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इमामों के लिबास
अपने भाई हारून और उसके बेटों नदब, अबीहू, इलियज़र और इतमर को बुला। मैंने उन्हें इसराईलियों में से चुन लिया है ताकि वह इमामों की हैसियत से मेरी ख़िदमत करें। अपने भाई हारून के लिए मुक़द्दस लिबास बनवाना जो पुरवक़ार और शानदार हों। लिबास बनाने की ज़िम्मादारी उन तमाम लोगों को देना जो ऐसे कामों में माहिर हैं और जिनको मैंने हिकमत की रूह से भर दिया है। क्योंकि जब हारून को मख़सूस किया जाएगा और वह मुक़द्दस ख़ैमे की ख़िदमत सरंजाम देगा तो उसे इन कपड़ों की ज़रूरत होगी।
उसके लिए यह लिबास बनाने हैं : सीने का कीसा, बालापोश, चोग़ा, बुना हुआ ज़ेरजामा, पगड़ी और कमरबंद। यह कपड़े अपने भाई हारून और उसके बेटों के लिए बनवाने हैं ताकि वह इमाम के तौर पर ख़िदमत कर सकें। इन कपड़ों के लिए सोना और नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग का धागा और बारीक कतान इस्तेमाल किया जाए।
हारून का बालापोश
बालापोश को भी सोने और नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग के धागे और बारीक कतान से बनाना है। उस पर किसी माहिर कारीगर से कढ़ाई का काम करवाया जाए। उस की दो पट्टियाँ हों जो कंधों पर रखकर सामने और पीछे से बालापोश के साथ लगी हों। इसके अलावा एक पटका बुनना है जिससे बालापोश को बाँधा जाए और जो बालापोश के साथ एक टुकड़ा हो। उसके लिए भी सोना, नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग का धागा और बारीक कतान इस्तेमाल किया जाए।
फिर अक़ीक़े-अहमर के दो पत्थर चुनकर उन पर इसराईल के बारह बेटों के नाम कंदा करना। 10 हर जौहर पर छः छः नाम उनकी पैदाइश की तरतीब के मुताबिक़ कंदा किए जाएँ। 11 यह नाम उस तरह जौहरों पर कंदा किए जाएँ जिस तरह मुहर कंदा की जाती है। फिर दोनों जौहर सोने के ख़ानों में जड़कर 12 बालापोश की दो पट्टियों पर ऐसे लगाना कि कंधों पर आ जाएँ। जब हारून मेरे हुज़ूर आएगा तो जौहरों पर के यह नाम उसके कंधों पर होंगे और मुझे इसराईलियों की याद दिलाएँगे।
13 सोने के ख़ाने बनाना 14 और ख़ालिस सोने की दो ज़ंजीरें जो डोरी की तरह गुंधी हुई हों। फिर इन दो ज़ंजीरों को सोने के ख़ानों के साथ लगाना।
सीने का कीसा
15 सीने के लिए कीसा बनाना। उसमें वह क़ुरे पड़े रहें जिनकी मारिफ़त मेरी मरज़ी मालूम की जाएगी। माहिर कारीगर उसे उन्हीं चीज़ों से बनाए जिनसे हारून का बालापोश बनाया गया है यानी सोने और नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग के धागे और बारीक कतान से। 16 जब कपड़े को एक दफ़ा तह किया गया हो तो कीसे की लंबाई और चौड़ाई नौ नौ इंच हो।
17 उस पर चार क़तारों में जवाहर जड़ना। हर क़तार में तीन तीन जौहर हों। पहली क़तार में लाल, * ज़बरजद और ज़ुमुर्रद। 18 दूसरी में फ़ीरोज़ा, संगे-लाजवर्द और हजरुल-क़मर। § 19 तीसरी में ज़रक़ोन, * अक़ीक़ और याक़ूते-अरग़वानी। 20 चौथी में पुखराज, § अक़ीक़े-अहमर * और यशब। हर जौहर सोने के ख़ाने में जड़ा हुआ हो। 21 यह बारह जवाहर इसराईल के बारह क़बीलों की नुमाइंदगी करते हैं। एक एक जौहर पर एक क़बीले का नाम कंदा किया जाए। यह नाम उस तरह कंदा किए जाएँ जिस तरह मुहर कंदा की जाती है।
