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कनान के बाक़ी इलाक़ों पर क़ब्ज़ा करने का हुक्म
जब यशुअ बूढ़ा था तो रब ने उससे कहा, “तू बहुत बूढ़ा हो चुका है, लेकिन अभी काफ़ी कुछ बाक़ी रह गया है जिस पर क़ब्ज़ा करने की ज़रूरत है। 2-3 इसमें फ़िलिस्तियों के तमाम इलाक़े उनके शाही शहरों ग़ज़्ज़ा, अशदूद, अस्क़लून, जात और अक़रून समेत शामिल हैं और इसी तरह जसूर का इलाक़ा जिसकी जुनूबी सरहद वादीए-सैहूर है जो मिसर के मशरिक़ में है और जिसकी शिमाली सरहद अक़रून है। उसे भी मुल्के-कनान का हिस्सा क़रार दिया जाता है। अव्वियों का इलाक़ा भी जो जुनूब में है अब तक इसराईल के क़ब्ज़े में नहीं आया। यही बात शिमाल पर भी सादिक़ आती है। सैदानियों के शहर मआरा से लेकर अफ़ीक़ शहर और अमोरियों की सरहद तक सब कुछ अब तक इसराईल की हुकूमत से बाहर है। इसके अलावा जबलियों का मुल्क और मशरिक़ में पूरा लुबनान हरमून पहाड़ के दामन में बाल-जद से लेकर लबो-हमात तक बाक़ी रह गया है। इसमें उन सैदानियों का तमाम इलाक़ा भी शामिल है जो लुबनान के पहाड़ों और मिस्रफ़ात-मायम के दरमियान के पहाड़ी इलाक़े में आबाद हैं। इसराईलियों के बढ़ते बढ़ते मैं ख़ुद ही इन लोगों को उनके सामने से निकाल दूँगा। लेकिन लाज़िम है कि तू क़ुरा डालकर यह पूरा मुल्क मेरे हुक्म के मुताबिक़ इसराईलियों में तक़सीम करे। उसे नौ बाक़ी क़बीलों और मनस्सी के आधे क़बीले को विरासत में दे दे।”
यरदन के मशरिक़ में मुल्क की तक़सीम
रब का ख़ादिम मूसा रूबिन, जद और मनस्सी के बाक़ी आधे क़बीले को दरियाए-यरदन का मशरिक़ी इलाक़ा दे चुका था। 9-10 यों हसबोन के अमोरी बादशाह सीहोन के तमाम शहर उनके क़ब्ज़े में आ गए थे यानी जुनूबी वादीए-अरनोन के किनारे पर शहर अरोईर और उसी वादी के बीच के शहर से लेकर शिमाल में अम्मोनियों की सरहद तक। दीबोन और मीदबा के दरमियान का मैदाने-मुरतफ़ा भी इसमें शामिल था 11 और इसी तरह जिलियाद, जसूरियों और माकातियों का इलाक़ा, हरमून का पहाड़ी इलाक़ा और सलका शहर तक बसन का सारा इलाक़ा भी।
12 पहले यह सारा इलाक़ा बसन के बादशाह ओज के क़ब्ज़े में था जिसकी हुकूमत के मरकज़ अस्तारात और इदरई थे। रफ़ाइयों के देवक़ामत क़बीले से सिर्फ़ ओज बाक़ी रह गया था। मूसा की राहनुमाई के तहत इसराईलियों ने उस इलाक़े पर फ़तह पाकर तमाम बाशिंदों को निकाल दिया था। 13 सिर्फ़ जसूरी और माकाती बाक़ी रह गए थे, और यह आज तक इसराईलियों के दरमियान रहते हैं।
14 सिर्फ़ लावी के क़बीले को कोई ज़मीन न मिली, क्योंकि उनका मौरूसी हिस्सा जलनेवाली वह क़ुरबानियाँ हैं जो रब इसराईल के ख़ुदा के लिए चढ़ाई जाती हैं। रब ने यही कुछ मूसा को बताया था।
रूबिन का क़बायली इलाक़ा
