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याकूब
विपत्तिओ मे लाभ
सुननिहारे नहि, कयनिहारो बनू
भेद-भाव पाप अछि
विश्‍वास आ काज, दूनू जरूरी
अपना मुँह पर नियन्‍त्रण राखू
ईश्‍वरीय बुद्धिक गुण
परमेश्‍वरक अधीन होउ
काल्‍हि अहाँक हाथ मे नहि
शोषण कयनिहार धनिक सभ केँ चेतावनी
धैर्य राखू
प्रार्थनाक सामर्थ्‍य