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मिसर को सज़ा मिलेगी
1 यहूयाकीन बादशाह की जिलावतनी के दसवें साल में रब मुझसे हमकलाम हुआ। दसवें महीने का 11वाँ दिन था। रब ने फ़रमाया,
2 “ऐ आदमज़ाद, मिसर के बादशाह फ़िरौन की तरफ़ रुख़ करके उसके और तमाम मिसर के ख़िलाफ़ नबुव्वत कर!
3 उसे बता, ‘रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ शाहे-मिसर फ़िरौन, मैं तुझसे निपटने को हूँ। बेशक तू एक बड़ा अज़दहा है जो दरियाए-नील की मुख़्तलिफ़ शाख़ों के बीच में लेटा हुआ कहता है कि यह दरिया मेरा ही है, मैंने ख़ुद उसे बनाया।
4 लेकिन मैं तेरे मुँह में काँटे डालकर तुझे दरिया से निकाल लाऊँगा। मेरे कहने पर तेरी नदियों की तमाम मछलियाँ तेरे छिलकों के साथ लगकर तेरे साथ पकड़ी जाएँगी।
5 मैं तुझे इन तमाम मछलियों समेत रेगिस्तान में फेंक छोड़ूँगा। तू खुले मैदान में गिरकर पड़ा रहेगा। न कोई तुझे इकट्ठा करेगा, न जमा करेगा बल्कि मैं तुझे दरिंदों और परिंदों को खिला दूँगा।
6 तब मिसर के तमाम बाशिंदे जान लेंगे कि मैं ही रब हूँ।
तू इसराईल के लिए सरकंडे की कच्ची छड़ी साबित हुआ है।
7 जब उन्होंने तुझे पकड़ने की कोशिश की तो तूने टुकड़े टुकड़े होकर उनके कंधे को ज़ख़मी कर दिया। जब उन्होंने अपना पूरा वज़न तुझ पर डाला तो तू टूट गया, और उनकी कमर डाँवाँडोल हो गई।
8 इसलिए रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं तेरे ख़िलाफ़ तलवार भेजूँगा जो मुल्क में से इनसानो-हैवान मिटा डालेगी।
9 मुल्के-मिसर वीरानो-सुनसान हो जाएगा। तब वह जान लेंगे कि मैं ही रब हूँ।
चूँकि तूने दावा किया, “दरियाए-नील मेरा ही है, मैंने ख़ुद उसे बनाया”
10 इसलिए मैं तुझसे और तेरी नदियों से निपट लूँगा। मिसर में हर तरफ़ खंडरात नज़र आएँगे। शिमाल में मिजदाल से लेकर जुनूबी शहर असवान बल्कि एथोपिया की सरहद तक मैं मिसर को वीरानो-सुनसान कर दूँगा।
11 न इनसान और न हैवान का पाँव उसमें से गुज़रेगा। चालीस साल तक उसमें कोई नहीं बसेगा।
12 इर्दगिर्द के दीगर तमाम ममालिक की तरह मैं मिसर को भी उजाड़ूँगा, इर्दगिर्द के दीगर तमाम शहरों की तरह मैं मिसर के शहर भी मलबे के ढेर बना दूँगा। चालीस साल तक उनकी यही हालत रहेगी। साथ साथ मैं मिसरियों को मुख़्तलिफ़ अक़वामो-ममालिक में मुंतशिर कर दूँगा।
13 लेकिन रब क़ादिरे-मुतलक़ यह भी फ़रमाता है कि चालीस साल के बाद मैं मिसरियों को उन ममालिक से निकालकर जमा करूँगा जहाँ मैंने उन्हें मुंतशिर कर दिया था।
14 मैं मिसर को बहाल करके उन्हें उनके आबाई वतन यानी जुनूबी मिसर में वापस लाऊँगा। वहाँ वह एक ग़ैरअहम सलतनत क़ायम करेंगे
15 जो बाक़ी ममालिक की निसबत छोटी होगी। आइंदा वह दीगर क़ौमों पर अपना रोब नहीं डालेंगे। मैं ख़ुद ध्यान दूँगा कि वह आइंदा इतने कमज़ोर रहें कि दीगर क़ौमों पर हुकूमत न कर सकें।
16 आइंदा इसराईल न मिसर पर भरोसा करने और न उससे लिपट जाने की आज़माइश में पड़ेगा। तब वह जान लेंगे कि मैं ही रब क़ादिरे-मुतलक़ हूँ’।”
शाहे-बाबल को मिसर मिलेगा
17 यहूयाकीन बादशाह की जिलावतनी के 27वें साल में रब मुझसे हमकलाम हुआ। पहले महीने का पहला दिन था। उसने फ़रमाया,
18 “ऐ आदमज़ाद, जब शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र ने सूर का मुहासरा किया तो उस की फ़ौज को सख़्त मेहनत करनी पड़ी। हर सर गंजा हुआ, हर कंधे की जिल्द छिल गई। लेकिन न उसे और न उस की फ़ौज को मेहनत का मुनासिब अज्र मिला।
19 इसलिए रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र को मिसर दे दूँगा। उस की दौलत को वह उठाकर ले जाएगा। अपनी फ़ौज को पैसे देने के लिए वह मिसर को लूट लेगा।
20 चूँकि नबूकदनज़्ज़र और उस की फ़ौज ने मेरे लिए ख़ूब मेहनत-मशक़्क़त की इसलिए मैंने उसे मुआवज़े के तौर पर मिसर दे दिया है। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।
21 जब यह कुछ पेश आएगा तो मैं इसराईल को नई ताक़त दूँगा। ऐ हिज़क़ियेल, उस वक़्त मैं तेरा मुँह खोल दूँगा, और तू दुबारा उनके दरमियान बोलेगा। तब वह जान लेंगे कि मैं ही रब हूँ।”