यूहन्ना की तीसरी पत्री
यूहन्ना की तीसरी चिट्ठी
परिचय
यूहन्ना की तीसरी चिट्ठी प्रेरित यूहन्ना द्वारा मसीह को जनम को ५० सी १०० साल को बीच लिख्यो गयो होतो यूहन्ना खुद लेखक को रूप म नहीं जान्यो जावय हय। बल्की ऊ खुद ख बुजूर्ग कह्य हय १:१, २ यूहन्ना १:१ उच करय हय। असो मान्यो जावय हय कि यूहन्ना न यूहन्ना को अनुसार सुसमाचार लिख्यो होतो अऊर इफिसियों म रहतो हुयो तीन चिट्ठी १ यूहन्ना, २ यूहन्ना, ३ यूहन्ना, लिख्यो।
यूहन्ना न या चिट्ठी गयुस नाम को एक विश्वासी ख लिख्यो होतो। ऊ गयुस ख एक संगी को रूप म सम्बोधित करत होतो, अऊर ओख ऊ क्षेत्र को माध्यम सी यात्रा कर रह्यो मसीह भाऊवों लायी अतिथि सत्कार को बारे म निर्देश देत होतो।
रूप-रेखा
१. यूहन्ना न अपनी चिट्ठी प्रस्तुत करयो। १:१
२. गयुस ख प्रोत्साहित करय हय अऊर भाऊवों ख अतिथि सत्कार दिखावन लायी निर्देश देवय हय। १:२-८
३. हर समय, ऊ दोय दूसरों आदमियों, दियुत्रिफेस अऊर दिमेत्रियुस की बाते करय हय। १:९-१२
४. आखरी म अपनी चिट्ठी लिखनो बन्द करय हय। १:१३-१४
1
बुजूर्ग यूहन्ना को, तरफ सी प्रिय संगी गयुस को नाम, जेकोसी मय सच्चो प्रेम रखू हय।
हे प्रिय संगी, मोरी या प्रार्थना हय कि जसो तय आत्मिक उन्नति कर रह्यो हय, वसोच तय सब बातों म उन्नति करे अऊर भलो चंगो रहे। कहालीकि जब विश्वासी भाऊवों न आय क तोरो ऊ सच कि गवाही दी, जो सच पर तय हमेशा चलय हय, त मय बहुतच खुश भयो। मोख येको सी जादा अऊर कोयी खुशी नहाय कि मय सुनू, कि मोरो बच्चा सच को रस्ता पर चलय हंय।
गयुस की बढ़ायी
हे प्रिय संगियों, जो कुछ तुम उन भाऊवों को संग करय हय, जो परदेशी हंय, ओख ईमानदारी को रूप म करय हय। जो प्रेम तुम न उन पर दर्शायो हय उन्न मण्डली को आगु तोरो प्रेम की गवाही दियो हय। उन्की यात्रा बनायो रखन को लायी कृपया उन्की यो तरह सी मदत करनो जेकोसी परमेश्वर खुश हो। कहालीकि हि मसीह की सेवा की यात्रा पर निकल पड़यो हंय तथा अविश्वासियों सी कुछ मदत नहीं लेवय। येकोलायी हम मसीहियों ख असो लोगों की मदत करनो चाहिये, ताकी हम भी सच को काम म ओको सहकर्मी होय सके।
दियुत्रिफेस अऊर दिमेत्रियुस
या चिट्ठी मय न मण्डली ख भी लिख्यो होतो, पर दियुत्रिफेस जो उन्म मुखिया बननो चाहवय हय, ऊ मोरी बातों पर ध्यान नहीं लगावय। 10 येकोलायी जब मय आऊं त ओको कामों की जो ऊ कर रह्यो हय, याद दिलाऊं, कि ऊ हमरो बारे म बुरी बाते बकय हय; अऊर हमरो बारे म झूठी बाते बतावय हय पर इतनोच ओको लायी काफी नहाय ऊ मसीही भाऊवों ख स्वीकार नहीं करय, जब हि आवय हय अऊर उन्ख भी रोकय हय जो स्वीकार करनो चाहवय हंय अऊर पूरी कोशिश करय हय कि उन्ख मण्डली सी बाहेर निकाले।
11 हे प्रिय संगी, बुरायी को नहीं पर भलायी को अनुयायी हो। जो भलायी करय हय, ऊ परमेश्वर को तरफ सी हय; पर जो बुरायी करय हय, ओन परमेश्वर ख नहीं देख्यो।
12 दिमेत्रियुस को बारे म सब लोगों न अच्छी गवाही दियो; अऊर हम भी गवाही देजे हंय, अऊर तय जानय हय कि हमरी गवाही सच्ची हय।
आखरी अभिवादन
13 मोख तोख बहुत कुछ लिखनो त होतो, पर स्याही अऊर कलम सी लिखनो नहीं चाहऊ। 14 पर मोख आशा हय कि तोरो सी जल्दी मिलूं, तब हम आमने सामने बातचीत करबो।
15 तोख शान्ति मिलती रहेंन।
यहां को तोरो सब संगियों को तोख नमस्कार। उत को संगियों ख भी नमस्कार कह्य देजो।
1:1 प्रेरितों १९:२९; रोमियों १६:२३; १ कुरिन्थियों १:१४