18
बेबिलोन सहर के बिनास
1 एकर बाद मेंह एक अऊ स्वरगदूत ला स्वरग ले उतरत देखेंव। ओकर करा बड़े अधिकार रिहिस अऊ धरती ह ओकर सोभा ले जगमगा गीस। 2 ओह ऊंचहा अवाज म चिचियाके कहिस:
“ ‘गिर परिस! बड़े सहर बेबिलोन ह गिर परिस!’*यसा 21:9
ओह परेत आतमामन के, जम्मो असुध आतमामन के,
जम्मो असुध चिरईमन के,
जम्मो असुध अऊ घिनौना पसुमन के
डेरा हो गे हवय।
3 काबरकि जम्मो देस के मनखेमन
ओकर छिनारीपन के पागल करइया मंद ला पीये हवंय।
धरती के राजामन ओकर संग छिनारी करिन,
अऊ धरती के बेपारीमन ओकर बिलासिता के धन ले धनवान हो गे हवंय।”
बेबिलोन के सजा ले बचे के चेतउनी
4 तब मेंह स्वरग ले एक अऊ अवाज सुनेंव, जऊन ह ये कहत रहय:
“ ‘हे मोर मनखेमन, ओ सहर म ले निकल आवव,’†यर 51:45
ताकि तुमन ओकर पाप के भागी झन होवव,
अऊ ओकर कोनो बिपत्ति तुम्हर ऊपर झन पड़य;
5 काबरकि ओकर पाप के घघरी ह भर गे हवय,
अऊ परमेसर ह ओकर अपराधमन ला सुरता करे हवय।
6 ओकर संग वइसने करव, जइसने ओह तुम्हर संग करे हवय;
ओकर कुकरम के दू गुना बदला चुकावव।
जऊन कटोरा म ओह भरे हवय, ओ कटोरा म ओकर बर दू गुना भर देवव।
7 ओह जतेक डींग मारे हवय अऊ जतेक भोग-बिलास करे हवय,
ओला ओतेक दुख अऊ तकलीफ देवव।
ओह अपन मन म घमंड करके कहिथे,
‘मेंह रानी सहीं बईठथंव।
मेंह बिधवा नो हंव;‡देखव यसा 47:7, 8
अऊ मेंह कभू दुख नइं मनाहूं।’
8 एकरसेति एकेच दिन म ओकर ऊपर मिरतू,
सोक अऊ दुकाल के बिपत्ति आ पड़ही।
ओह आगी म भसम हो जाही,
काबरकि जऊन ह ओकर नियाय करथे, ओह सक्तिमान परभू परमेसर ए।
9 “धरती के जऊन राजामन ओकर संग छिनारी अऊ भोग-बिलास करिन, ओमन जब ओकर जरे के धुआं ला देखहीं, त ओमन रोहीं अऊ ओकर बर सोक मनाहीं। 10 ओमन ओकर पीरा ले डरके दूरिहा म ठाढ़ होहीं अऊ ये कहिहीं,
“ ‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय!
हे बेबिलोन, सक्तिसाली सहर!
एकेच घंटा म तोला तोर दंड मिल गीस!’
