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मंडली मे अनैतिक सदस्य
1 ह्या तक सुनना मे आयो हइ कि तुम मे व्यभिचार होस हइ, क्युकी असो व्यभिचार जो गैरयहूदीहोन मे भी नी होतो कि एक इन्सान अपना बाप की लुगइ खे रखस हइ.
2 अरु तुम शोक तो नी कर्हे, जेका से असो काम कर आला तुमारा बीच मे से नीकल्या जास का पर घमण्ड करस हइ.
3 मी तो आंग को भाव से दूर थो, पर आत्मा को भाव से तुमारा साथ हुये खे मानो उपस्थिति कि दशा मे असो काम करणआला का बारे मे न्याय करी चुक्या हइ.
4 कि जब तुम अरु मरी आत्मा, हमारा प्रभु यीशु की सामर्थ्य, साथ इकठ्ठा हुये खे ते असो इन्सान खे हमारो प्रभु यीशु का नाम से.
5 शरीर को विनाश का लिये सैतान खे दियो जायेका ताकि उसकी आत्मा प्रभु का दिन मे उध्दारपाये.
6 तुमारो घमण्ड करणो अच्छो नी; तुम नी जानता कि थोडो सो खमीर पूरे गुध्या हुया आटा खे खमीर करी देस हइ.
7 पुरानो खमीर नीकाली खे अपना आप खे अच्छो कर्यो कि नवो गूध्या हुया आटो बनी जाये. ताकि तुम अखमीरी हुये खे क्युकि हमारो भी फसह जो मसीह हइ, बलिदान हुयो हइ.
8 येका लिये आनू हम उत्सव मे खुशी मनाये का नी ते पुरानो खमीर से अरु नी बुराइ अरु दुष्टता का खमीर से, पर सिधाइ अरु सच्ची की अखमीरी रोटी से.
9 मेने अपनी चिठ्ठी मे तुम खे लिख्यो हइ, कि व्यभिचारिहोन की सगति नी करणु.
10 यो नी कि तुम बिलकुल या जगत को व्यभिचारिहोन खे या लोभिहोन खे यो अंधारो करणआला काया मूर्तिपूजकहोन को सगत नी करणु; क्युकि या दशा मे ते तुमखे जगत मे से नीकली जानो ही पडस.
11 मरो कहनो यो हइ. कि अगर कोय भैइ अरु बहीन कहलै, व्यभिचारी, या लोभी, या मूर्तिपूजक, या गाली देनआला, या पियक्कड, या अधारो करणआला हुये खे ते ओकी सगत मत करणु. क्युकी असा इन्सान का साथ खानो भी नी खानु.
12 क्युकि मेखे बाहेरआला को न्याय करणा से काम, तुम अंदर आला को न्याय नी कर्हे?
13 पर भाहेआला को न्याय परमेश्वर करस हइ
येकालिये येखे उ कुकर्मी खे अपना बीच मेसे नीकाली दे.