32
धरमीपन के सासन
देखव, एक राजा ह धरमीपन से राज करही
अऊ सासन करइयामन नियाय के संग सासन करहीं।
हर एक झन आंधी ले लुकाय के जगह,
अऊ तूफान ले आड़ लेय के जगह सहीं होही,
मरू-भुइयां म पानी के झरना,
अऊ तपत भुइयां म बड़े चट्टान के छइहां सहीं होही।
 
ओ समय देखइयामन के आंखी ह नइं धुंधलाही,
अऊ सुनइयामन के कान ह सुनही।
भय माननेवाला मनखे के मन ह जानही अऊ समझही,
अऊ तोतरामन के जीभ ह सही अऊ साफ हो जाही।
मुरूख ला फेर कभू उत्तम मनखे नइं कहे जाही
अऊ न ही दुस्ट मनखे ला बहुंत आदर दिये जाही।
काबरकि मुरूखमन तो मुरूखता के ही बात करथें,
अऊ ओमन के मन ह दुस्टता के बात म लगे रहिथे:
ओमन अधरम के काम करथें
अऊ यहोवा के बारे म लबारी बात फईलाथें;
भूखा ला भूखन ही रहन देथें
अऊ पीयासा ला पानी नइं देवंय।
दुस्टमन दुस्ट तरीका अपनाथें,
ओमन दुस्ट उपाय निकालत रहिथें
ताकि गरीबमन ला लबारी बात कहिके लूटंय,
जब जरूरतमंद के बिनती ह सही होथे, तब घलो येमन अइसे ही करथें।
पर बने मनखे ह उत्तम उपाय करथे,
अऊ ओमन अपन उत्तम काममन के दुवारा बने रहिथें।
यरूसलेम के माईलोगनमन
हे माईलोगनमन, जेमन बहुंत आत्म-संतुस्ट हवव,
उठव अऊ मोर बात ला सुनव;
हे बेटीमन, जेमन सुरकछित महसूस करथव,
मोर बात कोति कान लगावव!
10 एक बछर पूरा होय के थोरकन बाद
जेमन सुरकछित महसूस करत हवंय, ओमन कांपहीं;
काबरकि अंगूर के फसल ह नइं होही,
अऊ न ही कोनो किसम के फर धरही।
11 हे आत्म-संतुस्ट माईलोगनमन, कांपव;
हे बेटीमन, जेमन सुरकछित महसूस करथव, तुमन कांपव!
अपन सुघर ओनहामन ला उतार दव
अऊ फटहा-चीरहा ओनहा ला लपेट लव।
12 बने खेतमन बर अऊ फरवाले अंगूर के नारमन बर
छाती पीट-पीटके रोवव
13 अऊ मोर मनखेमन के भुइयां बर,
अइसन भुइयां जेमा कांटा अऊ कंटिली झाड़ीमन बढ़ गे हवंय, रोवव—
हव, खुसी मनइया जम्मो घरमन बर
अऊ चहल-पहल वाले ये सहर बर बिलाप करव।
14 किला ला छोंड़ दिये जाही,
हल्ला-गुल्ला ले भरे सहर ला तियाग दिये जाही;
किला अऊ पहरेदारी के ऊंचहा जगहमन हमेसा बर सुनसान हो जाहीं
येमन गदहामन बर घुमे-फिरे के जगह अऊ पसुमन के चरागन ओ समय तक बने रहिहीं,
15 जब तक कि आतमा ला ऊपर ले हमर ऊपर ढारे नइं जाही,
अऊ मरू-भुइयां ह उपजाऊ खेत नइं बन जाही
अऊ उपजाऊ भुइयां एक जंगल सहीं नइं जान पड़ही।
16 यहोवा के नियाय ओ मरू-भुइयां म बसही,
ओकर धरमीपन ह ओ उपजाऊ भुइयां म रहिही।
17 ओ धरमीपन के फर ह सांति होही;
अऊ येकर नतीजा सबो दिन के सांति अऊ बिसवास होही।
18 मोर मनखेमन सांति के जगह म,
सुरकछित घरमन म,
अराम के जगहमन म निस्चिंत रहिहीं।
19 हालाकि करा ह जंगल ला चौरस कर देथे
अऊ सहर ह पूरा समतल हवय,
20 पर कतेक आसीसित होहू तुमन,
जब तुमन सोतामन के तीर म बीजा बोहू,
अऊ अपन पसु अऊ गदहामन ला चरे बर खुला छोंड़ दूहू।