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मनुष्य की मूर्खता और दुष्टता 
 
प्रधान बजानेवाले के लिये महलत की राग पर दाऊद का मश्कील 
 
1 मूर्ख ने अपने मन में कहा, “कोई परमेश्वर है ही नहीं।”  
वे बिगड़ गए, उन्होंने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं;  
कोई सुकर्मी नहीं।   
2 परमेश्वर ने स्वर्ग पर से मनुष्यों के ऊपर दृष्टि की  
ताकि देखे कि कोई बुद्धि से चलनेवाला  
या परमेश्वर को खोजनेवाला है कि नहीं।   
3 वे सब के सब हट गए; सब एक साथ बिगड़ गए;  
कोई सुकर्मी नहीं, एक भी नहीं। (भज. 14:1-3, रोम. 3:10-12)    
4 क्या उन सब अनर्थकारियों को कुछ भी ज्ञान नहीं,  
जो मेरे लोगों को रोटी के समान खाते है  
पर परमेश्वर का नाम नहीं लेते है?   
5 वहाँ उन पर भय छा गया जहाँ भय का कोई कारण न था।  
क्योंकि यहोवा ने उनकी हड्डियों को, जो तेरे विरुद्ध छावनी डाले पड़े थे, तितर-बितर कर दिया;  
तूने तो उन्हें लज्जित कर दिया इसलिए कि  
परमेश्वर ने उनको त्याग दिया है।   
6 भला होता कि इस्राएल का पूरा उद्धार सिय्योन से निकलता!  
जब परमेश्वर अपनी प्रजा को बन्धुवाई से लौटा ले आएगा।  
तब याकूब मगन और इस्राएल आनन्दित होगा।