11
1 तुम ख मोरी जसी चाल चल हैं जसो म मसी कि जसी चाल चलू हैं।
आराधना म सिर ढाँकनू
2 अरे भई हुन, मी तुमख सराहता हूँ कि सब बात हुन तुम मोखा याद करत हो; जे रीति रिवाज मी न तुमख सोउपू हैं उनको पालन करत रहजे।
3 अदि म चाहूँ हैं कि तुम ख यू मालूम होय कि हर एक अदमी को माथा मसी हैं, अऊर ओरत हुन को माथा अदमी आय, अऊर मसी को सिर परमेस्वर आय।
4 जे अदमी माथा ढाँको होय प्रार्थना अऊर भविस्यव्दानी करिये हैं, उ अपनो माथा ख लज्जित करिये हैं।
5 पर जे ओरत हुन माथा पर बिना कपड़ा लेख प्रार्थना अर फिर भविस्यव्दानी करिये हैं, उ अपनो माथा को लज्जित करिये हैं, काहेकि उ मुण्डी होनू का बराबर हैं।
6 अदि बाई हुन ओढ़नी नी ओढ़े ते बाल भी काट ले; अदि ओरत का लाने बाल कटानो अर फिर मुण्डन करानो लज्जा कि बात हैं, ते ओढ़नी ओढ़े।
7 हाँव, अदमी ख अपनो माथा ढ़ाकनो जरूरी नी, हैं काहेकि उ परमेस्वर को जसो चहेरा हैं अऊर महिमा हैं; अऊर बाई अदमी कि सोभा आय।
8 काहे कि अदमी बाई से नी भयो, अऊर बाई अदमी से भई हैं;
9 अऊर अदमी बाई का लाने नी बनायो गयो, अऊर बाई अदमी का लाने बनायो गयो हैं।
10 एकोलाने स्वर्गदूत हुन का कारन बाई ख अच्छो हैं कि अधिकार अपनो माथा पर रख जो।
11 ते भी प्रभु म नी ते बाई बिना अदमी, अऊर नी अदमी बिना बाई को आय।
12 काहेकि जसो बाई अदमी से हैं, वसो ही अदमी बाई को दुवारा हैं; पर सारी चीज हुन परमेस्वर से हैं।
13 तुम ख स्वंय ही सालह कर, का बाई ख उघाड़े माथा परमेस्वर से प्रार्थना करनु सोभा देवा हैं?
14 का स्वाभाविक रीति से भी तुम नी जान हैं, कि अदि अदमी लम्बे बाल रख, ते ओखा लाने अपमान हैं।
15 अऊर अदि बाई लम्बे बाल रखे ते ओखा लाने सोभा हैं, काहेकि बाल ओ ख ओढ़नी का लाने दियो गयो हैं।
16 अदि अऊर कोई लड़ाई करनो चाहे, ते यी जान ले कि नी हमारी अऊर परमेस्वर कि कलीसिया हुन कि असी रिवाज हैं।
प्रभु भोज का बारा म
(मत्ती 26:26-29; मरकुस 14:22-25; लूका 22:14-20)
17 पर यी आदेस देते होय मी तुम ख नी सराह उ हैं, एकोलाने कि तुमारो इकट्ठा होना से अच्छाई नी हैं, अऊर तुम ख बुराई होय हैं।
18 काहेकि पहले ते यह हैं कि मोरो सुनन म आयो हैं, कि जब तुम ख कलीसिया म जमा होय हैं, ते तुम म फूट होय हैं, अऊर म यी पर थोड़ा विस्वास भी कर हैं।
19 काहेकि दलबन्दी भी तुम म जरू होए, एकोलाने कि जो अदमी तुम म विस्वास लायक हैं वी देख ना म आ जाहे।
20 अब तुम जो एक जगह म जमा होय हैं ते यी प्रभु-भोज खान का लाने नी,
21 काहेकि खान का बखत एक दूसरा से पहले अपनो रोटी खा ले हैं, यी तरीका से कुई ते ख भूखो रह हैं अऊर कुई नसा वालो होय जाहे हैं।
22 का खान पीवन का लाने तुमारो घर नी हैं? ते परमेस्वर कि कलीसिया ख बेकार जान हैं, अऊर जेका पास नी हैं उन ख लज्जित करिये हैं? म तुम से का कहूँ हैं वा? का यी बात हुन म तुमारो खुसी करूँ? इ बात को लाने मी नी मेरी प्रसंसा करूँ हैं।
23 काहेकि यी बात हुन मोखा प्रभु यीसु न जी रात उ पकड़वायो गयो, रोटी ली,
24 अऊर धन्यवाद कर ख ओ ख तोड़ी अऊर कय्हो, “यी मोरो सरीर आय, जो तुमारो लाने हैं: मोरो याद का लाने यी कियो कर।”
25 यू रीति से जो ओ न बियारी का पीछु कटोरा भी लियो अऊर कय्हो, “यी कटोरा बर्तन मोरो खून म नई वादा हैं: जब कभी पीवा हैं, ते मोरो याद का लाने यी कियो कर।”
26 काहेकि जब तुम ख यी रोटी खाव अऊर यी कटोरा म से पीवा हैं, ते प्रभु कि मरन ख जब तक उ नी आगो प्रचार करते रहे।
27 एकोलाने जो कोई भूल चूक रिवाज से प्रभु कि रोटी ख खाव, ते ओकी कटोरा म से पीए, उ प्रभु कि सरीर की जीवन अऊर खून का अपराधी रहे।
28 एकोलाने अदमी अपनी तुम ख परखे ले अऊर यी तरीका से यी भोज म से खाऐ, अऊर यी कटारो म से पीए।
29 काहेकि जो खाव-पीते बखत प्रभु को सरीर ख नी पहिचाने, उ यी खाने अऊर पी से अपनो ऊपर सजा लाहे हैं।
30 यू तीरका तुम म बेजा सारा सो दुखी अऊर बीमार हैं, अऊर बेजा सारा मर भी गया।
31 अदि हम ख अपनो तुम ख परखे ते सजा नी मिले।
32 अऊर प्रभु हम ख सजा दे ख हमारी परख हैं, एकोलाने कि हम ख दुनिया को संग दोसी नी रह।
33 एकोलाने, अरे मोरो भई बहिन हुन, जब तुम ख खान का लाने इकट्ठा होय हैं ते एक दूसरा का लाने रूको रह।
34 अदि कोई भूखो हैं ते अपनो घर म खा ले, जे से तुमारो इकट्ठा होन का सजा को कारन नी हैं। अर बात हुन ख म आँख चोक्खो करूँ हैं।