यसायाह
मुसन्निफ़ की पहचान
यसायाह की किताब अपने नाम को उसके मुसन्निफ़ से लेती है। उस ने एक नबिय्या से शादी की थी जिस से दो बेटे पैदा हुए। यसायाह (7:3; 8:3) उसने चार यहूदिया के बादशाहों के दौर — ए — हुकूमत में नबुव्वत की वह बादशाह हैं उज़्ज़ियाह, आख़ज़, यूताम और हिज़िक़ियाह।
लिखे जाने की तारीख़ और जगह
इस किताब की तस्नीफ़ की तारीख तक़रीबन 740 - 680 क़ब्ल मसीह के बीच है।
यह किताब उज़्ज़ियाह बादशाह की हुकूमत के आखि़र में और दीगर तीन बादशाह यूताम, आख़ज़ और हिज़िक़ियाह के दौर — ए — हुकूमत में लिखे गये।
क़बूल कुनिन्दा पाने वाले
सेबसे पहले ख़ास नाज़रीन व सामईन जिन से यसायाह मुख़ातब था वह थे यहूदिया के लोग जो ख़ुदा की शरीअत की ज़रूरत के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने में नाकाम थे।
असल मक़सूद
यसायाह का असल मक़्सद था कि पूरे पुराने अहदनामे में हमें येसू मसीह की एक वसी‘ नबुवती तस्वीर फ़राहम करे। यह उस की ज़िन्दगी की वुसअत को शामिल करता हैः येसू के दुबारा आमद का इशतिहार यसायाह (40:3 — 5), उस का कुंवारी से पैदा होना (7:14), उस के ख़ुशख़बरी की मनादी (61:1), उसकी ज़बीहाना मौत (52:13 — 53:12), और अपने ख़ुद का दावा करने के लिए उसका लौटना (60:2 — 3) सबसे पहले यसायाह की बुलाहट यहूदा की सलतनत के लिये नबुव्वत करने के लिए थी। यहूदाह बेदारी और बग़ावत के हालात से होकर गुज़र रहा था। यहूदाह को अश्शूरों और मिस्र ने बर्बाद करने की धमकी दी, मगर वह ख़ुद के रहम के सबब से बख़्शा दिया गया। गुनाहों से तौबा करने के लिए यसायाह ने मनादी की और मुसतक़बिल में ख़ुदा की नजात के लिये उम्मीद भरे तवक़्क़ो का इज़्हार किया।
मौज़’अ
नजात
बैरूनी ख़ाका
1. ख़ुदा की तरफ़ से यहूदिया को अपनी रहमत से दूर करना — 1:1-12:6
2. दीगर क़ौमों के खि़लाफ़ ख़ुदा की तरफ़ से अपनी रहमत से दूर करना — 13:1-23:18
3. मुसतक़बिल की बड़ी मुसीबत — 24:1-27:13
4. ख़ुदा की तरफ़ से इस्राईल और यहूदिया को अपनी रहमत से दूर करना — 28:1-35:10
5. हिजिकिय्यह और यशायाह की त्वारीख — 36:1-38:22
6. बाबेल का पसमंज़र — 39:1-47:15
7. तसल्ली और इतमिनान के लिए ख़ुदा का मन्सूबा — 48:1-66:24
1
1 यसा'याह बिन आमूस का ख़्वाब जो उसने यहूदाह और येरूशलेम के ज़रिए' यहूदाह के बादशाहों उज़ियाह और यूताम और आख़ज़ और हिज़क़ियाह के दिनों में देखा।
बग़ावत करने वाले यहूदा को पैगाम
2 सुन ऐ आसमान, और कान लगा ऐ ज़मीन, कि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है: “कि मैंने लड़कों को पाला और पोसा, लेकिन उन्होंने मुझ से सरकशी की।
3 बैल अपने मालिक को पहचानता है और गधा अपने मालिक की चरनी को, लेकिन बनी — इस्राईल नहीं जानते; मेरे लोग कुछ नहीं सोचते।”
4 आह, ख़ताकार गिरोह, बदकिरदारी से लदी हुई क़ौम बदकिरदारों की नसल मक्कार औलाद; जिन्होंने ख़ुदावन्द को छोड़ दिया, इस्राईल के क़ुददूस को हक़ीर जाना, और गुमराह — ओ — बरगश्ता हो गए!'
5 तुम क्यूँ ज़्यादा बग़ावत करके और मार खाओगे? तमाम सिर बीमार है और दिल बिल्कुल सुस्त है।
6 तलवे से लेकर चाँदी तक उसमें कहीं सेहत नहीं सिर्फ़ ज़ख़्म और चोट और सड़े हुए घाव ही हैं; जो न दबाए गए, न बाँधे गए, न तेल से नर्म किए गए हैं।
7 तुम्हारा मुल्क उजाड़ है, तुम्हारी बस्तियाँ जल गईं; लेकिन परदेसी तुम्हारी ज़मीन को तुम्हारे सामने निगलते हैं, वह वीरान है, जैसे उसे अजनबी लोगों ने उजाड़ा है।
8 और सिय्यून की बेटी छोड़ दी गई है, जैसे झोपड़ी बाग़ में और छप्पर ककड़ी के खेत में या उस शहर की तरह जो महसूर हो गया हो।
9 अगर रब्ब — उल — अफ़वाज हमारा थोड़ा सा बक़िया बाक़ी न छोड़ता, तो हम सदूम की तरह और 'अमूरा की तरह हो जाते।
10 सदूम के हाकिमो, का कलाम सुनो! के लोगों, ख़ुदा की शरी'अत पर कान लगाओ!
