अहबार
मुसन्निफ़ की पहचान
मुसन्निफ़ की पहचान का मुआमला किताब की इखतितामी आयत से तहवील किया जाता है, जो यह बताती ही कि जो अहकाम खुदावंद ने कोह — ए — सीने पर बनी इस्राईल के लिए मूसा को दिए वह यही हैं (27:34, 7:38; 25:1; 26:46) तवारीख़ की किताब कई एक तारीख़ी कैफ़ियतें पेश करती है जो शरीयत से ता’ल्लुक रखती हैं (8:10; 24:10 — 23) अह्बार का लफ्ज़ लावी के कबीले से लिया गया है जिस के अरकान खुदावंद की तरफ़ से काहिन और इबादत के रहनुमा बतौर मुक़र्रर थे — अह्बार की किताब लावियों के मुआमलात ज़िम्मेवारियों और दीगर कई एक बातों से मुखातब है — अहम् तौर से तमाम काहिनों को सिखाया और समझाया गया था कि किस तरह लोगों को उनकी इबादत में रहनुमाई करें, और लोगों को मतला’ किया था कि किस तरह एक पाक ज़िन्दगी जियें।
लिखे जाने की तारीख़ और जगह
इसके तसनीफ़ की तारीख़ तक़रीबन 1446 - 1405 क़ब्ल मसीह है।
अह्बार की किताब में जो शरीयत के क़ानून पाए जाते हैं वह खुदा के ज़रिये मूसा को कहे गए थे या सीना पहाड़ के नज़दीक कहे गए थे जहां बनी इस्राईल कुछ दिनों के लिए क़याम किए हुए थे।
क़बूल कुनिन्दा पाने वाले
इस किताब को काहिनों, लावियों, बनी इस्राईल कौम और उन की आने वाली पीदिके लिए लिखा गया था।
असल मक़सूद
अह्बार की किताब खेमा — ए — इज्तिमा से मूसा को बुलाये जाने से शुरू होता है अह्बार की किताब इन छुडाए हुए लोगों की बाबत वाज़ेह करती है कि किस तरह उन्हें अपने जलाली खुदा के साथ जो अब उन के दरमियान रहता है रिफाक़त रखें — बनी इस्राईल कौम ने अभी हाल ही में मिस्र और उस की तहज़ीब और मज़हब को छोड़ा है और कनान में दाखिल हुए हैं जहां दूसरी तहज़ीब और मज़हब कौम पर तासीर करेगी अह्बार की किताब बनी इस्राईल के लिए यह मुआहदा फ़राहम करता है कि यहाँ की तहज़ीब से अलग होकर पाक बने रहें और यह्वे के लिए वफ़ादार बने रहें।
मौज़’अ
सिखाना और समझाना।
बैरूनी ख़ाका
1. नज़रों की बाबत हिदायात — 1:1-7:38
2. खुदा के काहिनों के लिए हिदायात — 8:1-10:20
3. खुदा के लोगों के लिए हिदायात — 11:1-15:33
4. कुर्बान्गाह और कफ्फारा के दिन के लिए हिदायात — 16:1-34
5. पाकीज़गी को अमली जामा पहनाना — 17:1-22:33
6. सबतें, ईदें, सालाना मज़हबी तेहवार — 23:1-25:55
7. खुदा की बरकत हासिल करने के लिए शर्तें — 26:1-27:34
1
जलाए जाने वाली कुर्बानी के कायदे
1 और ख़ुदावन्द ने ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में से मूसा को बुलाकर उससे कहा,
2 बनी — इस्राईल से कह, कि जब तुम में से कोई ख़ुदावन्द के लिए चढ़ावा चढ़ाए, तो तुम चौपायों या'नी गाय — बैल और भेड़ — बकरी का हदिया देना।
3 अगर उसका चढ़ावा गाय — बैल की सोख़्तनी क़ुर्बानी हो, तो वह बे'ऐब नर को लाकर उसे ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर चढ़ाए ताकि वह ख़ुद ख़ुदावन्द के सामने मक़बूल ठहरे।
4 और वह सोख़्तनी क़ुर्बानी के जानवर के सिर पर अपना हाथ रख्खे, तब वह उसकी तरफ़ से मक़बूल होगा ताकि उसके लिए कफ़्फ़ारा हो।
5 और वह उस बछड़े को ख़ुदावन्द के सामने ज़बह करे, और हारून के बेटे जो काहिन हैं ख़ून को लाकर उसे उस मज़बह पर चारों तरफ़ छिड़कें जो ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर है।
6 तब वह उस सोख़्तनी क़ुर्बानी के जानवर की खाल खींचे और उसके 'उज़्व — 'उज़्व को काट कर जुदा — जुदा करे।
7 फिर हारून काहिन के बेटे मज़बह पर आग रख्खें, और आग पर लकड़ियाँ तरतीब से चुन दें।
8 और हारून के बेटे जो काहिन हैं, उसके 'आज़ा को और सिर और चर्बी को उन लकड़ियों पर जो मज़बह की आग पर होंगी तरतीब से रख दें।
9 लेकिन वह उसकी अंतड़ियों और पायों को पानी से धो ले, तब काहिन सबको मज़बह पर जलाए कि वह सोख़्तनी क़ुर्बानी या'नी ख़ुदावन्द के लिए राहतअंगेज़ ख़ुशबू की आतिशी क़ुर्बानी हों।
10 और अगर उसका चढ़ावा रेवड़ में से भेड़ या बकरी की सोख़्तनी क़ुर्बानी हो, तो वह बे — 'ऐब नर को लाए।
11 और वह उसे मज़बह की उत्तरी सिम्त में ख़ुदावन्द के आगे ज़बह करे, और हारून के बेटे जो काहिन हैं उसके ख़ून को मज़बह पर चारों तरफ़ छिड़कें।
12 फिर वह उसके 'उज़्व — 'उज़्व को और सिर और चर्बी को काट कर जुदा — जुदा करे, और काहिन उनकी तरतीब से उन लकड़ियों पर जो मज़बह की आग पर होंगी चुन दे;
13 लेकिन वह अंतड़ियों और पायों को पानी से धो ले। तब काहिन सबको लेकर मज़बह पर जला दे, वह सोख़्तनी क़ुर्बानी या'नी ख़ुदावन्द के लिए राहतअंगेज़ ख़ूशबू की आतिशी क़ुर्बानी है।
14 “और अगर उसका चढ़ावा ख़ुदावन्द के लिए परिन्दों की सोख़्तनी क़ुर्बानी हो, तो वह कुमरियों या कबूतर के बच्चों का चढ़ावा चढ़ाए।
15 और काहिन उसको मज़बह पर लाकर उसका सिर मरोड़ डाले, और उसे मज़बह पर जला दे; और उसका ख़ून मज़बह के पहलू पर गिर जाने दे।
16 और उसके पोटे को आलाइश के साथ ले जाकर मज़बह की पूरबी सिम्त में राख की जगह में डाल दे।
17 और वह उसके दोनों बाज़ुओं को पकड़ कर उसे चीरे पर अलग — अलग न करे। तब काहिन उसे मज़बह पर उन लकड़ियों के ऊपर रख कर जो आग पर होंगी जला दे, वह सोख़्तनी क़ुर्बानी या'नी ख़ुदावन्द के लिए राहतअंगेज़ ख़ुशबू की आतिशी क़ुर्बानी है।