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हननियाह आ सफीराक छल-कपट
हननियाह नामक एक आदमी सेहो, अपना स्‍त्री सफीरा सँ विचार-विमर्श कऽ अपन जमीन बेचलक और स्‍त्रीक सहमति सँ अपना लेल किछु पाइ राखि कऽ बाँकी पाइ आनि मसीह-दूत सभक चरण मे राखि देलक। मुदा पत्रुस कहलथिन, “यौ हननियाह! ई केहन बात भेल जे शैतान अहाँक मोन तेना कऽ वश मे कऽ लेलक जे अहाँ परमेश्‍वरक पवित्र आत्‍मा सँ झूठ बजलहुँ आ जमीनक मोल सँ किछु अपना लेल राखि लेलहुँ? की बेचऽ सँ पहिने ओ जमीन अहाँक नहि छल? आ बेचलाक बादो की अपना इच्‍छाक अनुसार ओहि पाइक खर्च करबाक अधिकार अहाँ केँ नहि छल? एहन बात अहाँ केँ फुरायल कोना? अहाँ मनुष्‍य सँ नहि, परमेश्‍वर सँ झूठ बजलहुँ।”
ई बात सुनितहि, हननियाह खसि पड़ल आ मरि गेल। ई बात जे केओ सुनलक, तकरा सभ मे बड़का डर सन्‍हिया गेलैक। तखन किछु नवयुवक उठि कऽ ओकर लास कपड़ा मे लपेटि लेलक आ बाहर लऽ जा कऽ गाड़ि देलकैक।
करीब तीन घण्‍टाक बाद ओकर स्‍त्री ओतऽ आयल। ओकरा एहि घटनाक सम्‍बन्‍ध मे कोनो जानकारी नहि छलैक। पत्रुस ओकरा सँ पुछलथिन, “कहू! अहाँ सभ अपन जमीन एतेक मे बेचलहुँ?” ओ उत्तर देलकनि, “हँ, एतेक मे।”
तखन पत्रुस कहलथिन, “अहाँ दूनू गोटे किएक प्रभुक आत्‍मा केँ जाँच करबाक लेल एकमत भऽ गेलहुँ? देखू! अहाँक घरवला केँ जे सभ गाड़ि आयल, से सभ द्वारिए पर अछि और अहूँ केँ लऽ जायत।”
10 ओ तुरत हुनका आगाँ मे खसि पड़ल आ मरि गेल। तखन ओ नवयुवक सभ फेर भीतर आयल, आ ओकरा मुइल देखि उठा कऽ लऽ गेलैक और ओकरा घरवलाक कात मे गाड़ि देलकैक। 11 एहि सँ पूरा मसीही मण्‍डली केँ, और जे सभ एहि घटना सभक बारे मे सुनलक, तकरा सभ केँ बड़का डर भऽ गेलैक।
मसीह-दूत सभक चमत्‍कारपूर्ण काज
12 मसीह-दूत सभक द्वारा लोकक बीच बहुत चमत्‍कारपूर्ण काज कयल जाइत छल। सभ विश्‍वासी सुलेमानक असोरा पर जमा होइत छलाह। 13 लोक सभ हुनका सभक प्रशंसा तँ करैत छल मुदा ककरो ई साहस नहि होइत छलैक जे हुनका सभ मे सम्‍मिलित भऽ जाइ। 14 तैयो बहुतो स्‍त्री आ पुरुष प्रभु पर विश्‍वास कऽ कऽ विश्‍वासी सभक समूह मे सम्‍मिलित भेल जाइत छल। 15 मसीह-दूत सभक चमत्‍कारपूर्ण काज देखि लोक सभ रोगी सभ केँ सड़क पर पटिया वा खाट पर राखि दैत छल, जाहि सँ पत्रुस केँ अयला पर हुनकर छाँहो ककरो-ककरो पर पड़ि जाय। 16 यरूशलेमक लग-पासक नगर सभ सँ सेहो हाँजक-हाँज लोक सभ रोगी आ दुष्‍टात्‍मा*5:16 मूल मे “अशुद्ध आत्‍मा” लागल आदमी सभ केँ हुनका सभ लग अनैत छल और सभ केओ स्‍वस्‍थ कयल जाइत छल।