22 सीने के कीसे पर ख़ालिस सोने की दो ज़ंजीरें लगाना जो डोरी की तरह गुंधी हुई हों। 23 उन्हें लगाने के लिए दो कड़े बनाकर कीसे के ऊपर के दो कोनों पर लगाना। 24 अब दोनों ज़ंजीरें उन दो कड़ों से लगाना। 25 उनके दूसरे सिरे बालापोश की कंधोंवाली पट्टियों के दो ख़ानों के साथ जोड़ देना, फिर सामने की तरफ़ लगाना। 26 कीसे के निचले दो कोनों पर भी सोने के दो कड़े लगाना। वह अंदर, बालापोश की तरफ़ लगे हों। 27 अब दो और कड़े बनाकर बालापोश की कंधोंवाली पट्टियों पर लगाना। यह भी सामने की तरफ़ लगे हों लेकिन नीचे, बालापोश के पटके के ऊपर ही। 28 सीने के कीसे के निचले कड़े नीली डोरी से बालापोश के इन निचले कड़ों के साथ बाँधे जाएँ। यों कीसा पटके के ऊपर अच्छी तरह सीने के साथ लगा रहेगा।
29 जब भी हारून मक़दिस में दाख़िल होकर रब के हुज़ूर आएगा वह इसराईली क़बीलों के नाम अपने दिल पर सीने के कीसे की सूरत में साथ ले जाएगा। यों वह क़ौम की याद दिलाता रहेगा।
30 सीने के कीसे में दोनों क़ुरे बनाम ऊरीम और तुम्मीम रखे जाएँ। वह भी मक़दिस में रब के सामने आते वक़्त हारून के दिल पर हों। यों जब हारून रब के हुज़ूर होगा तो रब की मरज़ी पूछने का वसीला हमेशा उसके दिल पर होगा।
हारून का चोग़ा
31 चोग़ा भी बुनना। वह पूरी तरह नीले धागे से बनाया जाए। चोग़े को बालापोश से पहले पहना जाए। 32 उसके गरेबान को बुने हुए कालर से मज़बूत किया जाए ताकि वह न फटे। 33 नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग के धागे से अनार बनाकर उन्हें चोग़े के दामन में लगा देना। उनके दरमियान सोने की घंटियाँ लगाना। 34 दामन में अनार और घंटियाँ बारी बारी लगाना।
35 हारून ख़िदमत करते वक़्त हमेशा चोग़ा पहने। जब वह मक़दिस में रब के हुज़ूर आएगा और वहाँ से निकलेगा तो घंटियाँ सुनाई देंगी। फिर वह नहीं मरेगा।
माथे पर छोटी तख़्ती, ज़ेरजामा और पगड़ी
36 ख़ालिस सोने की तख़्ती बनाकर उस पर यह अलफ़ाज़ कंदा करना, ‘रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस।’ यह अलफ़ाज़ यों कंदा किए जाएँ जिस तरह मुहर कंदा की जाती है। 37 उसे नीली डोरी से पगड़ी के सामनेवाले हिस्से से लगाया जाए 38 ताकि वह हारून के माथे पर पड़ी रहे। जब भी वह मक़दिस में जाए तो यह तख़्ती साथ हो। जब इसराईली अपने नज़राने लाकर रब के लिए मख़सूस करें लेकिन किसी ग़लती के बाइस क़ुसूरवार हों तो उनका यह क़ुसूर हारून पर मुंतक़िल होगा। इसलिए यह तख़्ती हर वक़्त उसके माथे पर हो ताकि रब इसराईलियों को क़बूल कर ले।
39 ज़ेरजामे को बारीक कतान से बुनना और इस तरह पगड़ी भी। फिर कमरबंद बनाना। उस पर कढ़ाई का काम किया जाए।
बाक़ी लिबास
40 हारून के बेटों के लिए भी ज़ेरजामे, कमरबंद और पगड़ियाँ बनाना ताकि वह पुरवक़ार और शानदार नज़र आएँ। 41 यह सब अपने भाई हारून और उसके बेटों को पहनाना। उनके सरों पर तेल उंडेलकर उन्हें मसह करना। यों उन्हें उनके ओहदे पर मुक़र्रर करके मेरी ख़िदमत के लिए मख़सूस करना।
42 उनके लिए कतान के पाजामे भी बनाना ताकि वह ज़ेरजामे के नीचे नंगे न हों। उनकी लंबाई कमर से रान तक हो। 43 जब भी हारून और उसके बेटे मुलाक़ात के ख़ैमे में दाख़िल हों तो उन्हें यह पाजामे पहनने हैं। इसी तरह जब उन्हें मुक़द्दस कमरे में ख़िदमत करने के लिए क़ुरबानगाह के पास आना होता है तो वह यह पहनें, वरना वह क़ुसूरवार ठहरकर मर जाएंगे। यह हारून और उस की औलाद के लिए एक अबदी उसूल है।
* 28:17 या एक क़िस्म का सुर्ख़ अक़ीक़। याद रहे कि चूँकि क़दीम ज़माने के अकसर जवाहरात के नाम मतरूक हैं या उनका मतलब बदल गया है, इसलिए उनका मुख़्तलिफ़ तरजुमा हो सकता है। 28:17 peridot 28:18 lapis lazuli § 28:18 moonstone * 28:19 hyacinth 28:19 agate 28:19 amethyst § 28:20 topas * 28:20 carnelian 28:20 jasper