11
अल्लाह की यरूशलम के बुज़ुर्गों के लिए सख़्त सज़ा
तब रूह मुझे उठाकर रब के घर के मशरिक़ी दरवाज़े के पास ले गया। वहाँ दरवाज़े पर 25 मर्द खड़े थे। मैंने देखा कि क़ौम के दो बुज़ुर्ग याज़नियाह बिन अज़्ज़ूर और फ़लतियाह बिन बिनायाह भी उनमें शामिल हैं। रब ने फ़रमाया, “ऐ आदमज़ाद, यह वही मर्द हैं जो शरीर मनसूबे बाँध रहे और यरूशलम में बुरे मशवरे दे रहे हैं। यह कहते हैं, ‘आनेवाले दिनों में घर तामीर करने की ज़रूरत नहीं। हमारा शहर तो देग है जबकि हम उसमें पकनेवाला बेहतरीन गोश्त हैं।’ आदमज़ाद, चूँकि वह ऐसी बातें करते हैं इसलिए नबुव्वत कर! उनके ख़िलाफ़ नबुव्वत कर!”
तब रब का रूह मुझ पर आ ठहरा, और उसने मुझे यह पेश करने को कहा, “रब फ़रमाता है, ‘ऐ इसराईली क़ौम, तुम इस क़िस्म की बातें करते हो। मैं तो उन ख़यालात से ख़ूब वाक़िफ़ हूँ जो तुम्हारे दिलों से उभरते रहते हैं। तुमने इस शहर में मुतअद्दिद लोगों को क़त्ल करके उस की गलियों को लाशों से भर दिया है।’
चुनाँचे रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, ‘बेशक शहर देग है, लेकिन तुम उसमें पकनेवाला अच्छा गोश्त नहीं होगे बल्कि वही जिनको तुमने उसके दरमियान क़त्ल किया है। तुम्हें मैं इस शहर से निकाल दूँगा। जिस तलवार से तुम डरते हो, उसी को मैं तुम पर नाज़िल करूँगा।’ यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है। ‘मैं तुम्हें शहर से निकालूँगा और परदेसियों के हवाले करके तुम्हारी अदालत करूँगा। 10 तुम तलवार की ज़द में आकर मर जाओगे। इसराईल की हुदूद पर ही मैं तुम्हारी अदालत करूँगा। तब तुम जान लोगे कि मैं ही रब हूँ। 11 चुनाँचे न यरूशलम शहर तुम्हारे लिए देग होगा, न तुम उसमें बेहतरीन गोश्त होगे बल्कि मैं इसराईल की हुदूद ही पर तुम्हारी अदालत करूँगा। 12 तब तुम जान लोगे कि मैं ही रब हूँ, जिसके अहकाम के मुताबिक़ तुमने ज़िंदगी नहीं गुज़ारी। क्योंकि तुमने मेरे उसूलों की पैरवी नहीं की बल्कि अपनी पड़ोसी क़ौमों के उसूलों की’।”
13 मैं अभी इस पेशगोई का एलान कर रहा था कि फ़लतियाह बिन बिनायाह फ़ौत हुआ। यह देखकर मैं मुँह के बल गिर गया और बुलंद आवाज़ से चीख़ उठा, “हाय, हाय! ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, क्या तू इसराईल के बचे-खुचे हिस्से को सरासर मिटाना चाहता है?”
अल्लाह इसराईल को बहाल करेगा
14 रब मुझसे हमकलाम हुआ, 15 “ऐ आदमज़ाद, यरूशलम के बाशिंदे तेरे भाइयों, तेरे रिश्तेदारों और बाबल में जिलावतन हुए तमाम इसराईलियों के बारे में कह रहे हैं, ‘यह लोग रब से कहीं दूर हो गए हैं, अब इसराईल हमारे ही क़ब्ज़े में है।’ 16 जो इस क़िस्म की बातें करते हैं उन्हें जवाब दे, रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि जी हाँ, मैंने उन्हें दूर दूर भगा दिया, और अब वह दीगर क़ौमों के दरमियान ही रहते हैं। मैंने ख़ुद उन्हें मुख़्तलिफ़ ममालिक में मुंतशिर कर दिया, ऐसे इलाक़ों में जहाँ उन्हें मक़दिस में मेरे हुज़ूर आने का मौक़ा थोड़ा ही मिलता है। 17 लेकिन रब क़ादिरे-मुतलक़ यह भी फ़रमाता है, ‘मैं तुम्हें दीगर क़ौमों में से निकाल लूँगा, तुम्हें उन मुल्कों से जमा करूँगा जहाँ मैंने तुम्हें मुंतशिर कर दिया था। तब मैं तुम्हें मुल्के-इसराईल दुबारा अता करूँगा।’
18 फिर वह यहाँ आकर तमाम मकरूह बुत और घिनौनी चीज़ें दूर करेंगे। 19 उस वक़्त मैं उन्हें एक ही दिल बख़्शकर उनमें नई रूह डालूँगा। मैं उनका संगीन दिल निकालकर उन्हें गोश्त-पोस्त का नरम दिल अता करूँगा। 20 तब वह मेरे अहकाम के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारेंगे और ध्यान से मेरी हिदायात पर अमल करेंगे। वह मेरी क़ौम होंगे, और मैं उनका ख़ुदा हूँगा। 21 लेकिन जिन लोगों के दिल उनके घिनौने बुतों से लिपटे रहते हैं उनके सर पर मैं उनके ग़लत काम का मुनासिब अज्र लाऊँगा। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।”
रब यरूशलम को छोड़ देता है
22 फिर करूबी फ़रिश्तों ने अपने परों को फैलाया, उनके पहिये हरकत में आ गए और ख़ुदाए-इसराईल का जलाल जो उनके ऊपर था 23 उठकर शहर से निकल गया। चलते चलते वह यरूशलम के मशरिक़ में वाक़े पहाड़ पर ठहर गया। 24 अल्लाह के रूह से दी गई रोया में रूह मुझे उठाकर मुल्के-बाबल के जिलावतनों के पास वापस ले गया। फिर रोया ख़त्म हुई, 25 और मैंने जिलावतनों को सब कुछ सुनाया जो रब ने मुझे दिखाया था।