भजन-संहिता 115
हे यहोवा, हमर नइं, हमर नइं
पर तोर मया अऊ बिसवासयोग्यता के कारन,
तोर नांव के महिमा होवय।
 
जाति-जाति के मनखेमन काबर कहिथें,
“ओमन के परमेसर कहां हवय?”
हमर परमेसर ह स्वरग म हवय;
ओला जऊन काम बने लगथे, ओला ओह करथे।
पर ओमन के मूरतीमन मनखेमन के
हांथ के बनाय सोन अऊ चांदी अंय।
ओमन के मुहूं तो हवय, पर ओमन गोठियाय नइं सकंय,
ओमन के आंखी तो हवय, पर देख नइं सकंय।
ओमन के कान तो हवय, पर सुन नइं सकंय,
नाक तो हवय, पर सुंघ नइं सकंय।
ओमन के हांथ तो हवय, पर ओमन छू नइं सकंय,
गोड़ तो हवय, पर ओमन चल नइं सकंय,
अऊ न ही ओमन अपन गला ले कोनो अवाज निकाल सकंय।
येमन ला बनानेवालामन येमन के सहीं हो जाहीं,
अऊ येमन ऊपर भरोसा रखइया जम्मो झन घलो येमन सहीं हो जाहीं।
 
हे जम्मो इसरायलीमन, यहोवा ऊपर भरोसा रखव—
ओह तुम्हर मददगार अऊ ढाल ए।
10 हे हारून के घराना, यहोवा ऊपर भरोसा रखव—
ओह तुम्हर मददगार अऊ ढाल ए।
11 हे यहोवा के भय माननेवालामन, ओकर ऊपर भरोसा रखव—
ओह तुम्हर मददगार अऊ ढाल ए।
 
12 यहोवा ह हमन ला सुरता करथे अऊ हमन ला आसीस देथे:
ओह अपन मनखे इसरायलीमन ला आसीस दीही,
ओह हारून के घराना ला आसीस दीही,
13 यहोवा ह छोटे अऊ बड़े ओ जम्मो झन ला आसीस दीही,
जऊन मन ओकर भय मानथें।
 
14 यहोवा ह अइसे करय
कि तुमन अऊ तुम्हर लइकामन दूनों उन्नति करव।
15 यहोवा, जऊन ह स्वरग अऊ धरती के बनइया ए,
तुमन ला आसीस देवय।
 
16 सबले ऊंच स्वरग यहोवा के अय,
पर धरती ला ओह मनखेमन ला दे हवय।
17 ये ओ मरे मनखेमन नो हंय या येमन चुप रहइया जगह म खाल्हे जवइया ओ मनखे नो हंय,
जऊन मन यहोवा के परसंसा करथें;
18 पर ये हमन अन, जऊन मन यहोवा के परसंसा करथन,
अब अऊ सदाकाल बर।
 
यहोवा के परसंसा करव।