मसीह-दूत सभ पर धर्म-महासभाक क्रोध
17 एहि पर महापुरोहित आ हुनकर संग देबऽ वला सदुकी पंथक लोक सभ केँ डाह होमऽ लगलनि। 18 ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ पकड़ि कऽ स्‍थानीय जहल मे राखि देलथिन। 19 मुदा ओही राति मे प्रभुक एकटा स्‍वर्गदूत जहलक द्वारि खोलि हुनका सभ केँ बाहर लऽ अनलथिन आ कहलथिन, 20 “जाह, मन्‍दिर मे जा कऽ एहि ‘नव जीवन’क विषय मे सभ बात लोक सभ केँ सुनाबह।”
21 ओ सभ भोर होइते मन्‍दिर मे जा कऽ स्‍वर्गदूतक कथनानुसार लोक सभक बीच उपदेश देबऽ लगलाह।
एम्‍हर महापुरोहित आ हुनकर संगी सभ इस्राएलक सभ बूढ़-प्रतिष्‍ठित केँ बजा कऽ सम्‍पूर्ण धर्म-महासभाक लोक केँ जमा कयलनि आ जहल मे सँ मसीह-दूत सभ केँ अनबाक लेल ककरो पठौलनि। 22 मुदा सिपाही सभ जखन ओतऽ पहुँचल तँ मसीह-दूत सभ जहल मे नहि छलाह। ओ सभ घूमि कऽ आबि गेल आ ई खबरि महासभाक सदस्‍य सभ केँ देलकनि जे, 23 “हम सभ ओहि जहलक द्वारि मे सुरक्षित तरीका सँ ताला लागल देखलहुँ आ पहरेदार सभ सेहो चौकस भऽ द्वारि पर ठाढ़ छल मुदा ताला खोलि कऽ भीतर गेला पर देखलहुँ जे केओ नहि अछि।” 24 ई बात सुनला पर मन्‍दिरक सिपाहीक कप्‍तान आ मुख्‍यपुरोहित सभ सोच मे पड़ि गेलाह जे ई की भेल? 25 एतबे मे केओ आबि कऽ कहलकनि जे, “सुनैत छी, जकरा सभ केँ अपने लोकनि जहल मे बन्‍द कयने छलहुँ से सभ एखन मन्‍दिर मे ठाढ़ भऽ कऽ लोक सभ केँ शिक्षा दऽ रहल अछि।” 26 तखन मन्‍दिरक सिपाहीक कप्‍तान किछु सिपाही सभ केँ लऽ कऽ मन्‍दिर मे गेलाह आ हुनका सभ केँ लऽ अयलथिन, मुदा जबरदस्‍ती नहि, कारण हुनका सभ केँ डर छलनि जे लोक सभ कतौ पथरबाहि कऽ कऽ हमरा सभ केँ मारि नहि देअय।
27 ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ आनि कऽ महासभा मे ठाढ़ कऽ देलथिन। तकरबाद महापुरोहित हुनका सभ सँ पुछलथिन, 28 “की हम सभ तोरा सभ केँ ई आज्ञा नहि देने छलिऔक जे तोँ सभ एहि नाम सँ शिक्षा देनाइ बन्‍द करै, लेकिन तोँ सभ सम्‍पूर्ण यरूशलेम केँ अपन शिक्षा सँ भरि देलेँ और ओहि आदमीक खूनक दोषी हमरा सभ केँ बनाबऽ चाहैत छेँ।”
