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दासों को संग बर्ताव
(व्यवस्थाविवरन १५:१२-१८)
“फिर जो नियम तोख उन्को समझानो हंय हि यो आय, जब तुम कोयी इब्री दास लेय ले, तब ऊ छय साल तक सेवा करतो रहेंन, पर सातवों साल बिना कीमत चुकाये स्वतंत्र होय क जाय सकेंन। यदि ऊ बिना शादी को आयो हय, त ऊ बिना शादी कोच चली जाये; अऊर पत्नी संग आयो हय, त पत्नी को संग चली जाये। 21:4 लैव्यव्यवस्था २५:४४यदि ओको मालिक न ओको लायी पत्नी बनाय दियो हय, अऊर ओको सी ओको संतान भयी हय, त ओकी पत्नी अऊर बच्चा ओको स्वामी कोच रहेंन, अऊर ऊ अकेलो जाय सकेंन। पर यदि ऊ दास दृढ़ता सी कहेंन, ‘मय अपनो स्वामी, अऊर अपनी पत्नी, अऊर बच्चा सी प्रेम रखू हय, येकोलायी मय स्वतंत्र होय क नहीं जाऊं;’ त ओको मालिक ओख न्याय करन वालो को आगु लिजाय क; फिर ओख दरवाजा को चौखट जवर लिजाय क बारीक सुजा सी ओको कान छेदेंन; तब ऊ अपनो मालिक की हमेशा सेवा करेंन।”
“यदि कोयी अपनी टुरी ख दासी होन लायी बेच डाले, त ऊ दासी होन को वजह आदमी-दासों को जसो स्वतंत्र होय क बाहेर नहीं जाय सकेंन। यदि वा अपनो मालिक ओख अपनी पत्नी बनाये, अऊर फिर ओख सी खुश नहीं रह्य, त वापस ओको बाप ख दाम सी छुड़ायी जान दे; पर ओको विश्वास घात करन को बाद ओख विदेशी लोगों को हाथ बेचन को ओको अधिकार नहीं रहेंन। यदि ओन अपनो बेटा लायी चुन्यो हय, त बेटी जसो व्यवहार करो। 10 यदि ऊ दूसरी सी बिहाव कर ले, तब ऊ पहिली पत्नी ख खाना, कपड़ा, की कमी नहीं होन दे, अऊर कोयी सुख सी दूर नहीं रखे। 11 अऊर यदि ऊ इन तीन बातों म कमी करेंन, त वा बाई बिना दाम चुकायो स्वतंत्र होय जायेंन।”
हिंसक कार्यो सी सम्बन्धित नियम
12 21:12 लैव्यव्यवस्था २४:१७“जो कोयी आदमी ख असो मारयो कि ऊ मर जाये, त ऊ भी निश्चय ओख मार डाल्यो जाये। 13 21:13 व्यवस्थाविवरन ४:५यदि ओकी मारन की मंसा नहीं होती पर अचानक सी परमेश्वर की इच्छा सी ऊ ओको हाथ सी मर गयो, त असो मारन वालो को भगन लायी मय एक जागा ठहराऊं जित ऊ भग जाये। 14 21:14 १ राजा २:२८पर यदि कोयी जान बूझ क कोयी ख छल सी मार डाले, त ओको मार डालन लायी मोरी वेदी को जवर सी भी अलग ले जाजो।”
15 “जो अपनो माय-बाप ख मारय हय, ओख निश्चय मार डाल्यो जायेंन।”
16 21:16 व्यवस्थाविवरन २४:७“जो कोयी आदमी ख अपहरन करय, ओख बिकय यां ओको जवर मिलय त ऊ भी निश्चय मार डाल्यो जाये।”
17 21:17 लैव्यव्यवस्था २०:9; मत्ती १५:४“जो कोयी अपनो माय-बाप ख श्राप दे ऊ भी निश्चय मार डाल्यो जायेंन।”
18 “यदि आदमी झगड़य हय, अऊर एक दूसरो ख गोटा या घूसा सी असो मारे कि ऊ मरयो नहीं पर बीस्तर पर पड़्यो रहो, 19 त जब उठ क फिर लाठी को सहारा चलन फिरन लगेंन, तब ऊ मारन वालो निर्दोष ठहरेंन; उच दशा म ऊ ओको पड़्यो रहन को समय की हानि भर दे, अऊर ओख ठीक भी कराय देंन।”
20 “यदि कोयी अपनो दास यां दासी ख लाठी सी असो मारयो कि ऊ ओको मारन सी मर जाये, तब ओख निश्चय सजा दियो जाये। 21 पर यदि ऊ एक दोय दिन जीन्दो रहेंन, त ओको स्वामी ख सजा नहीं दियो जाये; कहालीकि ऊ दास ओको धन हय।
