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क़ौम की रिहाई
रेगिस्तान और प्यासी ज़मीन बाग़ बाग़ होंगे, बयाबान ख़ुशी मनाकर खिल उठेगा। उसके फूल सोसन की तरह फूट निकलेंगे, और वह ज़ोर से शादियाना बजाकर ख़ुशी के नारे लगाएगा। उसे लुबनान की शान, करमिल और शारून का पूरा हुस्नो-जमाल दिया जाएगा। लोग रब का जलाल और हमारे ख़ुदा की शानो-शौकत देखेंगे।
 
निढाल हाथों को तक़वियत दो, डाँवाँडोल घुटनों को मज़बूत करो! धड़कते हुए दिलों से कहो, “हौसला रखो, मत डरो। देखो, तुम्हारा ख़ुदा इंतक़ाम लेने के लिए आ रहा है। वह हर एक को जज़ा-ओ-सज़ा देकर तुम्हें बचाने के लिए आ रहा है।”
 
तब अंधों की आँखों को और बहरों के कानों को खोला जाएगा।
लँगड़े हिरन की-सी छलाँगें लगाएँगे, और गूँगे ख़ुशी के नारे लगाएँगे। रेगिस्तान में चश्मे फूट निकलेंगे, और बयाबान में से नदियाँ गुज़रेंगी।
झुलसती हुई रेत की जगह जोहड़ बनेगा, और प्यासी ज़मीन की जगह पानी के सोते फूट निकलेंगे। जहाँ पहले गीदड़ आराम करते थे वहाँ हरी घास, सरकंडे और आबी नरसल की नशो-नुमा होगी।
 
मुल्क में से शाहराह गुज़रेगी जो ‘शाहराहे-मुक़द्दस’ कहलाएगी। नापाक लोग उस पर सफ़र नहीं करेंगे, क्योंकि वह सहीह राह पर चलनेवालों के लिए मख़सूस है। अहमक़ उस पर भटकने नहीं पाएँगे।
उस पर न शेरबबर होगा, न कोई और वहशी जानवर आएगा या पाया जाएगा। सिर्फ़ वह उस पर चलेंगे जिन्हें अल्लाह ने एवज़ाना देकर छुड़ा लिया है।
 
10 जितनों को रब ने फ़िद्या देकर रिहा किया है वह वापस आएँगे और गीत गाते हुए सिय्यून में दाख़िल होंगे। उनके सर पर अबदी ख़ुशी का ताज होगा, और वह इतने मसरूर और शादमान होंगे कि मातम और गिर्याओ-ज़ारी उनके आगे आगे भाग जाएगी।