11 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, तुम्हारे ज़बीहों की कसरत से मुझे क्या काम? मैं मेंढों की सोख़्तनी कु़र्बानियों से और फ़र्बा बछड़ों की चर्बी से बेज़ार हूँ; और बैलों और भेड़ों और बकरों के ख़ून में मेरी ख़ुशनूदी नहीं।
12 “जब तुम मेरे सामने आकर मेरे दीदार के तालिब होते हो, तो कौन तुम से ये चाहता है कि मेरी बारगाहों को रौंदो?
13 आइन्दा को बातिल हदिये न लाना, ख़ुशबू से मुझे नफ़रत है, नये चाँद और सबत और 'ईदी जमा'अत से भी; क्यूँकि मुझ में बदकिरदारी के साथ 'ईद की बर्दाश्त नहीं।
14 मेरे दिल को तुम्हारे नये चाँदों और तुम्हारी मुक़र्ररा 'ईदों से नफ़रत है; वह मुझ पर बार हैं; मैं उनकी बर्दाश्त नहीं कर सकता।
15 जब तुम अपने हाथ फैलाओगे, तो मैं तुम से आँख फेर लूँगा; हाँ, जब तुम दुआ पर दुआ करोगे, तो मैं न सुनूँगा; तुम्हारे हाथ तो ख़ून आलूदा हैं।
16 अपने आपको धो, अपने आपको पाक करो; अपने बुरे कामों को मेरी आँखों के सामने से दूर करो, बदफ़ेली से बाज़ आओ,
17 नेकोकारी सीखो; इन्साफ़ के तालिब हो मज़लूमों की मदद करो यतीमों की फ़रियादरसी करो, बेवाओं के हामी हो।”
18 अब ख़ुदावन्द फ़रमाता है, “आओ, हम मिलकर हुज्जत करें; अगरचे तुम्हारे गुनाह क़िर्मिज़ी हों, वह बर्फ़ की तरह सफ़ेद हो जाएँगे; और हर चन्द वह अर्ग़वानी हों, तोभी ऊन की तरह उजले होंगे।
19 अगर तुम राज़ी और फ़रमाबरदार हो, तो ज़मीन के अच्छे अच्छे फल खाओगे;
20 लेकिन अगर तुम इन्कार करो और बाग़ी हो तो तलवार का लुक़्मा हो जाओगे क्यूँकि ख़ुदावन्द ने अपने मुँह से ये फ़रमाया है।”
21 वफ़ादार बस्ती कैसी बदकार हो गई! वह तो इन्साफ़ से मा'मूर थी और रास्तबाज़ी उसमें बसती थी, लेकिन अब ख़ूनी रहते हैं।
22 तेरी चाँदी मैल हो गई, तेरी मय में पानी मिल गया।
23 तेरे सरदार गर्दनकश और चोरों के साथी हैं। उनमें से हर एक रिश्वत दोस्त और इन'आम का तालिब है। वह यतीमों का इन्साफ़ नहीं करते और बेवाओं की फ़रियाद उन तक नहीं पहुँचती।
24 इसलिए ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का क़ादिर, यूँ फ़रमाता है: कि “आह मैं ज़रूर अपने मुख़ालिफ़ों से आराम पाऊँगा, और अपने दुश्मनों से इन्तक़ाम लूँगा।
25 और मैं तुझ पर अपना हाथ बढ़ाऊँगा, और तेरी गन्दगी बिल्कुल दूर कर दूँगा, और उस राँगे को जो तुझ में मिला है जुदा करूँगा;
26 और मैं तेरे क़ाज़ियों को पहले की तरह और तेरे सलाहकारों को पहले के मुताबिक़ बहाल करूँगा। इसके बाद तू रास्तबाज़ बस्ती और वफ़ादार आबादी कहलाएगी।”
27 सिय्यून 'अदालत की वजह से और वह जो उसमें गुनाह से बाज़ आए हैं, रास्तबाज़ी के ज़रिए' नजात पाएँगे;
28 लेकिन गुनाहगार और बदकिरदार सब इकट्ठे हलाक होंगे, और जो ख़ुदावन्द से बाग़ी हुए फ़ना किए जाएँगे।
29 क्यूँकि वह उन बलूतों से, जिनको तुम ने चाहा शर्मिन्दा होंगे; और तुम उन बाग़ों से, जिनको तुम ने पसन्द किया है ख़जिल होगे।
30 और तुम उस बलूत की तरह हो जाओगे जिसके पत्ते झड़ जाएँ, और उस बाग़ की तरह जो बेआबी से सूख जाए।
31 वहाँ का पहलवान ऐसा हो जाएगा जैसा सन, और उसका काम चिंगारी हो जाएगा; वह दोनों एक साथ जल जाएँगे, और कोई उनकी आग न बुझाएगा।