहूं धोए के बरतन ए,
एदोम ऊपर मेंह अपन पनही ला उछालहूं;
पलिस्ती ऊपर मेंह जीत के खुसी म चिचियाहूं।”
10 कोन ह मोला गढ़वाले सहर म लानही?
कोन ह मोला एदोम देस ले जाही?
11 हे परमेसर, का ये तें नो हस, तें जऊन ह हमन ला अस्वीकार करे हस
अऊ अब हमर सेना के संग नइं जावस?
12 बईरीमन के बिरूध हमर मदद कर,
काबरकि मनखे के दिये मदद ह बेकार ए।
13 परमेसर के मदद ले ही हमन बिजयी होबो,
अऊ ओह हमर बईरीमन ला कुचर दीही।