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स्वरग म सिंघासन
एकर बाद, मेंह स्वरग म एक उघरे कपाट ला देखेंव। अऊ ओ तुरही के सहीं अवाज, जऊन ला मेंह पहिली अपन ले गोठियावत सुने रहेंव, मोला कहिस, “इहां ऊपर आ, अऊ मेंह तोला देखाहूं कि एकर बाद का होवइया हवय।” मेंह तुरते पबितर आतमा ले भर गेंव अऊ देखेंव कि स्वरग म एक सिंघासन रखे हवय अऊ ओमा एक झन बईठे रहय। अऊ जऊन ह ओमा बईठे रहय, ओकर रूप ह मानिक्य अऊ यसब सहीं रहय अऊ सिंघासन के चारों कोति एक मेघ-धनुस रहय, जऊन ह पन्ना सहीं दिखय। ओ सिंघासन के चारों कोति अऊ चौबीस ठन सिंघासन रहंय, जेमा चौबीस झन धरम अगुवामन बईठे रहंय। ओमन सफेद कपड़ा पहिरे रहंय अऊ ओमन के मुड़ म सोन के मुकुट रहय। ओ सिंघासन म ले बिजली, गड़गड़ाहट के अवाज अऊ बादर के गरजन निकलत रहय। अऊ ओ सिंघासन के आघू म सात ठन मसाल बरत रहंय, जऊन मन परमेसर के सात आतमा अंय। ओ सिंघासन के आघू म कांच के समुंदर सहीं घलो कुछू रहय, जेकर आर-पार जम्मो चीज साफ-साफ दिखय।
सिंघासन के चारों कोति, एकर चारों किनारा म चार जीयत परानी रहंय, जेमन के आघू अऊ पाछू म आंखीच आंखी रहय। पहिली जीयत परानी ह सिंह के सहीं रहय; दूसरा परानी ह बईला सहीं; तीसरा परानी के चेहरा ह मनखे सहीं रहय अऊ चौथा परानी ह उड़त गिधवा सहीं रहय। चारों जीयत परानीमन ले हर एक के छै-छै ठन डेना रहय अऊ ओमन जम्मो अंग, डेना के भीतर घलो आंखीमन ले भरे रहंय। रात अऊ दिन, ओमन लगातार ये कहत रहंय:
“ ‘सर्वसक्तिमान परभू परमेसर ह
पबितर, पबितर, पबितर ए,’*यसा 6:3
जऊन ह रिहिस, जऊन ह हवय अऊ जऊन ह अवइया हवय।”
जब-जब ओ जीयत परानीमन ओकर महिमा, आदर अऊ धनबाद करंय, जऊन ह सिंघासन म बिराजे रहय अऊ जुग-जुग ले जीयत हवय, 10 तब-तब ओ चौबीस धरम अगुवामन ओकर आघू म माड़ी टेकंय, जऊन ह सिंघासन म बिराजे रहय, अऊ ओकर अराधना करंय, जऊन ह जुग-जुग ले जीयत हवय। ओमन अपन-अपन मुकुट ला सिंघासन के आघू म मढ़ाके ये कहंय:
11 “हमर परभू अऊ परमेसर!
तेंह महिमा, आदर अऊ सामर्थ पाय के काबिल अस,
काबरकि तेंह जम्मो चीज ला बनाय हवस,
अऊ तोर ईछा के दुवारा ओमन बनाय गीन
अऊ ओमन के असतित्व हवय।”

*4:8 यसा 6:3