23
न्याय अऊर निष्पक्षता
1 ✡23:1 निर्गमन २०:१६; लैव्यव्यवस्था १९:११,१२“झूठी बात मत फैलावो। अऊर झूठी गवाही दे क अन्यायी लोगों को साथ मत देजो। 2 बुरायी करन लायी बहुतों को पीछू मत पड़जो; अऊर न उन्को पीछू फिर क् मुकद्दमा म न्याय बिगाड़न लायी गवाही देजो; 3 ✡23:3 लैव्यव्यवस्था १९:१५अऊर गरीब को मुकद्दमा म ओको भी पक्ष मत लेजो।
4 “फिर यदि तोरो दुश्मन को बईल यां गधा भटकतो हुयो तोख मिलेंन, त ओख ओको जवर जरूर वापस ले आजो। 5 ✡23:5 व्यवस्थाविवरन २२:१-४फिर यदि तय अपनो दुश्मन को गधा ख बोझ को मारे दब्यो हुयो देखो, तब भी जरूर मालिक की मदत कर क् ओख छुड़ाय लेजो करजो।
6 ✡23:6 व्यवस्थाविवरन ६:१९“तोरो लोगों म सी जो गरीब हय ओको मुकद्दमा म न्याय मत बिगाड़जो 7 झूठो मुकद्दमा सी दूर रहजो, अऊर निर्दोष अऊर सच्चो ख घात मत करजो, कहालीकि मय बुरो ख निर्दोष नहीं ठहराऊं, 8 तय घुस नहीं लेजो, कहालीकि घुस आदमी ख सच सी अन्धो कर देवय अऊर सच्चो की न्याय बिगाड़ देवय हय।
9 ✡23:9 निर्गमन २२:२१; लैव्यव्यवस्था १९:३३,३४“परदेशी पर जुलूम मत करजो; तुम त परदेशी को मन की बात जानय हय, कहालीकि तुम भी मिस्र देश म परदेशी होतो।
सातवों साल अऊर सातवों दिन
10 ✡23:10 लैव्यव्यवस्था २५:३“छय साल तक अपनी जमीन म बीज बोवो अऊर ओकी फसल जमा करजो; 11 ✡23:11 लैव्यव्यवस्था २५:१-७पर सातवों साल म ओख खाली रहन देजो अऊर वसोच छोड़ देजो, त गरीब लोग अऊर जो कुछ उन्को सी भी बच जायेंन त जंगली जनावर ख खान को काम म आये। अपनी अंगूर अऊर जैतून की बाड़ी सी भी असोच करजो। 12 ✡23:12 लैव्यव्यवस्था २३:३; व्यवस्थाविवरन ५:१३,१४छय दिन तक अपनो काम काज करजो, अऊर सातवों दिन आराम करजो ताकि तोरो बईल अऊर गधा सुस्तायेंन, अऊर तोरी सेविका को टुरा अऊर परदेशी ख भी आराम मिल सकेंन। 13 जो कुछ मय न तुम सी कह्यो हय ओको पालन करजो; अऊर अन्य देवतावों की नाम की चर्चा भी मत करजो, बल्की हि तुम्हरो मुंह सी सुनायी भी नहीं दे।
तीन मुख्य त्यौहार
(निर्गमन ३४:१८-२६; व्यवस्थाविवरन १६:१-१७)
14 “हर साल तीन बार मोरो लायी त्यौहार मानजो। 15 ✡23:15 लैव्यव्यवस्था २३:६-८; गिनती २८:१७-२५पहिलो पवित्र त्यौहार अखमीरी रोटी को त्यौहार मनायजो; ओको म मोरी आज्ञा को अनुसार अबीब महीना को नियत समय पर सात दिन तक अखमीरी रोटी खायो करनो, कहालीकि ओको महीना म तुम लोग मिस्र देश सी निकल आये होतो। मोख कोयी खाली हाथ अपनो मुंह नहीं दिखाये। 16 ✡23:16 लैव्यव्यवस्था २३:१५-२१,३९-४३; गिनती २८:२६-३१जब तोरी बोयी हुयी खेत की पहिली फसल तैयार होना, तब कटनी को त्यौहार मनायजो। साल को आखरी म जब तय मेहनत की फसल जमा कर क् ढेर लगायजो, तब जमा करन को त्यौहार मनायजो। 17 हर साल तीनों बार तोरो सब लोग प्रभु परमेश्वर ख अपनो मुंह दिखाये।
18 “मोरो जनावर को बलिदान*23:18 कुछ हस्त लेखों म चर्बी लिख्यो गयो हय को खून खमीरी रोटी को संग नहीं चढ़ाजो, अऊर नहीं मोरो त्यौहार को उत्तम बलिदान म सी कुछ सुबेरे तक रहन देजो। 19 ✡23:19 व्यवस्थाविवरन १४:२१; २६:२; निर्गमन ३४:२६अपनो जमीन की पहिली फसल को पहिलो हिस्सा अपनो परमेश्वर यहोवा को भवन म ले आजो। शेरी को बच्चा ओकी माय को दूध म नहीं पकाजो।
