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इसरायल के 1,44,000 मनखेमन ऊपर मुहर
1 एकर बाद मेंह धरती के चारों कोना म चार स्वरगदूतमन ला ठाढ़े देखेंव। ओमन धरती के चारों दिग के हवा ला थामे रिहिन, ताकि धरती या समुंदर या रूख ऊपर हवा झन चलय। 2 तब मेंह एक अऊ स्वरगदूत ला पूरब दिग ले आवत देखेंव। ओह जीयत परमेसर के मुहर ला धरे रहय। ओह ओ चारों स्वरगदूत ले, जऊन मन ला धरती अऊ समुंदर के नुकसान करे के अधिकार दिये गे रिहिस, पुकारके कहिस, 3 “जब तक हमन अपन परमेसर के सेवकमन के माथा म मुहर नइं लगा लेवन, तब तक धरती या समुंदर या रूखमन के नुकसान झन करव।” 4 तब मेंह मुहर लगे मनखेमन के गनती ला सुनेंव। येमन इसरायल के जम्मो गोत्र म ले 1,44,000 रिहिन।
5 यहूदा के गोत्र के 12,000;
रूबेन के गोत्र के 12,000;
गाद के गोत्र के 12,000;
6 आसेर के गोत्र के 12,000;
नपताली के गोत्र के 12,000;
मनस्से के गोत्र के 12,000;
7 सिमोन के गोत्र के 12,000;
लेवी के गोत्र के 12,000;
इस्साकार के गोत्र के 12,000;
8 जबूलून के गोत्र के 12,000;
यूसुफ के गोत्र के 12,000;
अऊ बिनयामीन के गोत्र के 12,000 मनखेमन म मुहर लगिस।
सफेद कपड़ा पहिरे मनखेमन के बड़े भीड़
9 एकर बाद मेंह जम्मो देस, गोत्र, जाति अऊ भासा के मनखेमन के एक बड़े भीड़ ला देखेंव, जेकर गनती कोनो नइं कर सकत रिहिन। ओमन सफेद ओनहा पहिरे अऊ हांथ म खजूर के डालीमन ला धरके सिंघासन अऊ मेढ़ा-पीला के आघू म ठाढ़े रिहिन। 10 अऊ ओमन ऊंचहा अवाज म चिचियाके कहत रिहिन:
“सिंघासन म बिराजे
हमर परमेसर
अऊ मेढ़ा-पीला के दुवारा उद्धार होथे।”
11 सिंघासन, अगुवा अऊ चारों जीयत परानी के चारों कोति जम्मो स्वरगदूतमन ठाढ़े रहंय। ओमन सिंघासन के आघू म मुहूं के भार गिरिन अऊ ये कहत परमेसर के अराधना करिन:
12 “आमीन!
हमर परमेसर के इस्तुति, महिमा
बुद्धि, धनबाद, आदर
सामर्थ अऊ बल
जुग-जुग तक होवय।
आमीन!”
13 तब अगुवामन ले एक झन मोर ले पुछिस, “जऊन मन सफेद ओनहा पहिरे हवंय, ओमन कोन अंय, अऊ ओमन कहां ले आय हवंय?”
14 मेंह कहेंव, “हे महाराज, तेंह जानथस।”
अऊ ओह कहिस, “येमन ओ मनखे अंय, जऊन मन भारी सतावा म ले होके आय हवंय। येमन मेढ़ा-पीला के लहू म अपन ओनहा ला धोके सफेद कर ले हवंय। 15 एकरसेति,
“येमन परमेसर के सिंघासन के आघू म ठाढ़े हवंय
अऊ रात-दिन परमेसर के सेवा ओकर मंदिर म करथें;
अऊ जऊन ह सिंघासन म बिराजे हवय,
ओह ओमन के संग रहिके ओमन के रकछा करही।
16 ‘येमन ला न तो कभू भूख लगही,
अऊ न कभू पीयास।
सूरज के घाम ह येमन के कुछू नइं कर सकय,’*यसा 49:10
अऊ तीपत गरमी के कुछू असर येमन ऊपर नइं होवय।
17 काबरकि जऊन मेढ़ा-पीला ह सिंघासन के मांझा म हवय,
ओह ओमन के चरवाहा होही;
‘ओह ओमन ला जिनगी के पानी के सोतामन करा ले जाही।’
‘अऊ परमेसर ह ओमन के आंखी के जम्मो आंसू ला पोंछही।’†यसा 25:8”