25
बिलदद : अल्लाह के सामने कोई रास्तबाज़ नहीं ठहर सकता
1 फिर बिलदद सूख़ी ने जवाब देकर कहा,
2 “अल्लाह की हुकूमत दहशतनाक है। वही अपनी बुलंदियों पर सलामती क़ायम रखता है।
3 क्या कोई उसके दस्तों की तादाद गिन सकता है? उसका नूर किस पर नहीं चमकता?
4 तो फिर इनसान अल्लाह के सामने किस तरह रास्तबाज़ ठहर सकता है? जो औरत से पैदा हुआ वह किस तरह पाक-साफ़ साबित हो सकता है?
5 उस की नज़र में न चाँद पुरनूर है, न सितारे पाक हैं।
6 तो फिर इनसान किस तरह पाक ठहर सकता है जो कीड़ा ही है? आदमज़ाद तो मकोड़ा ही है।”