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यीशु को सेवावों म की शिष्याये
1 येको बाद यीशु नगर-नगर अऊर गांव-गांव प्रचार करतो हुयो, अऊर परमेश्वर को राज्य को सुसमाचार सुनावतो हुयो फिरन लग्यो, अऊर हि बारा चेला ओको संग होतो,
2 अऊर कुछ बाईयां भी होती जो दुष्ट आत्मावों सी अऊर बीमारियों सी छुड़ायी गयी होती, अऊर हि यो आय: मरियम जो मगदलीनी कहलावत होती, जेको म सी सात दुष्ट आत्मायें निकली होती,
3 अऊर हेरोदेस को भण्डारी खुजा की पत्नी योअन्ना, अऊर सूसन्नाह, अऊर बहुत सी दूसरी बाईयां। जो अपनी जायजाद सी यीशु अऊर ओको चेलावों की सेवा करत होती।
बीज बोवन वालो को दृष्टान्त
(मत्ती १३:१-९; मरकुस ४:१-९)
4 जब बड़ी भीड़ जमा भयी अऊर नगर-नगर को लोग ओको जवर आवत होतो, त ओन दृष्टान्त म कह्यो।
5 “एक बोवन वालो बीज बोवन निकल्यो। बोवतो हुयो कुछ बीज रस्ता को किनार गिरयो, अऊर खुंद्यो गयो, अऊर आसमान को पक्षिंयों न ओख खाय लियो।
6 कुछ गोटाड़ी जागा पर गिरयो, अऊर उग्यो पर ओल नहीं मिलनो सी सूख गयो।
7 कुछ बीज काटा को बीच म गिरयो, अऊर झाड़ियों न संग-संग बढ़ क ओख दबाय दियो।
8 कुछ बीज अच्छी जमीन पर गिरयो, अऊर उग क सौ गुना फर लायो।” यो कह्य क यीशु न ऊचो आवाज सी कह्यो, “जेको सुनन को कान हय ऊ सुन ले!”
दृष्टान्तों को उद्देश्य
(मत्ती १३:१०-१७; मरकुस ४:१०-१२)
9 यीशु को चेलावों न ओको सी पुच्छ्यो कि यो दृष्टान्त को अर्थ का हय?
10 ओन कह्यो, “तुम ख परमेश्वर को राज्य को भेदो की समझ दियो हय, पर दूसरों ख दृष्टान्तों म सुनायो जावय हय, येकोलायी कि ‘हि देखतो हुयो भी नहीं देखय, अऊर सुनतो हुयो भी नहीं समझय।’
बीज बोवन वालो दृष्टान्त की अर्थ
(मत्ती १३:१८-२३; मरकुस ४:१३-२०)
11 “दृष्टान्त को अर्थ यो हय: बीज परमेश्वर को वचन हय।
12 रस्ता को किनार को हि आय, जिन्न सुन्यो, तब शैतान आय क उन्को मन म सी वचन उठाय लेवय हय कि कहीं असो नहीं होय कि हि विश्वास कर क् उद्धार पायेंन।
13 चट्टान पर को हि आय कि जब सुनय हंय, त खुशी सी वचन ख स्वीकार त करय हंय, पर जड़ी नहीं पकड़न सी हि थोड़ी देर तक विश्वास रखय हंय अऊर परीक्षा को समय बहक जावय हंय।
14 काटो की झाड़ियों म गिरयो, यो हि आय जो सुनय हंय, पर आगु चल क, चिन्ता अऊर धन, अऊर जीवन को सूख विलाश म फस जावय हंय अऊर उन्को फर नहीं पकय।
15 पर अच्छी जमीन म को हि आय, जो वचन सुन क अच्छो अऊर शुद्ध मन म सम्भाल्यो रह्य हंय, अऊर धीरज सी फर लावय हंय।
दीया को दृष्टान्त
(मरकुस ४:२१-२५)
