इफिसुस नगरक मण्‍डली केँ पौलुसक पत्र
1
हम पौलुस, जे परमेश्‍वरक इच्‍छा सँ मसीह यीशुक एक मसीह-दूत छी, अहाँ सभ केँ ई पत्र लिखि रहल छी जे सभ इफिसुस नगर मे परमेश्‍वरक पवित्र लोक छी, अर्थात्‌, अहाँ विश्‍वासी सभ केँ जे मसीह यीशु मे छी।
अपना सभक पिता परमेश्‍वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि और अहाँ सभ केँ शान्‍ति देथि।
मसीहक कारणेँ प्राप्‍त आत्‍मिक आशिष
अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक जे परमेश्‍वर आ पिता छथि, तिनकर स्‍तुति होनि! कारण, मसीह द्वारा ओ अपना सभ केँ स्‍वर्गीय क्षेत्रक प्रत्‍येक आत्‍मिक आशिष प्रदान कयने छथि। ओ तँ संसारक सृष्‍टिओ सँ पहिने मसीह मे अपना सभ केँ चुनलनि, जाहि सँ अपना सभ मसीह मे संयुक्‍त भऽ कऽ हुनका नजरि मे पवित्र आ निष्‍कलंक होइ। अपन प्रेमक कारणेँ ओ अपना खुशीक लेल और अपना इच्‍छानुसार शुरुए मे निश्‍चय कयलनि जे ओ अपना सभ केँ यीशु मसीह द्वारा अपन पोषपुत्र बनबथि, जाहि सँ हुनकर ओ अनमोल कृपाक प्रशंसा होनि, जे ओ अपन प्रिय पुत्र द्वारा अपना सभ पर कयने छथि, जकरा पाबऽ जोगरक अपना सभ छलहुँ नहि। किएक तँ मसीहक कारणेँ आ माध्‍यम सँ, अपना सभ केँ हुनकर बहाओल खून द्वारा छुटकारा भेटल अछि, अर्थात्‌, पापक क्षमा। ई सभ परमेश्‍वरक ओहि अपार कृपाक परिणाम भेल, जे कृपा ओ अति खुशी मोन सँ अपना सभ पर बरसौलनि। अपन असीमित बुद्धि और ज्ञान सँ*1:8 वा, “जे कृपा ओ अति खुशी मोन सँ अपना सभ पर कयलनि और जकरा द्वारा अपना सभ केँ बुद्धि और ज्ञान प्रचुर मात्रा मे प्रदान कयलनि।” ओ अपना सभ केँ अपन ओहि गुप्‍त योजना केँ बुझऽ देलनि जे ओ शुरुए मे अपना खुशीक लेल निर्धारित कयने छलाह, आ मसीह द्वारा पूरा करबाक निश्‍चय कयने छलाह। 10 हुनकर ओ योजना ई अछि जे, समय पूरा भेला पर ओ सभ वस्‍तु, अर्थात् जे किछु स्‍वर्ग मे अछि आ जे किछु पृथ्‍वी पर—सभ किछु केँ मसीहे द्वारा एकता मे आनि हुनकर अधीन करताह।
11 परमेश्‍वर अपना सभ केँ मसीहे मे अपन निज लोक होयबाक लेल चुनलनि। ई निर्णय हुनकर पहिने सँ बनाओल योजनाक भीतर छल; ओ तँ सभ बात मे अपन इच्‍छा और योजना पूरा करैत छथि। 12 हुनकर एहि निर्णयक उद्देश्‍य ई छलनि जे, हम सभ जे मसीह पर सभ सँ पहिने आशा रखनिहार छलहुँ—हमरा सभक कारणेँ आ हमरा सभक द्वारा हुनकर महिमाक गुणगान होनि। 13 तहिना अहूँ सभ जखन सत्‍यक सम्‍बाद सुनलहुँ, अपन उद्धारक शुभ समाचार सुनलहुँ, तँ विश्‍वासो कयलहुँ। आ जखन विश्‍वास कयलहुँ, तँ मसीह मे संयुक्‍त भऽ कऽ, परमेश्‍वरक देल वचनक अनुसार अहूँ सभ केँ हुनकर पवित्र आत्‍मा देल गेलाह, जे स्‍वयं अहाँ सभ पर लगाओल गेल एहि बातक छाप छथि जे अहाँ सभ हुनकर छिऐन। 14 परमेश्‍वरक पवित्र आत्‍मा बेनाक रूप मे एहि बात केँ पक्‍का करबाक लेल अपना सभ केँ देल गेलाह जे, जहिया परमेश्‍वर अपन निज लोकक छुटकारा पूरा करताह, तहिया अपना सभ केँ जे किछु उत्तराधिकार मे भेटऽ वला अछि, से सभ भेटि जायत। और एहि सभ बातक उद्देश्‍य ई अछि जे, हुनकर महिमाक प्रशंसा होनि।
