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पूर्वजों की परम्परा को प्रश्न
(मत्ती १५:१-९)
तब फरीसी अऊर कुछ धर्मशास्त्री जो यरूशलेम सी आयो होतो, यीशु को जवर जमा भयो, लोगों न देख्यो फरीसियों की शिक्षा को अनुसार हाथ धोवनो होतो, पर चेलावों ख बिना हाथ धोयो रोटी खातो देख्यो।
कहालीकि फरीसी अऊर सब यहूदी, बुजूर्गों की रीति पर चलय हय अऊर जब तक हाथ नहीं धोय लेवय तब तक नहीं खावय; अऊर बजार सी लायी जो कुछ चिज ओख अपनी शिक्षा को अनुसार धोय नहीं लेवय, तब तक नहीं खावय; जसो कटोरा, कप, अऊर तांबो को बर्तन अऊर बिस्तर इतनो धोवन को अलग-अलग तरीका होतो।
येकोलायी उन फरीसियों अऊर धर्मशास्त्रियों न यीशु सी पुच्छ्यो, “तोरो चेला कहालीकि बुजूर्गों की परम्परावों पर नहीं चलय, अऊर बिना हाथ धोयो रोटी खावय हय?”
यीशु न उन्को सी कह्यो, यशायाह न तुम कपटियों को बारे म भविष्यवानी ठीकच करी! जसो लिख्यो हय:
हि लोग होठों सी त मोरो आदर करय हय,
पर उन्को मन मोरो सी दूर रह्य हय
हि बेकार मोरी भक्ति करय हय,
कहालीकि आदमियों को नियम ख
परमेश्वर को नियम आय असो कर क् सिखावय हय।
“कहालीकि तुम परमेश्वर की आज्ञा ख टालय हय अऊर आदमियों की शिक्षावों को पालन करय हय।”
यीशु न उन्को सी कह्यो, “तुम अपनी शिक्षावों ख बनायो रखन लायी परमेश्वर की आज्ञा ख टालन म चालाक भय गयो हय। 10 कहालीकि मूसा न कह्यो हय, ‘अपनो बाप अऊर माय को आदर करो,’ अऊर ‘जो कोयी बाप यां माय ख बुरो कहेंन, ओख निश्चित मार डाल्यो जायेंन।’ 11 पर तुम सिखावय हय कि यदि कोयी अपनो बाप यां माय सी कहेंन, मय जो कुछ तोख मदत कर सकत होतो, पर कह्य हय, ‘यो कुरबान हय’ जेको मतलब हय, यो परमेश्वर ख दान हय, 12 त असो आदमी ख अपनो बाप यां माय की सेवा नहीं करन को बहाना मिल जावय हय। 13 यो तरह सी तुम अपनो नियम बनाय क, परमेश्वर को शिक्षा टाल देवय हय; अऊर यो तरह सी बहुत सो काम करय हय।”
आदमी ख अशुद्ध करन वाली बात
(मत्ती १५:१०-२०)
14 तब यीशु न लोगों ख अपनो जवर बुलाय क उन्को सी कह्यो, “तुम सब मोरी बात सुनो, अऊर समझो। 15 असी कोयी चिज नहाय जो आदमी म बाहेर सी अन्दर जाय क अशुद्ध नहीं करय; पर जो चिज आदमी को अन्दर सी बाहेर निकलय हय, हिच ओख अशुद्ध करय हय। 16 जेको कान हय ऊ सुन ले।*