15 मूसा ने रूबिन के क़बीले को उसके कुंबों के मुताबिक़ ज़ैल का इलाक़ा दिया। 16 वादीए-अरनोन के किनारे पर शहर अरोईर और उसी वादी के बीच के शहर से लेकर मीदबा 17 और हसबोन तक। वहाँ के मैदाने-मुरतफ़ा पर वाक़े तमाम शहर भी रूबिन के सुपुर्द किए गए यानी दीबोन, बामात-बाल, बैत-बाल-मऊन, 18 यहज़, क़दीमात, मिफ़ात, 19 क़िरियतायम, सिबमाह, ज़िरतुस-सहर जो बहीराए-मुरदार के मशरिक़ में वाक़े पहाड़ी इलाक़े में है, 20 बैत-फ़ग़ूर, पिसगा के पहाड़ी सिलसिले पर मौजूद आबादियाँ और बैत-यसीमोत। 21 मैदाने-मुरतफ़ा के तमाम शहर रूबिन के क़बीले को दिए गए यानी अमोरियों के बादशाह सीहोन की पूरी बादशाही जिसका दारुल-हुकूमत हसबोन शहर था। मूसा ने सीहोन को मार डाला था और उसके साथ पाँच मिदियानी रईसों को भी जिन्हें सीहोन ने अपने मुल्क में मुक़र्रर किया था। इन रईसों के नाम इवी, रक़म, सूर, हूर और रबा थे। 22 जिन लोगों को उस वक़्त मारा गया उनमें से बिलाम बिन बओर भी था जो ग़ैबदान था। 23 रूबिन के क़बीले की मग़रिबी सरहद दरियाए-यरदन थी। यही शहर और आबादियाँ रूबिन के क़बीले को उसके कुंबों के मुताबिक़ दी गईं, और वह उस की मीरास ठहरीं।
जद के क़बीले का इलाक़ा
24 मूसा ने जद के क़बीले को उसके कुंबों के मुताबिक़ ज़ैल का इलाक़ा दिया। 25 याज़ेर का इलाक़ा, जिलियाद के तमाम शहर, अम्मोनियों का आधा हिस्सा रब्बा के क़रीब शहर अरोईर तक 26-27 और हसबोन के बादशाह सीहोन की बादशाही का बाक़ी शिमाली हिस्सा यानी हसबोन, रामतुल-मिसफ़ाह और बतूनीम के दरमियान का इलाक़ा और महनायम और दबीर के दरमियान का इलाक़ा। इसके अलावा जद को वादीए-यरदन का वह मशरिक़ी हिस्सा भी मिल गया जो बैत-हारम, बैत-निमरा, सुक्कात और सफ़ोन पर मुश्तमिल था। यों उस की शिमाली सरहद किन्नरत यानी गलील की झील का जुनूबी किनारा था। 28 यही शहर और आबादियाँ जद के क़बीले को उसके कुंबों के मुताबिक़ दी गईं, और वह उस की मीरास ठहरीं।
मनस्सी के मशरिक़ी हिस्से का इलाक़ा
29 जो इलाक़ा मूसा ने मनस्सी के आधे हिस्से को उसके कुंबों के मुताबिक़ दिया था 30 वह महनायम से लेकर शिमाल में ओज बादशाह की तमाम बादशाही पर मुश्तमिल था। उसमें मुल्के-बसन और वह 60 आबादियाँ शामिल थीं जिन पर याईर ने फ़तह पाई थी। 31 जिलियाद का आधा हिस्सा ओज की हुकूमत के दो मराकिज़ अस्तारात और इदरई समेत मकीर बिन मनस्सी की औलाद को उसके कुंबों के मुताबिक़ दिया गया। 32 मूसा ने इन मौरूसी ज़मीनों की तक़सीम उस वक़्त की थी जब वह दरियाए-यरदन के मशरिक़ में मोआब के मैदानी इलाक़े में यरीहू शहर के मुक़ाबिल था।
33 लेकिन लावी को मूसा से कोई मौरूसी ज़मीन नहीं मिली थी, क्योंकि रब इसराईल का ख़ुदा उनका मौरूसी हिस्सा है जिस तरह उसने उनसे वादा किया था।