वादा अऊर चेतावनी
20 “सुन, मय एक दूत तोरो आगु आगु भेजूं जो रस्ता म तोरी रक्षा करेंन, अऊर जो जागा ख मय न तैयार करयो हय उत तोख पहुंचायेंन। 21 ओको आगु सावधान रहजो, अऊर ओकी मानजो, ओको विरोध मत करजो, कहालीकि ऊ तोरो अपराध माफ नहीं करेंन; येकोलायी कि मोरो नाम ओको म हय। 22 यदि तय सचमुच मोरी आज्ञा मानेंन अऊर जो कुछ मय कहूं ऊ करय, त मय तोरो दुश्मनों को दुश्मन अऊर तोरो बैरियों को बैरी बनूं। 23 जब मोरो दूत आगु चल क तोख एमोरी, हित्ती, परिज्जी, कनानी, हिब्बी, अऊर यबूसी लोगों को यहां पहुंचायेंन, अऊर मय उन्ख सत्यानाश कर डालूं। 24 उन्को देवतावों ख दण्डवत मत करजो, अऊर नहीं उन्की आराधना करजो, अऊर नहीं उन्को सी काम करजो, बल्की उन मूर्तियों को पूरी रीति सी सत्यानाश कर डालजो, अऊर उन लोगों को खम्बा को तुकड़ा तुकड़ा कर देजो। 25 तय अपनो परमेश्वर यहोवा की आराधना करजो, तब ऊ तोरो भोजन अऊर पानी पर आशीष देयेंन, अऊर तोरो बीच म सी रोग दूर करेंन। 26 तोरो देश म नहीं त कोयी को गर्भ गिरेंन अऊर नहीं कोयी बांझ रहेंन; अऊर तोरी उमर को दिन मय पूरो करूं। 27 जितनो लोगों को बीच तय जाजो उन सब को मन म मय अपनो डर पहिले सी असो समाय देऊं कि उन्ख परेशान कर देऊं, अऊर मय तोख सब दुश्मन ख वापस जान लायी विवश कर देऊं। 28 अऊर मय तोरो सी पहिले गंदनल ख भेजूं जो हिब्बी, कनानी, अऊर हित्ती लोगों ख तोरो आगु सी भगाय क दूर कर देयेंन। 29 मय उन्ख तोरो आगु सी एकच साल म नहीं निकालूं, असो नहीं होय कि देश उजाड़ होय जाये, अऊर जंगली जनावर बढ़ क तोरी हानि करेंन। 30 जब तक तय बढ़ क देश पर अपनो अधिकार नहीं कर ले तब तक मय उन्ख तोरो आगु सी थोड़ो थोड़ो कर क् निकालतो रहूं। 31 मय तोरी सीमा लाल समुन्दर सी ले क पलिश्तियों को समुन्दर तक अऊर जंगल सी ले क फरात नदी तक को देश ख तोरो वश म कर देऊं; मय ऊ देश को निवासियों ख भी तोरो वश म कर देऊं, अऊर तय उन्ख अपनो जवर सी निकाल देयेंन। 32 तय नहीं त उन्को सी वाचा बान्धजो अऊर नहीं उन्को देवतावों सी। 33 हि तोरो देश म नहीं रहनो पाये, असो नहीं होय कि हि तोरो सी मोरो खिलाफ पाप करायेंन; यदि तय उन्को देवतावों की आराधना करे त यो तोरो लायी फन्दा बनेंन।”
✡23:1 23:1 निर्गमन २०:१६; लैव्यव्यवस्था १९:११,१२
✡23:3 23:3 लैव्यव्यवस्था १९:१५
✡23:5 23:5 व्यवस्थाविवरन २२:१-४
✡23:6 23:6 व्यवस्थाविवरन ६:१९
✡23:9 23:9 निर्गमन २२:२१; लैव्यव्यवस्था १९:३३,३४
✡23:10 23:10 लैव्यव्यवस्था २५:३
✡23:11 23:11 लैव्यव्यवस्था २५:१-७
✡23:12 23:12 लैव्यव्यवस्था २३:३; व्यवस्थाविवरन ५:१३,१४
✡23:15 23:15 लैव्यव्यवस्था २३:६-८; गिनती २८:१७-२५
✡23:16 23:16 लैव्यव्यवस्था २३:१५-२१,३९-४३; गिनती २८:२६-३१
*23:18 23:18 कुछ हस्त लेखों म चर्बी लिख्यो गयो हय
✡23:19 23:19 व्यवस्थाविवरन १४:२१; २६:२; निर्गमन ३४:२६