22 “यदि कोयी आदमी मार पीट करतो समय ओको धक्का कोयी गर्भवती बाई ख लगन सी ओको गर्भ गिर जाये, पर अऊर कुछ नुकसान नहीं होय, त मारन वालो सी ऊ बाई को पति जो भी मांग करय उतनो दण्ड की रकम दियो जाये जितनो पन्च निश्चित करेंन। 23 पर यदि मार-पीट म कुछ हानि पहुंच्यो, त जीव को बदला जीव देनो पड़ेंन, 24 21:24 लैव्यव्यवस्था २४:१९,२०; व्यवस्थाविवरन १९:२१; मत्ती ५:३८अऊर तुम आंखी को बदला आंखी को, अऊर दात को बदला दात को, अऊर हाथ को बदला हाथ, अऊर पाय को बदला पाय लेवो, 25 अऊर दाग को बदला दाग, अऊर घाव को बदला घाव, अऊर मार को बदला मार की सजा आय।”
26 “जब कोयी अपनो दास यां दासी की आंखी पर असो मारयो कि फूट जाये, त ऊ ओकी आंखी को बदला ओख स्वतंत्र कर क् जान देजो। 27 अऊर यदि ऊ अपनो दास या दासी ख मार क् ओको दात तोड़ डालेंन, त ऊ ओको दात को बदला ओख स्वतंत्र कर क् जान देयेंन।”
मालिक की जवाबदारी
28 “यदि बईल कोयी आदमी यां बाई ख असो सींग मारे कि ऊ मर जाये, त ऊ बईल निश्चय गोटा सी मार डाल्यो जाये, अऊर ओको मांस खायो नहीं जाये; पर बईल को मालिक निर्दोष ठहरेंन। 29 पर यदि बईल कि पहिलो सीच सींग मारन की आदत पड़्यो हय, अऊर ओको मालिक न पहिलो सी बतावन को बाद भी ओख नहीं बान्ध्यो हय, अऊर ऊ कोयी आदमी यां बाई ख मार डालय, तब त बईल ख गोटा सी मार डाल्यो जाये, अऊर ओको मालिक भी मारयो डाल्यो जाये।” 30 पर बदला म धन दे क बईल को मालिक ख छोड़ सकय हय। ओख उतनोच धन देनो पड़ेंन। जितनो जान की छुड़ौती लायी ठहरायो जायेंन। 31 यदि चाहे बईल न कोयी टुरा यां टुरी ख मारयो हय, तब भी येको नियम को अनुसार ओको मालिक को संग व्यवहार करयो जाये। 32 यदि बईल न कोयी दास यां दासी ख सींग मारयो हय, त बईल को मालिक ऊ दास को मालिक ख चांदी को तीस सिक्का दे, अऊर बईल ख गोटा मार कर मार डालो।
33 “यदि कोयी आदमी न गड्डा खोल क या खोद क ओख नहीं झाक्यो, अऊर ओख म कोयी को बईल यां गधा गिर जाये, 34 त जेको ऊ गड्डा आय ऊ ओको नुकसान ख भर दे; ऊ जनावर को मालिक ख ओको कीमत भर देंन, अऊर मरयो हुयो जनावर गड्डा वालो को होयेंन।”
35 यदि कोयी को बईल कोयी दूसरों को बईल ख असो मारे कि ऊ मर जाये, त हि दोयी आदमी जीन्दो बईल ख बेच क ओकी कीमत आपस म अरधो अरधो बाट ले; अऊर मरयो हुयो पशु को शव ख भी वसोच बाट ले। 36 यदि यो मालूम पड़े कि ऊ बईल की पहिलो सी सींग मारन की आदत होती, पर ओको मालिक न ओख बान्ध क् नहीं रख्यो, त निश्चय ऊ बईल को बदला बईल भर दे, पर मरयो शव ओकोच ठहरेंन।

21:4 21:4 लैव्यव्यवस्था २५:४४

21:12 21:12 लैव्यव्यवस्था २४:१७

21:13 21:13 व्यवस्थाविवरन ४:५

21:14 21:14 १ राजा २:२८

21:16 21:16 व्यवस्थाविवरन २४:७

21:17 21:17 लैव्यव्यवस्था २०:9; मत्ती १५:४

21:24 21:24 लैव्यव्यवस्था २४:१९,२०; व्यवस्थाविवरन १९:२१; मत्ती ५:३८