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उतावली म मन्नत नहीं माननो
1 जब तय परमेश्वर को भवन म जाये, तब सावधानी सी चलजो; सुनन लायी जवर जाजो मूर्खों को बलिदान चढ़ानो सी अच्छो हय; कहालीकि हि नहीं जानय कि बुरो करय हंय। 2 बाते करन लायी उतावली मत करजो, अऊर न अपनो मन सी कोयी बात उतावली म परमेश्वर को आगु निकालजो, कहालीकि परमेश्वर स्वर्ग म हय अऊर तय धरती पर हय; येकोलायी तोरो वचन थोड़ोच हो। 3 कहालीकि जसो काम की अधिकता को वजह सपनो देख्यो जावय हय, वसोच बहुत सी बातों को बोलन वालो मूर्ख ठह्यरय हय। 4 ✡5:4 भजन ६६:१३,१४जब तय परमेश्वर लायी मन्नत मानजो, तब ओको पूरो करनो म देरी मत करजो; कहालीकि ऊ मूर्खों सी प्रसन्न नहीं होवय। जो मन्नत तय न मानी हय ओख पूरी करजो। 5 मन्नत मान क पूरी नहीं करनो सी मन्नत को नहीं माननोच अच्छो हय। 6 कोयी वचन कह्य क अपनो ख पाप म न फसाजो, अऊर न ईश्वर को दूत को आगु कह्यजो कि यो भूल सी भयो; परमेश्वर कहाली तोरी आवाज सुन क अप्रसन्न हो, अऊर तोरो हाथ को कार्यों ख नाश करे? 7 कहालीकि सपनो की अधिकता सी बेकार बातों की बढ़ायी होवय हय : पर तय परमेश्वर को डर मानजो।
जीवन बेकार हय
8 यदि तय कोयी प्रदेश म गरीबों पर अत्याचार अऊर न्याय अऊर धर्म ख बिगड़तो देखजो, त येको सी चकित मत होजो; कहालीकि एक अधिकारी सी बड़ो दूसरो रह्य हय जेख इन बातों की सुधि रह्य हय, अऊर उन्को सी भी ज्यादा बड़ो रह्य हय। 9 जमीन की उपज सब लायी हय, बल्की खेती सी राजा को भी काम निकलय हय। 10 जो रुपया सी प्रेम रखय हय ऊ रुपया सी कभी सन्तुष्ट नहीं होयेंन; अऊर न जो बहुत धन सी प्रेम रखय हय, लाभ सी : यो भी बेकार हय। 11 जब सम्पत्ति बढ़य हय, त ओको खान वालो भी बढ़य हय, तब ओको स्वामी ख येख छोड़ अऊर का लाभ होवय हय कि वा सम्पत्ति ख अपनी आंखी सी देखे? 12 परिश्रम करन वालो चाहे थोड़ो खाये या बहुत, तब भी ओकी नींद सुख चैन सी होवय हय; पर धनी को धन बढ़न को वजह ओख नींद नहीं आवय। 13 मय न धरती पर एक बड़ी बुरी बला देखी हय, मतलब ऊ धन जेख ओको मालिक न अपनोच नुकसान लायी रख्यो होना, 14 अऊर ऊ कोयी बुरो काम म उड़ जावय हय, अऊर यदि ओको घर म टुरा पैदा होवय हय त ओको हाथ म कयी भी नहीं बचय। 15 ✡5:15 अय्यूब १:२१; भजन ४९:१७; १ तीमुथियुस 6:7जसो ऊ अपनी माय को पेट सी निकल्यो वसोच नंगा लौट जायेंन; जसो आयो होतो, अऊर अपनो हाथ म अपनो मेहनत को फल नहीं लिजाय सकेंन। 16 या भी एक बड़ी बला हय कि जसो ऊ आयो, ठीक वसोच ऊ जायेंन; ओख ऊ बेकार मेहनत सी अऊर का लाभ हय? 17 केवल येको कि ओन जीवन भर बेचैनी सी जेवन करयो, अऊर बहुतच दु:खित अऊर रोगी रह्यो अऊर गुस्सा भी करतो रह्यो? 18 सुन, जो भली बात मय न देखी हय, बल्की जो उचित हय, ऊ यो कि आदमी खाये अऊर पीये अऊर अपनी मेहनत सी जो ऊ धरती पर करय हय, अपनी पूरी उमर भर जो परमेश्वर न ओख दियो हय, सुखी रहे; कहालीकि ओको भाग योच हय। 19 बल्की हर एक आदमी जेख परमेश्वर न धन सम्पत्ति दी होना, अऊर उन्को सी आनन्द भोगन अऊर ओको म सी अपनो भाग लेन अऊर मेहनत करतो हुयो आनन्द करन की शक्ति भी दी हय : यो परमेश्वर को वरदान हय। 20 आदमी अपनो पूरो जीवन ख हमेशा लायी याद नहीं रखेंन, कहालीकि परमेश्वर ऊ आदमी ख उन कामों मच लगायो रखय हय, जिन कामों ख करनो म ऊ आदमी इच्छा रखय हय।