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सहेलियाँ  
1 हे स्त्रियों में परम सुन्दरी,  
तेरा प्रेमी कहाँ गया?  
तेरा प्रेमी कहाँ चला गया  
कि हम तेरे संग उसको ढूँढ़ने निकलें?  
वधू   
2 मेरा प्रेमी अपनी बारी में अर्थात् बलसान  
की क्यारियों की ओर गया है,  
कि बारी में अपनी भेड़-बकरियाँ चराए और  
सोसन फूल बटोरे।   
3 मैं अपने प्रेमी की हूँ और मेरा प्रेमी मेरा है,  
वह अपनी भेड़-बकरियाँ सोसन फूलों के बीच चराता है।  
पाँचवाँ गीत 
 
वर   
4 हे मेरी प्रिय, तू तिर्सा की समान सुन्दरी है  
तू यरूशलेम के समान रूपवान है,  
और पताका फहराती हुई सेना के तुल्य भयंकर है।   
5 अपनी आँखें मेरी ओर से फेर ले,  
क्योंकि मैं उनसे घबराता हूँ;  
तेरे बाल ऐसी बकरियों के झुण्ड के समान हैं,  
जो गिलाद की ढलान पर लेटी हुई देख पड़ती हों।   
6 तेरे दाँत ऐसी भेड़ों के झुण्ड के समान हैं  
जिन्हें स्नान कराया गया हो,  
उनमें प्रत्येक जुड़वाँ बच्चे देती हैं,  
जिनमें से किसी का साथी नहीं मरा।   
7 तेरे कपोल तेरी लटों के नीचे  
अनार की फाँक से देख पड़ते हैं।   
8 वहाँ साठ रानियाँ और अस्सी रखैलियाँ  
और असंख्य कुमारियाँ भी हैं।   
9 परन्तु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल, अद्वितीय है  
अपनी माता की एकलौती,  
अपनी जननी की दुलारी है।  
पुत्रियों ने उसे देखा और धन्य कहा;  
रानियों और रखैलों ने देखकर उसकी प्रशंसा की।   
10 यह कौन है जिसकी शोभा भोर के तुल्य है,  
जो सुन्दरता में चन्द्रमा  
और निर्मलता में सूर्य,  
और पताका फहराती हुई सेना के तुल्य  
भयंकर दिखाई देती है?   
11 मैं अखरोट की बारी में उत्तर गई,  
कि तराई के फूल देखूँ,  
और देखूँ की दाखलता में कलियाँ लगीं,  
और अनारों के फूल खिले कि नहीं।   
12 मुझे पता भी न था कि मेरी कल्पना ने  
मुझे अपने राजकुमार के रथ पर चढ़ा दिया।  
सहेलियाँ   
13 लौट आ, लौट आ, हे शूलेम्मिन,  
लौट आ, लौट आ, कि हम तुझ पर दृष्टि करें।  
वधू  
क्या तुम शूलेम्मिन को इस प्रकार देखोगे  
जैसा महनैम के नृत्य को देखते हैं?