11 “धरती के बेपारीमन ओकर बर रोहीं अऊ कलपहीं, काबरकि अब कोनो ओमन के ये मालमन ला नइं बिसाही— 12 पानी जहाज म लदे सोन, चांदी, कीमती पथरा, मोती; सुघर मलमल, बैंगनी, रेसमी अऊ सिन्दूरी लाल कपड़ा; जम्मो किसम के महकत कठवा, अऊ हाथी-दांत, कीमती कठवा, कांसा, लोहा अऊ संगमरमर के बने जम्मो किसम के चीज; 13 पानी जहाज म लदे दालचीनी, मसाला, धूप, इतर, लोबान, अंगूर के मंद, जैतून के तेल, सुघर पीसान अऊ गहूं; पसु-धन अऊ भेड़; घोड़ा अऊ रथ; अऊ गुलाम के रूप म बेचे गय मनखेमन।
14 “बेपारीमन कहिहीं, ‘जऊन फर के लालसा तेंह करत रहय, ओह तोर ले दूरिहा हो गे हवय। तोर जम्मो धन-संपत्ति अऊ तड़क-भड़क खतम हो गीस, अऊ ओह तोला फेर कभू नइं मिलय।’ 15 जऊन बेपारीमन ये चीजमन ला बेचके बेबिलोन सहर ले धन कमाय रिहिन, ओमन ओकर पीरा ले डरके दूरिहा म ठाढ़ होहीं। ओमन रोहीं अऊ सोक मनाहीं 16 अऊ कलपत ये कहिहीं:
“ ‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय!
तेंह सुघर मलमल, बैंगनी अऊ सिन्दूरी लाल कपड़ा पहिरे रहय,
अऊ सोन, कीमती पथरा अऊ मोती ले सजे रहय!
17 एकेच घंटा म ये जम्मो धन ह नास हो गीस!’
“पानी जहाज के हर कप्तान, पानी जहाज म हर यातरा करइया, हर डोंगा खेवइया अऊ हर ओ मनखे, जऊन ह समुंदर ले अपन जिनगी चलाथे, ये जम्मो के जम्मो दूरिहा म ठाढ़े रहिहीं। 18 जब ओमन ओकर जरे के धुआं ला देखहीं, त ओमन चिचियाके कहिहीं, ‘का ये महान सहर सहीं कभू कोनो सहर रिहिस?’ 19 ओमन अपन मुड़ ऊपर धुर्रा ला डारहीं, अऊ रोवत अऊ कलपत ओमन चिचिया-चिचियाके कहिहीं:
“ ‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय!
येह ओ सहर ए,
जेकर धन के जरिये समुंदर के जम्मो जहाज के मालिकमन धनी हो गीन!
एकेच घंटा म, ओह नास हो गीस!’
20 “हे स्वरग म रहइयामन, ओकर ऊपर आनंद मनावव!
हे पबितर मनखेमन आनंद मनावव!
हे प्रेरित अऊ अगमजानीमन, आनंद मनावव!
काबरकि ओह तुम्हर संग जइसने बरताव करे रिहिस,
परमेसर ह ओला ओकर सजा दे हवय।”
बेबिलोन के दंड के आखिरी स्थिति
21 तब एक सक्तिसाली स्वरगदूत ह चक्की के एक बड़े पाट सहीं पथरा ला उठाईस अऊ ये कहत ओला समुंदर म फटिक दीस:
“महान सहर बेबिलोन ह
अइसने बेरहमी ले फटिक दिये जाही,
अऊ ओकर फेर कभू पता नइं चलही।
22 बीना बजइया अऊ संगीतकार, बांसुरी बजइया अऊ तुरही बजइयामन के संगीत के अवाज,
ये सहर म फेर कभू सुनई नइं पड़ही।
कोनो काम के कोनो घलो कारीगर,
ये सहर म फेर कभू नइं मिलही।
जांता चले के अवाज,
ये सहर म फेर कभू सुनई नइं पड़ही।
23 दीया के अंजोर,
ये सहर म फेर कभू नइं चमकही।
दूल्हा अऊ दुलहिन के अवाज,
ये सहर म फेर कभू सुनई नइं पड़ही।
ये सहर के बेपारीमन संसार के खास मनखे रिहिन।
ये सहर ह अपन जादू के दुवारा जम्मो देस के मनखेमन ला बहकाय रिहिस।
24 ये सहर म अगमजानी अऊ परमेसर के पबितर मनखेमन के लहू पाय गीस,
अऊ धरती ऊपर जऊन मनखेमन मार डारे गीन, ओ जम्मो के लहू ये सहर म पाय गीस।”