17 जब ऊ भीड़ को जवर सी घर म गयो, त ओको चेलावों न यो दृष्टान्त को बारे म समझावन ख कह्यो। 18 ओन उन्को सी कह्यो, “का तुम भी असो नासमझ हय? का तुम नहीं समझय कि जो चिज बाहेर सी आदमी को अन्दर जावय हय, ऊ ओख अशुद्ध नहीं कर सकय? 19 कहालीकि यो तुम्हरो दिल म नहीं, पर पेट म जावय हय, अऊर शरीर सी बाहेर निकल जावय हय?” यो कह्य क यीशु न सब खान की चिज ख शुद्ध ठहरायो हय।
20 तब ओन कह्यो, “जो बाते आदमी को अन्दर सी बाहेर निकलय हय, उच आदमी ख अशुद्ध करय हय। 21 कहालीकि अन्दर सी, अपनो दिल सी बुरो बिचार, अनैतिक काम, चोरी, यां मारनो, 22 व्यभिचार, लालच, कपट, ईर्ष्या, घमण्ड, अऊर मूर्खता 23 या सब बुरी बाते अन्दर सीच निकलय हय अऊर तुम्ख अशुद्ध करय हय।”
गैरयहूदी बाई को विश्वास
(मत्ती १५:२१-२८)
24 तब यीशु उत सी उठ क सूर अऊर सैदा को प्रदेश चली गयो। अऊर एक घर म गयो अऊर ऊ नहीं चाहत होतो कि कोयी ख पता चले, पर ऊ लूक्यो नहीं रह्य सक्यो। 25 एक बाई जेकी छोटी बेटी म दुष्ट आत्मा होती, यीशु की चर्चा सुन क आयी, अऊर ओको पाय पर गिर पड़ी। 26 या बाई गैरयहूदी होती या सिरीया को फिनीकी म पैदा भयी होती। ओन यीशु सी बिनती करी कि मोरी बेटी म सी दुष्ट आत्मा ख निकाल दे। 27 पर यीशु न कह्यो, “पहिले बच्चां ख सन्तुष्ट होन दे, कहालीकि बच्चां की रोटी ले क कुत्तावों को आगु डालनो ठीक नहाय।”
28 ओन ओख उत्तर दियो, “सच हय प्रभु; पर मेज को खल्लो कुत्ता भी त बच्चां को जूठन ख खावय हय।”
29 यीशु न ओको सी कह्यो, तय चली जा “तुम्हरो जवाब को वजह सी; दुष्ट आत्मा तोरी बेटी म सी निकल गयी हय!”
30 ओन अपनो घर आय क देख्यो कि बेटी खटिया पर पड़ी हय, अऊर दुष्ट आत्मा निकल गयी हय।
यीशु न बहिरा अऊर मुक्का आदमी ख चंगो करयो
31 तब यीशु सूर को प्रदेश सी निकल क सैदा को रस्ता सी गलील की झील पहुंच क दिकापुलिस म आयो। 32 त लोगों न एक बहिरा ख जो मुक्का भी होतो, ओको जवर लाय क ओको सी बिनती करी कि अपनो हाथ ओको पर रखे। 33 येकोलायी ऊ ओख भीड़ सी अलग ले गयो, अऊर अपनो बोट ओको कानो म डाली, अऊर थूक लगाय क ओकी जीबली ख छूयो; 34 अऊर यीशु स्वर्ग को तरफ देख क आह भरी, अऊर ओको सी कह्यो, “इप्फत्तह!” मतलब “खुल जा!”
35 अऊर आदमी को कान खुल गयो, अऊर ओकी जीबली की गाठ भी खुल गयी, अऊर ऊ साफ साफ बोलन लग्यो। 36 तब यीशु न लोगों ख आदेश दियो कि ऊ कोयी सी नहीं कहेंन; पर जितनो जादा ओन उन्ख आदेश दियो, उतनोच उन्न यो नहीं बतायो। 37 हि सुन क बहुतच अचम्भित भयो, “ऊ कितनो अच्छो तरह सी सब कुछ करय हय!” उन्न कह्यो। “ऊ बहिरा ख सुनन की, अऊर मुक्का ख बोलन की शक्ति देवय हय!”
* 7:16 कुछ हस्त लेख म यो वचन नहीं मिलय 7:31 दस नगर को बड़ो शहर