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सातवी मुहर
1 जब ओन सातवी मुहर खोली, त स्वर्ग म अरधो तास तक सन्नाटा छाय गयो। 2 तब मय न उन सातों स्वर्गदूतों ख देख्यो जो परमेश्वर को सामने खड़ो रह्य हंय, अऊर उन्ख सात तुरही दी गयी होती।
3 फिर एक स्वर्गदूत सोनो को धूपदान लियो हुयो आयो, अऊर वेदी को जवर खड़ो भयो; अऊर ओख धूप दियो गयो कि सब परमेश्वर को लोगों की प्रार्थनावों को संग सोनो की वा वेदी पर, जो सिंहासन को सामने हय चढ़ाये। 4 ऊ धूप को धुवा परमेश्वर को लोगों की प्रार्थनावों सहित स्वर्गदूत को हाथ सी परमेश्वर को सामने पहुंच गयो। 5 ✡प्रकाशितवाक्य ११:१९; १६:१८फिर स्वर्गदूत न ऊ धूपदान ख पकड़्यो ओख वेदी की आगी भरयो अऊर जमीन पर फेक दियो। ओको पर मेघों की गर्जना अऊर भीषन आवाज अऊर बिजली की चमक अऊर भूईडोल होन लग्यो।
सात तुरही
6 तब हि सातों स्वर्गदूत जिन्को जवर सात तुरही होती उन्ख फूकन ख तैयार भयो।
7 पहिले स्वर्गदूत न तुरही फूकी, अऊर खून सी मिली हुयी गारगोटी अऊर आगी पैदा भयी, अऊर धरती पर खल्लो कुड़ायी गयी। जेकोसी धरती को एक तिहाई भाग जर क भस्म भय गयी, एक तिहाई झाड़ जर गयो, अऊर सब हरी घास भी जल गयी।
8 दूसरों स्वर्गदूत न तुरही फूकी, त मानो आगी को जलतो हुयो एक बड़ो पहाड़ी जसो समुन्दर म फेक दियो गयो हो। येको सी एक तिहाई समुन्दर खून म बदल गयो, 9 अऊर समुन्दर को एक तिहाई जीवजन्तु मर गयो अऊर एक तिहाई जहाजें नाश भय गयो।
10 तीसरो स्वर्गदूत न तुरही फूकी, अऊर एक बड़ो तारा जो मशाल को जसो जलत हुयो स्वर्ग सी टूट्यो, अऊर एक तिहाई नदियों म अऊर झरना को पानी पर जाय पड़्यो। 11 ऊ तारा को नाम कड़वाहट होतो; अऊर एक तिहाई पानी कड़वाहट म बदल गयो, अऊर बहुत सो आदमी ऊ पानी ख पीनो सी बहुत सो लोग मर गयो कहालीकि पानी कड़ू भय गयो होतो।
12 जब चौथो स्वर्गदूत न तुरही फूकी, त एक तिहाई सूरज अऊर संग म एक तिहाई चन्दा अऊर एक तिहाई तारा पर मुसीबत आयी। येकोलायी उन्को एक तिहाई हिस्सा कालो पड़ गयो परिनाम स्वरूप एक तिहाई दिन तथा एक तिहाई रात अन्धारो म डुब गयो।
13 जब मय न फिर देख्यो, त आसमान को बीच म एक गरूड़ ख उड़तो अऊर ऊचो आवाज सी यो कहतो सुन्यो, “उन तीन स्वर्गदूतों की तुरही को आवाज को वजह, जिन्को फूकनो अभी बाकी हय, धरती को रहन वालो पर कष्ट हो, कष्ट हो, कष्ट हो!”