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इमामों के लिए मख़सूस कमरे
इसके बाद हम दुबारा बैरूनी सहन में आए। मेरा राहनुमा मुझे रब के घर के शिमाल में वाक़े एक इमारत के पास ले गया जो रब के घर के पीछे यानी मग़रिब में वाक़े इमारत के मुक़ाबिल थी। यह इमारत 175 फ़ुट लंबी और साढ़े 87 फ़ुट चौड़ी थी।
उसका रुख़ अंदरूनी सहन की उस खुली जगह की तरफ़ था जो 35 फ़ुट चौड़ी थी। दूसरा रुख़ बैरूनी सहन के पक्के फ़र्श की तरफ़ था।
मकान की तीन मनज़िलें थीं। दूसरी मनज़िल पहली की निसबत कम चौड़ी और तीसरी दूसरी की निसबत कम चौड़ी थी। मकान के शिमाली पहलू में एक गुज़रगाह थी जो एक सिरे से दूसरे सिरे तक ले जाती थी। उस की लंबाई 175 फ़ुट और चौड़ाई साढ़े 17 फ़ुट थी। कमरों के दरवाज़े सब शिमाल की तरफ़ खुलते थे। 5-6 दूसरी मनज़िल के कमरे पहली मनज़िल की निसबत कम चौड़े थे ताकि उनके सामने टैरस हो। इसी तरह तीसरी मनज़िल के कमरे दूसरी की निसबत कम चौड़े थे। इस इमारत में सहन की दूसरी इमारतों की तरह सतून नहीं थे।
कमरों के सामने एक बैरूनी दीवार थी जो उन्हें बैरूनी सहन से अलग करती थी। उस की लंबाई साढ़े 87 फ़ुट थी, क्योंकि बैरूनी सहन की तरफ़ कमरों की मिल मिलाकर लंबाई साढ़े 87 फ़ुट थी अगरचे पूरी दीवार की लंबाई 175 फ़ुट थी। बैरूनी सहन से इस इमारत में दाख़िल होने के लिए मशरिक़ की तरफ़ से आना पड़ता था। वहाँ एक दरवाज़ा था।
10 रब के घर के जुनूब में उस जैसी एक और इमारत थी जो रब के घर के पीछेवाली यानी मग़रिबी इमारत के मुक़ाबिल थी। 11 उसके कमरों के सामने भी मज़कूरा शिमाली इमारत जैसी गुज़रगाह थी। उस की लंबाई और चौड़ाई, डिज़ायन और दरवाज़े, ग़रज़ सब कुछ शिमाली मकान की मानिंद था। 12 कमरों के दरवाज़े जुनूब की तरफ़ थे, और उनके सामने भी एक हिफ़ाज़ती दीवार थी। बैरूनी सहन से इस इमारत में दाख़िल होने के लिए मशरिक़ से आना पड़ता था। उसका दरवाज़ा भी गुज़रगाह के शुरू में था।
13 उस आदमी ने मुझसे कहा, “यह दोनों इमारतें मुक़द्दस हैं। जो इमाम रब के हुज़ूर आते हैं वह इन्हीं में मुक़द्दसतरीन क़ुरबानियाँ खाते हैं। चूँकि यह कमरे मुक़द्दस हैं इसलिए इमाम इनमें मुक़द्दसतरीन क़ुरबानियाँ रखेंगे, ख़ाह ग़ल्ला, गुनाह या क़ुसूर की क़ुरबानियाँ क्यों न हों। 14 जो इमाम मक़दिस से निकलकर बैरूनी सहन में जाना चाहें उन्हें इन कमरों में वह मुक़द्दस लिबास उतारकर छोड़ना है जो उन्होंने रब की ख़िदमत करते वक़्त पहने हुए थे। लाज़िम है कि वह पहले अपने कपड़े बदलें, फिर ही वहाँ जाएँ जहाँ बाक़ी लोग जमा होते हैं।”
बाहर से रब के घर की चारदीवारी की पैमाइश
15 रब के घर के इहाते में सब कुछ नापने के बाद मेरा राहनुमा मुझे मशरिक़ी दरवाज़े से बाहर ले गया और बाहर से चारदीवारी की पैमाइश करने लगा। 16-20 फ़ीते से पहले मशरिक़ी दीवार नापी, फिर शिमाली, जुनूबी और मग़रिबी दीवार। हर दीवार की लंबाई 875 फ़ुट थी। इस चारदीवारी का मक़सद यह था कि जो कुछ मुक़द्दस है वह उससे अलग किया जाए जो मुक़द्दस नहीं है।