16 “कोयी दीया जलाय क बर्तन सी नहीं झाकय, अऊर नहीं खटिया को खल्लो रखय हय, पर दीवट पर रखय हय कि अन्दर आवन वालो प्रकाश पाये।
17 “कुछ लूक्यो नहाय जो जान्यो नहीं जाये, अऊर नहीं कुछ लूक्यो हय जो जाननो नहीं पाये अऊर दिख नहीं जाय।
18 “येकोलायी चौकस रहो कि तुम कौन्सो तरह सी सुनय हय? कहालीकि जेको जवर हय ओख दियो जायेंन, अऊर जेको जवर नहाय ओको सी ऊ भी ले लियो जायेंन, जेक ऊ अपनो समझय हय।”
यीशु की माय अऊर भाऊ
(मत्ती १२:४६-५०; मरकुस ३:३१-३५)
19 यीशु की माय अऊर ओको भाऊ ओको जवर आयो, पर भीड़ को वजह ओको सी मुलाखात नहीं कर सक्यो।
20 ओको सी कह्यो गयो, “तोरी माय अऊर तोरो भाऊ बाहेर खड़ो हुयो, तोरो सी मिलनो चाहवय हंय।”
21 यीशु न येको उत्तर म उन्को सी कह्यो, “मोरी माय अऊर मोरो भाऊ हि आय, जो परमेश्वर को वचन सुनय अऊर मानय हंय।”
यीशु आन्धी ख शान्त करनो
(मत्ती ८:२३-२७; मरकुस ४:३५-४१)
22 फिर एक दिन यीशु अऊर ओको चेला डोंगा पर चढ़्यो, अऊर ओन उन्को सी कह्यो, “आवो, झील को ओन पार चलबो।” येकोलायी उन्न डोंगा खोल दियो अऊर निकल गयो।
23 पर जब डोंगा चल रह्यो होतो, त यीशु सोय गयो: अऊर झील म अचानक आन्धी आयी, अऊर डोंगा पानी सी भरन लग्यो अऊर हि खतरा म पड़ गयो।
24 तब उन्न जवर आय क ओख जगायो, अऊर कह्यो, “मालिक! मालिक! हम नाश होय रह्यो हंय।” तब यीशु न उठ क आन्धी ख अऊर पानी की लहरो ख डाट्यो अऊर हि थम गयी अऊर चैन मिल गयो।
25 तब ओन उन्को सी कह्यो, “तुम्हरो विश्वास कित हय?” पर हि डर गयो अऊर अचम्भित होय क आपस म कहन लग्यो, “यो कौन आय जो आन्धी अऊर पानी ख भी आज्ञा देवय हय, अऊर हि ओकी मानय हंय?”
दुष्ट आत्मा लग्यो आदमी ख चंगो करनो
(मत्ती ८:२८-३४; मरकुस ५:१-२०)
26 तब यीशु अऊर ओको चेला गिरासेनियों को देश म पहुंच्यो, जो गलील की झील को ओन पार होतो।
27 जब ऊ किनार पर उतरयो त ऊ नगर को एक आदमी ओख मिल्यो जेको म दुष्ट आत्मायें होती। ऊ बहुत दिनो सी कपड़ा नहीं पहिनत होतो अऊर घर म नहीं रहत होतो बल्की कब्रस्थान म रहत होतो।
28 ऊ यीशु ख देख क चिल्लायो अऊर ओको आगु गिर क ऊंचो आवाज सी कह्यो, “हे परमेश्वर को बेटा यीशु! मोख तोरो सी का काम? मय तोरो सी बिनती करू हय, मोख सजा मत दे।”
29 कहालीकि यीशु ऊ दुष्ट आत्मा ख ऊ आदमी म सी निकालन की आज्ञा दे रह्यो होतो, येकोलायी कि ऊ ओख पर बार बार हावी होत होती। लोग ओख संकली अऊर बेड़ियों सी हाथ पाय बान्धत होतो अऊर पहरा देत होतो तब भी ऊ बन्धनों ख तोड़ डालत होतो, अऊर दुष्ट आत्मा ओख जंगल म भटकावत फिरत होती।
30 यीशु न ओको सी पुच्छ्यो, “तोरो का नाम हय?”
