4
मसीह कि आंग कि एकता
1 येका लिये मी, जो प्रभु का लिये बन्दी हूये खे तरा से अरु प्रार्थना करुस हय कि तुम्हारी जीवन शैली तुम्हारा बुलाना का अनुरुप हइ
2 तुम मे विशुद्ध विनम्रता, सौम्यता अरु धीरज का एक दुसरा मे प्रेम मे सहन को भाव भरी जाए.
3 अरु मेल को बन्धन मे आत्मा कि एक रखन को यत्न कर.
4 एक ही आंग हइ अरु एक ही आत्मा जेमे तुम्ह बुलायो गया था अपना बुलायो जाना से एक ही आस हइ.
5 एक ही प्रभु, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा
6 अरु सब मानवजाति, बाप हय, जो सब, उपर, सब का बीच अरु सब मे एक ही परमेश्वर हइ.
7 पन हमने से हर एक खे मसीह को वरदान को परिमाण, जसो अनुग्रह प्रदान कर्यो गया हइ,
8 येका लिये व्हा बोलस हइ,
जब व्हा सबसे उच्चा पर चडी गयो,
बन्दिहोन खे बन्दी बनय खे ली गया अरु
उनने इन्सान खे दान दियो.
9 ओका चडना से, अरु का अर्थ मील्यो जास हइ फक्त यो कि व्हा जमीन का नीच्चे कि जगा मे उतार्यो भी थो.
10 स्वर्ग से जो नीचे उतर्यो, उ हइ, जो उच्ची जगा मे बडो सम्मान का साथ चड्या कि सब सृष्टि को पूरोपूरो करी दे.
11 उनने मंडली खे कुछ प्रेरित, कुछ भविष्यव्दक्ता का कुछ इश्वरी सुसमाचार सुनानवाआलो अरु कुछ मंडली को रखवाली उपदेशक प्रदान कर्यो
12 कि पवित्र सेवा, लिये सुसज्जित कर्यो जाह्ये का कि मसीह का आंग उन्नती बडती जाये.
13 जब तक हम सब खे विश्वास अरु परमेश्वर को बेटो खुप, भोत ज्ञान की एक उपलब्ध नी हुय जाह्ये सिद्ध इन्सान का जसो जो मसीह को सब डील-डौल हइ.
14 तब हम बच्चा नी र्हियेका जो समुद्री लहर जसो इधर-उधर उछले वु फेक्यो जाह्ये अरु इन्सानहोन की ठग विद्या की तुफान अरु इन्सान की हुशारी वजेसे बोहायो जास हइ.
15 पर सच्चय खे प्रेम पूर्वक व्यक्त करते हुयो हर एक तरप मे हमारा उन्नती उनमे होते जायेका जो प्रधान हइ मंनजे मसीह,
16 जिनका वजेसे सब आंग मे उन्नती का वजेसे जमा करीखे अरु एक साथ मीलीखे प्रेम मे काम मे होते जास हइ क्युकि हर एक आंग अपनो तय कर्यो गया काम ठीक-ठाक करते जास हइ.
मसीह मे नवो जिवन
17 येका लिए मी प्रभु का साथ पुष्टि करते हुयो तुमारो विनती का साथ बोलुस हय कि अब तुम्हारो स्वभाव गैरयहूदीहोन का जसो खोकलो मन की रीति से प्रेरित नी हय.
18 उनका मन की कठुरता से अज्ञानता कारन वे परमेश्वर को जिवन से अलग हइ अरु उनकी बुद्धि अंधारो हुय गयो हइ,
19 सुन्न हुयखे उनने खुद खे लोभी से बोहय खे सब रंग की अपवित्र अरु लालुच का अधीन करी दियो हइ.
20 मसीह का बारे मे असी शिक्षा तुमखे नी दी गइ थी.
21 अगर वास्तव मे तुमने उनका विषय मे सुन्यो अरु उनकी शिक्षा को अपनय ली हय, जो मसीह यीशु मे सच्ची को अनुरुप हइ.
22 येकालिये अपनो जुन्नो चाल-चलन से प्रेरित स्वभाव खे छोडी दे, जो छल की लालुच कारन भ्रष्ट होते रर्हेस हइ
23 कि तुम्हारा मन को आत्मीक नवो हुय जाये.
24 नवो स्वभाव खे पेनी लियो, जेकी रचना धार्मीकता अरु पवित्रता मे परमेश्वर को स्वरुप मे हुयो हइ.
25 येका लिये झूठ खे छोडी खे, हर एक इन्सान अपना बाजुआला से सच्ची य बोल क्युकि हम एक ही आंग को भाग हइ.
26 घुस्सा तो कर, पन पाप मत कर. सुरज डुबना तक तुम्हारी घुस्सा नी र्हेन कि.
27 सैतान के कोय मौको नी दे.
28 व्हा, जो चोरी करते र्हियो हइ, अब चोरी नी कर्हे पर मेहनत कर्हे कि व्हा अपना हात से कर्यो गयो अच्छो काम का वजेसे दुसरा दुन्या की भी मदत करी सकस, जेन कोय रंग की जरुरत हइ.
29 तुम्हारो मेडा से कोय अब शब्द नी पन असो वचन निकाले, जो अवसर को अनुकूल, दुसरा का लिये उन्नती को करण अरु सुननेवाला का लिये अच्छो हय.
30 परमेश्वर की पवित्र आत्मा खे दुख नी करणु, जिनका वजेसे तोखे छुटकारो को देना का लिये छाप दी गय हइ.
31 सब रंग की कडवी, रोष, घुस्सा, वाद विवाद, टिंगल, आक्रोश अरु दुजा-भाव खे खुद से अलग करी दे.
32 एक दूसरा, पर दयालु अरु सहृदय बन्यो रह्ये अरु एक-दूसरा खे उ रंग माफ कर जो रंग परमेश्वर ने मसीह मे तुमखे माप कर्यो हइ.