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रब का फ़रिश्ता इसराईल को मलामत करता है
रब का फ़रिश्ता जिलजाल से चढ़कर बोकीम पहुँचा। वहाँ उसने इसराईलियों से कहा, “मैं तुम्हें मिसर से निकालकर उस मुल्क में लाया जिसका वादा मैंने क़सम खाकर तुम्हारे बापदादा से किया था। उस वक़्त मैंने कहा कि मैं तुम्हारे साथ अपना अहद कभी नहीं तोड़ूँगा। और मैंने हुक्म दिया, ‘इस मुल्क की क़ौमों के साथ अहद मत बाँधना बल्कि उनकी क़ुरबानगाहों को गिरा देना।’ लेकिन तुमने मेरी न सुनी। यह तुमने क्या किया? इसलिए अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि मैं उन्हें तुम्हारे आगे से नहीं निकालूँगा। वह तुम्हारे पहलुओं में काँटे बनेंगे, और उनके देवता तुम्हारे लिए फंदा बने रहेंगे।”
रब के फ़रिश्ते की यह बात सुनकर इसराईली ख़ूब रोए। यही वजह है कि उस जगह का नाम बोकीम यानी रोनेवाले पड़ गया। फिर उन्होंने वहाँ रब के हुज़ूर क़ुरबानियाँ पेश कीं।
इसराईल बेवफ़ा हो जाता है
यशुअ के क़ौम को रुख़सत करने के बाद हर एक क़बीला अपने इलाक़े पर क़ब्ज़ा करने के लिए रवाना हुआ था। जब तक यशुअ और वह बुज़ुर्ग ज़िंदा रहे जिन्होंने वह अज़ीम काम देखे हुए थे जो रब ने इसराईलियों के लिए किए थे उस वक़्त तक इसराईली रब की वफ़ादारी से ख़िदमत करते रहे। फिर रब का ख़ादिम यशुअ बिन नून इंतक़ाल कर गया। उस की उम्र 110 साल थी। उसे तिमनत-हरिस में उस की अपनी मौरूसी ज़मीन में दफ़नाया गया। (यह शहर इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े में जास पहाड़ के शिमाल में है।)
10 जब हमअसर इसराईली सब मरकर अपने बापदादा से जा मिले तो नई नसल उभर आई जो न तो रब को जानती, न उन कामों से वाक़िफ़ थी जो रब ने इसराईल के लिए किए थे। 11 उस वक़्त वह ऐसी हरकतें करने लगे जो रब को बुरी लगीं। उन्होंने बाल देवता के बुतों की पूजा करके 12 रब अपने बापदादा के ख़ुदा को तर्क कर दिया जो उन्हें मिसर से निकाल लाया था। वह गिर्दो-नवाह की क़ौमों के दीगर माबूदों के पीछे लग गए और उनकी पूजा भी करने लगे। इससे रब का ग़ज़ब उन पर भड़का, 13 क्योंकि उन्होंने उस की ख़िदमत छोड़कर बाल देवता और अस्तारात देवी की पूजा की। 14 रब यह देखकर इसराईलियों से नाराज़ हुआ और उन्हें डाकुओं के हवाले कर दिया जिन्होंने उनका माल लूटा। उसने उन्हें इर्दगिर्द के दुश्मनों के हाथ बेच डाला, और वह उनका मुक़ाबला करने के क़ाबिल न रहे। 15 जब भी इसराईली लड़ने के लिए निकले तो रब का हाथ उनके ख़िलाफ़ था। नतीजतन वह हारते गए जिस तरह उसने क़सम खाकर फ़रमाया था।
जब वह इस तरह बड़ी मुसीबत में थे 16 तो रब उनके दरमियान क़ाज़ी बरपा करता जो उन्हें लूटनेवालों के हाथ से बचाते। 17 लेकिन वह उनकी न सुनते बल्कि ज़िना करके दीगर माबूदों के पीछे लगे और उनकी पूजा करते रहते। गो उनके बापदादा रब के अहकाम के ताबे रहे थे, लेकिन वह ख़ुद बड़ी जल्दी से उस राह से हट जाते जिस पर उनके बापदादा चले थे। 18 लेकिन जब भी वह दुश्मन के ज़ुल्म और दबाव तले कराहने लगते तो रब को उन पर तरस आ जाता, और वह किसी क़ाज़ी को बरपा करता और उस की मदद करके उन्हें बचाता।
जितने अरसे तक क़ाज़ी ज़िंदा रहता उतनी देर तक इसराईली दुश्मनों के हाथ से महफ़ूज़ रहते। 19 लेकिन उसके मरने पर वह दुबारा अपनी पुरानी राहों पर चलने लगते, बल्कि जब वह मुड़कर दीगर माबूदों की पैरवी और पूजा करने लगते तो उनकी रविश बापदादा की रविश से भी बुरी होती। वह अपनी शरीर हरकतों और हटधर्म राहों से बाज़ आने के लिए तैयार ही न होते। 20 इसलिए अल्लाह को इसराईल पर बड़ा ग़ुस्सा आया। उसने कहा, “इस क़ौम ने वह अहद तोड़ दिया है जो मैंने इसके बापदादा से बाँधा था। यह मेरी नहीं सुनती, 21 इसलिए मैं उन क़ौमों को नहीं निकालूँगा जो यशुअ की मौत से लेकर आज तक मुल्क में रह गई हैं। यह क़ौमें इसमें आबाद रहेंगी, 22 और मैं उनसे इसराईलियों को आज़माकर देखूँगा कि आया वह अपने बापदादा की तरह रब की राह पर चलेंगे या नहीं।”
23 चुनाँचे रब ने इन क़ौमों को न यशुअ के हवाले किया, न फ़ौरन निकाला बल्कि उन्हें मुल्क में ही रहने दिया।