ओन कह्यो, “सेना,” कहालीकि बहुत सी दुष्ट आत्मायें ओको म घुस गयी होती।
31 उन्न यीशु सी बिनती करी कि हम्ख अधोलोक म जान की आज्ञा मत दे।
32 उत पहाड़ी पर डुक्कर को एक बड़ो झुण्ड चर रह्यो होतो, येकोलायी उन्न ओको सी बिनती करी कि हम्ख उन्म घुसन दे। ओन उन्ख जान दियो।
33 तब दुष्ट आत्मायें ऊ आदमी म सी निकल क डुक्कर म गयी अऊर ऊ झुण्ड ढलान पर सी झपट क झील म जाय गिरयो अऊर डुब मरयो।
34 चरावन वालो न यो जो भयो होतो देख क भग्यो, अऊर नगर म अऊर गांव म जाय क ओको खबर दियो।
35 लोग यो जो भयो होतो ओख देखन ख निकल्यो, अऊर यीशु को जवर आय क जो आदमी सी दुष्ट आत्मायें निकली होती, ओख यीशु को पाय को जवर कपड़ा पहिन्यो सुदबुद म बैठ्यो हुयो देख्यो अऊर डर गयो;
36 अऊर देखन वालो न लोगों ख बतायो कि ऊ दुष्ट आत्मावों को सतायो हुयो आदमी कसो तरह सी अच्छो भयो।
37 तब गिरासेनियों को आजु बाजू को सब लोगों न यीशु सी बिनती करी कि हमरो इत सी चली जा; कहालीकि उन पर बड़ो डर छाय गयो होतो। येकोलायी ऊ डोंगा पर चढ़ क लौट गयो।
38 जो आदमी म सी दुष्ट आत्मायें निकली होती ऊ ओको सी बिनती करन लग्यो कि मोख अपनो संग रहन दे, पर यीशु न ओख बिदा कर क् कह्यो।
39 “अपनो घर ख लौट जा अऊर लोगों सी बताव कि परमेश्वर न तोरो लायी कसो बड़ो बड़ो काम करयो हंय।” ऊ जाय क पूरो नगर म प्रचार करन लग्यो कि यीशु न मोरो लायी कसो बड़ो-बड़ो काम करयो।
याईर की मरी बेटी अऊर एक रोगी बाई
(मत्ती ९:१८-२६; मरकुस ५:२१-४३)
40 जब यीशु लौट्यो त लोग ओको सी खुशी को संग मिल्यो, कहालीकि हि सब ओकी रस्ता देख रह्यो होतो।
41 इतनो म याईर नाम को एक आदमी जो यहूदियों को आराधनालय को मुखिया होतो, आयो अऊर यीशु को पाय पर गिर क ओको सी बिनती करन लग्यो कि मोरो घर चल।
42 कहालीकि ओकी बारा साल की एकलौती बेटी होती, अऊर वा मरन पर होती। जब यीशु जाय रह्यो होतो, तब लोग ओको पर गिरत पड़त होतो।
43 एक बाई जेक बारा साल सी खून बहन को रोग होतो, अऊर जो अपनी पूरी जीवन की कमायी बैद्धो को पीछू कुछ खर्चा कर लियो होती, तब भी कोयी को हाथ सी चंगी नहीं भय सकी,
44 भीड़ को पीछू सी आय क ओको कपड़ा को कोना ख छूयो, अऊर तुरतच ओको खून बहन की बीमारी सी ठीक भय गयी।
45 येख पर यीशु न कह्यो, “मोख कौन छूयो?” जब सब मुकरन लग्यो, त पतरस न कह्यो।
“हे मालिक, तोख त भीड़ दबाय रही हय अऊर तोरो पर गिर पड़य हय।”
46 पर यीशु न कह्यो, “कोयी न मोख छूयो हय, कहालीकि मय न जान लियो हय कि मोरो म सी सामर्थ निकली हय।”
47 जब बाई न देख्यो कि मय लूक नहीं सकू, तब कापती हुयी आयी अऊर ओको पाय पर गिर क सब लोगों को आगु बतायो कि ओन कौन्सो वजह सी ओख छूयो, अऊर कसी तुरतच चंगी भय गयी।
48 यीशु न ओको सी कह्यो, “बेटी, तोरो विश्वास न तोख चंगो करयो हय, शान्ति सी चली जा।”
49 यीशु यो कहतच रह्यो होतो कि कोयी न यहूदी आराधनालय को मुखिया को तरफ सी आय क कह्यो, “तोरी बेटी मर गयी: गुरु ख दु:ख मत दे।”
50 यीशु न यो सुन क याईर ख कह्यो, “मत डर; केवल विश्वास रख, त वा ठीक होय जायेंन।”
51 घर म आय क ओन पतरस, यूहन्ना, याकूब, अऊर बेटी को माय-बाप ख छोड़ दूसरों कोयी ख अपनो संग अन्दर आवन नहीं दियो।
52 सब ओको लायी विलाप कर क् रोय रह्यो होतो, पर यीशु न कह्यो, “रोवो मत; वा मरी नहाय पर सोय रही हय।”
53 हि यो जान क कि वा मर गयी हय ओकी हसी करन लग्यो।
54 पर यीशु न ओको हाथ पकड़्यो, अऊर पुकार क कह्यो, “हे बेटी, उठ!”
55 तब ओको जीव लौट आयो अऊर वा तुरतच उठ क खड़ी भय गयी। तब यीशु न आज्ञा दियो कि ओख कुछ खान ख दे।
56 ओको माय-बाप अचम्भित भयो, पर यीशु न उन्ख चितायो कि यो जो भयो हय कोयी सी मत कहजो।