परमेश्‍वरक महान्‌ उद्धार बुझबाक लेल प्रार्थना
15 एहि कारणेँ, प्रभु यीशु पर अहाँ सभक जे विश्‍वास अछि आ परमेश्‍वरक सभ लोकक लेल जे प्रेम अछि, ताहि विषय मे हम जहिया सँ सुनलहुँ, 16 तहिया सँ अहाँ सभक लेल सदिखन परमेश्‍वर केँ धन्‍यवाद दैत छिऐन, और अपना प्रार्थना मे अहाँ सभ केँ स्‍मरण करैत रहैत छी। 17 अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक परमेश्‍वर जे महिमामय पिता छथि, तिनका सँ हम ई प्रार्थना करैत छी जे ओ अपन आत्‍मा द्वारा अहाँ सभ केँ बुद्धि देथि और आत्‍मिक बात सभ बुझबाक लेल प्रकाश प्रदान करथि, जाहि सँ हुनका आओर नीक जकाँ जानि सकियनि। 18 हम इहो प्रार्थना करैत छी जे ओ अहाँ सभक भितरी आँखि खोलि देथि, जाहि सँ अहाँ सभ जानि ली जे हुनका द्वारा बजाओल जयबाक कारणेँ अहाँ सभक आशा कतेक महान्‌ अछि, और ई जानि ली जे हुनकर लोक हुनका लेल केहन अद्‌भुत आ अनमोल उत्तराधिकार छनि1:18 वा, “और ई जानि ली जे ओ उत्तराधिकार केहन अद्‌भुत आ अनमोल अछि जे ओ अपना लोक केँ देबऽ वला छथि” 19-20 हुनका सँ हमर ई प्रार्थना अछि जे अहाँ सभ इहो जानि ली जे अपना सभ जे विश्‍वास कयनिहार छी तकरा सभक कल्‍याणक लेल सक्रिय रहऽ वला परमेश्‍वरक सामर्थ्‍य कतेक अपार अछि। ई सामर्थ्‍य वैह महान् शक्‍ति अछि जे ओ मसीह मे प्रगट कयलनि, जखन ओ हुनका मृत्‍यु सँ जिऔलनि आ स्‍वर्गीय क्षेत्र मे अपन दहिना कात बैसौलनि। 21 ओ हुनका ओहन स्‍थान देलथिन जे आरो सभ प्रकारक शासन और अधिकार, शक्‍ति और प्रभुता, और हर प्रकारक पद सँ उपर अछि जे ने मात्र एहि युग मे देल जा सकैत अछि, बल्‍कि आबऽ वला युग मे सेहो। 22 परमेश्‍वर सभ किछु हुनका अधीन मे कऽ देलथिन, और हुनका सभ बात पर सर्वोच्‍च प्रभु1:22 मूल मे—“सभ बातक उपर सिर” बना कऽ मण्‍डली केँ दऽ देलथिन। 23 मण्‍डली मसीहक देह अछि, आ तिनका सँ परिपूर्ण अछि जे सभ किछु केँ सभ तरहेँ परिपूर्णता धरि लऽ जाइत छथि।

*1:8 1:8 वा, “जे कृपा ओ अति खुशी मोन सँ अपना सभ पर कयलनि और जकरा द्वारा अपना सभ केँ बुद्धि और ज्ञान प्रचुर मात्रा मे प्रदान कयलनि।”

1:18 1:18 वा, “और ई जानि ली जे ओ उत्तराधिकार केहन अद्‌भुत आ अनमोल अछि जे ओ अपना लोक केँ देबऽ वला छथि”

1:22 1:22 मूल मे—“सभ बातक उपर सिर”