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पेहली मुहर आरू धवळियों घुल्लो
1 ओळी हाव देखियो कि गाडरो तिनु सात मुहर माईन एक मूहर क खुल्यो आरू तिनू च्यारू जीवोंन हांगेरनेन जसी बुल समळियों कयो कि “आव”
2 हंव नजर नाखियों यो देखियों कि एक धवळियों घुल्लो आरू हेका पर सवारी करने वाळो हाथ मा धँधली ली रयो: आरू हेको एक मुकुट आपलो हतों, आरू त्यो जय करतो जाईन निकळियों कि हेको आरू जीक मुवती जाय।
3 जव त्यो दिसरी मुहर को खुलियो ती हाव दिसरा जीव क यो कयता समळियो, आव।
4 ती अळी हाव चाँ सारीक एक दिसरा गुल्ला क निकळता देखियो देख्यो, जो आगठा सारको रातला रंगन हुतो। तिना सवार क जो ओका पर बठलो हुतो, एक मोटित तरवार दियो आरू घुल्ला क धरती पर रईन शांती ली जात रहने क हुकुम दियो गयो कि लोगहन एक दिसरा क मारे
5 जत्यार चो तिसरी मुहर खुलियो ती हाव तीसरा जीवो क यो कयतलो सुन्यो, “आ।” आरू हाव नजर न्हाखियो, आरू एक काळ्ळो घुल्लो छे; आरू उका सवारन हाथ मा एक ताकड़ी छे।
6 आरू हाव तिनु चार जीवोन क बीच मा रूक यो बुल सुन्यो, दाहड़न दाहड़की मा से तीन भाग सेर जौ, पर हानि दुस्मन नी अन्याय नी करे।
7 आरू हाव नजर न्हाखियो, आरू एक पेल्ला घुल्लो छे उका सवार क नाव मोत छे; जत्यार चो चौथी मुहर खुलियो
8 हाव नजर न्हाखियो, आरू एक पीळ्ळो घुल्लो छे; आरू उका सवार क नाव मोत छे; नरक ओको पोछळ–पोछळ छे आरू उको धरती पर क एक भाग पर यो हक दियो गयो, तलवार आरू ओकाळ, आरू मरी, आरू धरती क जंगली जनवार क लारे मार न्हाखे।
9 आरू त्यो पाचवी मुहर खुलियो, ती हाव वेदी क नेचो उको जीवो क देखियो, जो यहोवा भगवान क वचन क कारण आरू ओकी गवाय क कारण जो त्या आरू दिया हुता मार दिया गया हुता,
10 “आरू चे ज्युरे आयड़ीन कयनो लागीया, ए पोरबु, ए चुखला, आरू सच; तु कत्यार तक नियाव नी करे? आरू धरती पर रहवने वाळा से हामरा लुहूय यो क पलटो कब तक नी लेय?”
11 आरू तिनुम मा से आखा जन क धवळिया चोगला दिया गया, आरू तिनक कयो, कि आरू धुड़ीक वार तक आराम करो, जत्यार तक तुमरा साती दास आरू भाई जा तार समान हुयने वालो छे, ओको भी गिनती पूरी नी हय जाय, जिनाक भी तुमरे जसा,
12 जत्यार हाव छटवी मुहर खुलतेला देखीयो, ती हाव देखियो कि एक मोटो भुकंप हुयो; आरू दाहड़ो काम्बळा क समान कालो हुय गयो आरू पुरो चाँद लुहूय यो क सारको रातो हुय गयो।
13 आरू आकाश क तारा धरती पर असा पड़ गया जसा कि मोटी आँधी से हालीन अंजीरन झाड़को से काचला फव पड़ जाय।
14 आकाश फाटीन असो सरली गयो, जसो कि चिठ्ठी गुळी करने से सरकी जाय; आरू आखा बयड़ा, आरू टापू, आपसे–आपसे धरती सी टळ गया।
15 तत्यार धरती क राजा, नावसादिया लोगहन, सेनानायक, मातभोर आरू ताकत वाळा लोगहन, आरू आखा दास, आरू आखा छुटला, बयड़ान दरो मा जाईन डुकाय गया;
16 चे आरू बयड़ा आरू चाफरीया से कयनो लागिया, “हामरे उपर हिट पड़ो; आरू हामुक ओका मुय से जु सिंहासन पर बठलु छे, आरू गाड़ गाडरा क रीस से धोपाड़ ले।”
17 काहकि तिन्दरी रीस क काठला दाहड़ा आय गयला छे, हाय कुन रया सके।