13
“अपना केँ सुधारू!”
1 आब हम तेसर बेर अहाँ सभक ओतऽ आबि रहल छी। धर्मशास्त्रक नियमक अनुसार, “प्रत्येक बातक पुष्टि दू वा तीन गवाहक गवाही पर कयल जायत।”*13:1 व्यव 19:15 2 हम जखन दोसर बेर अहाँ सभक ओतऽ छलहुँ तहिए अहाँ सभ केँ कहलहुँ आ आब जखन अहाँ सभ सँ दूर छी तँ ओहि सभ लोक केँ जे सभ पाप कयलक और आनो लोक सभ केँ फेर कहि दैत छी जे, हम जखन घूमि कऽ आयब तँ ककरो छोड़ब नहि। 3 अहाँ सभ तँ चाहितो छी जे हम एहि बातक प्रमाण दी जे मसीह हमरा द्वारा बजैत छथि। मसीह अहाँ सभक संग जे व्यवहार करैत छथि ताहि मे ओ दुर्बल नहि, बल्कि अहाँ सभक बीच सामर्थी छथि। 4 ई बात सत्य अछि जे दुर्बलता मे ओ क्रूस पर चढ़ा कऽ मारल गेलाह, मुदा परमेश्वरक सामर्थ्य सँ ओ आब जीवित छथि। तहिना हमहूँ सभ मसीह मे दुर्बल छी, तैयो अहाँ सभक संग जे हमरा सभक व्यवहार होयत ताहि सँ ई स्पष्ट होयत जे हम सभ मसीहक संग परमेश्वरक सामर्थ्य सँ जीबैत छी।
5 अहाँ सभ अपना केँ परखू जे अहाँ सभक विश्वास पकिया अछि वा नहि। अपना केँ जाँचू। की अहाँ सभ ई नहि जनैत छी जे मसीह यीशु अहाँ सभक बीच मे छथि†13:5 वा, “अहाँ सभ मे छथि”?—जँ अहाँ सभ कसौटी पर खोटा नहि निकललहुँ तँ। 6 हमर आशा अछि जे अहाँ सभ बुझि जायब जे हम सभ खोटा नहि निकललहुँ। 7 हम सभ परमेश्वर सँ प्रार्थना करैत छी जे अहाँ सभ कोनो गलती नहि करी। एहि लेल नहि, जे हम सभ पकिया प्रमाणित होइ, बल्कि एहि लेल जे अहाँ सभ सैह करी जे उचित अछि, भलेही हम सभ खोटा देखाइ दी। 8 कारण, हमरा सभ केँ सत्यक विरोध मे किछु करबाक कोनो अधिकार नहि अछि, हम सभ सत्यक समर्थने करैत छी। 9 किएक तँ जखन हम सभ दुर्बल आ अहाँ सभ सामर्थी होइत छी तखन हमरा सभ केँ आनन्द होइत अछि। हमरा सभक यैह प्रार्थना अछि जे अहाँ सभ मे पूर्ण सुधार होअय। 10 एहि कारणेँ हम अहाँ सभ सँ दूर रहितो एहि बात सभ केँ लिखि रहल छी जाहि सँ जखन हम अहाँ सभक ओतऽ आबी तँ हमरा प्रभु द्वारा देल अधिकारक अनुसार अहाँ सभक संग कठोर व्यवहार नहि करऽ पड़य। किएक तँ हमरा ई अधिकार अहाँ सभ केँ खसयबाक लेल नहि, बल्कि अहाँ सभक आत्मिक निर्माण करबाक लेल भेटल अछि।
नमस्कार आ आशीर्वाद
11 यौ भाइ लोकनि, आब अन्त मे ई जे, आनन्दित रहू, अपना केँ सुधारू, हमर बात सभ पर ध्यान दिअ, आपस मे एक मोनक भऽ कऽ शान्तिपूर्बक रहू। तखन प्रेम आ शान्ति देबऽ वला परमेश्वर अहाँ सभक संग रहताह।
12 पवित्र मोन सँ एक-दोसर केँ सस्नेह नमस्कार करू।‡13:12 अक्षरशः “पवित्र चुम्मा सँ एक-दोसर केँ नमस्कार करू।” 13 परमेश्वरक सभ लोक अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि।
14 प्रभु यीशु मसीहक कृपा, परमेश्वरक प्रेम आ पवित्र आत्माक संगति अहाँ सभ गोटेक संग बनल रहय।