29 एहि पर पत्रुस और आन मसीह-दूत सभ उत्तर देलथिन, “हमरा सभ केँ मनुष्‍यक आज्ञा सँ बढ़ि कऽ परमेश्‍वरेक आज्ञा केँ मानबाक अछि। 30 जाहि यीशु केँ अहाँ सभ क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देलियनि, तिनका अपना सभक पूर्वजक परमेश्‍वर जिआ देलथिन। 31 हुनका परमेश्‍वर प्रभु आ उद्धारकर्ताक ऊँच पद दऽ कऽ अपन दहिना कात बैसौलथिन, जाहि सँ ओ इस्राएलक लोक केँ पश्‍चात्ताप आ हृदय-परिवर्तन करबाक वरदान देथि आ पापक क्षमा प्रदान करथि। 32 एहि बात सभक गवाह हम सभ छी और पवित्र आत्‍मा सेहो छथि, जे आत्‍मा परमेश्‍वर अपन आज्ञाक पालन कयनिहार सभ केँ देने छथिन।”
गमालिएलक सल्‍लाह
33 ई सुनि कऽ महासभाक सदस्‍य सभ तिलमिला उठलाह आ हुनका सभ केँ जान सँ मारि देबऽ चाहलनि। 34 मुदा फरिसी पंथक गमालिएल नामक एक आदमी जे धर्म-नियमक आचार्य छलाह आ सभक नजरि मे प्रतिष्‍ठित लोक छलाह से सभा मे ठाढ़ भऽ आज्ञा देलथिन जे, एकरा सभ केँ किछु कालक लेल बाहर कऽ दिऔक। 35 तकरबाद ओ महासभाक सदस्‍य सभ केँ कहऽ लगलाह, “इस्राएली भाइ लोकनि, एहि लोकक संग जे किछु अहाँ सभ करऽ वला छी से सोचि-विचारि कऽ करू। 36 कारण, किछु समय पहिने थियूदास नामक आदमी अपने प्रशंसा मे बहुत तरहक बात कहैत छल आ करीब चारि सय लोक ओकर बात सुनि कऽ ओकरा पाछाँ-पाछाँ चलऽ लागल मुदा ओकरा मारल गेलाक बाद ओकर चेला सभ जहाँ-तहाँ छिड़िया गेल और ओकर सभ बात समाप्‍त भऽ गेलैक। 37 तकरबाद जनगणनाक समय मे गलील वासी यहूदा बहुत लोक केँ चढ़ा-बढ़ा कऽ एक क्रान्‍ति शुरू कयलक, मुदा ओहो मारल गेल आ ओकरो पाछाँ चलऽ वला लोक सभ छिड़िया गेल। 38 तेँ एकरा सभक सम्‍बन्‍ध मे हमर कथन यैह अछि जे, एकरा सभ केँ किछु नहि कयल जाय, बल्‍कि छोड़ि देल जाय। जँ एकर सभक ई विचार आ काज मनुष्‍यक प्रेरणा सँ भऽ रहल अछि तँ अपने सँ समाप्‍त भऽ जायत। 39 मुदा जँ परमेश्‍वरक प्रेरणा सँ अछि तँ अहाँ सभ एकरा सभ केँ नहि रोकि सकब, बल्‍कि एना कयला पर अहीं सभ अपने परमेश्‍वर सँ लड़निहार बनि जायब।”
40 महासभाक सदस्‍य लोकनि गमालिएलक सल्‍लाह स्‍वीकार कऽ लेलनि। ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ भीतर बजबा कऽ बेंत सँ पिटबौलथिन आ ई आज्ञा दऽ कऽ छोड़ि देलथिन जे यीशुक नाम लऽ कऽ किछु नहि बाज।
41 मसीह-दूत सभ एहि बातक लेल आनन्‍द मनबैत महासभा सँ बहरयलाह जे परमेश्‍वर हमरा सभ केँ एहि जोगरक बुझलनि जे हम सभ यीशुक नामक कारणेँ अपमानित होइ। 42 ओ सभ प्रत्‍येक दिन मन्‍दिर मे आ लोक सभक घर-घर मे जा कऽ शिक्षा दैते रहलाह और एहि शुभ समाचारक प्रचार करिते रहलाह जे यीशु उद्धारकर्ता-मसीह छथि।

*5:16 5:16 मूल मे “अशुद्ध आत्‍मा”