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यहूदाह का बादशाह मनस्सी
मनस्सी 12 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 55 साल था। उस की माँ हिफ़सीबाह थी। मनस्सी का चाल-चलन रब को नापसंद था। उसने उन क़ौमों के क़ाबिले-घिन रस्मो-रिवाज अपना लिए जिन्हें रब ने इसराईलियों के आगे से निकाल दिया था। ऊँची जगहों के जिन मंदिरों को उसके बाप हिज़क़ियाह ने ढा दिया था उन्हें उसने नए सिरे से तामीर किया। उसने बाल देवता की क़ुरबानगाहें बनवाईं और यसीरत देवी का खंबा खड़ा किया, बिलकुल उसी तरह जिस तरह इसराईल के बादशाह अख़ियब ने किया था। इनके अलावा वह सूरज, चाँद बल्कि आसमान के पूरे लशकर को सिजदा करके उनकी ख़िदमत करता था। उसने रब के घर में भी अपनी क़ुरबानगाहें खड़ी कीं, हालाँकि रब ने इस मक़ाम के बारे में फ़रमाया था, “मैं यरूशलम में अपना नाम क़ायम करूँगा।” लेकिन मनस्सी ने परवा न की बल्कि रब के घर के दोनों सहनों में आसमान के पूरे लशकर के लिए क़ुरबानगाहें बनवाईं। यहाँ तक कि उसने अपने बेटे को भी क़ुरबान करके जला दिया। जादूगरी और ग़ैबदानी करने के अलावा वह मुरदों की रूहों से राबिता करनेवालों और रम्मालों से भी मशवरा करता था।
ग़रज़ उसने बहुत कुछ किया जो रब को नापसंद था और उसे तैश दिलाया। यसीरत देवी का खंबा बनवाकर उसने उसे रब के घर में खड़ा किया, हालाँकि रब ने दाऊद और उसके बेटे सुलेमान से कहा था, “इस घर और इस शहर यरूशलम में जो मैंने तमाम इसराईली क़बीलों में से चुन लिया है मैं अपना नाम अबद तक क़ायम रखूँगा। अगर इसराईली एहतियात से मेरे उन तमाम अहकाम की पैरवी करें जो मूसा ने शरीअत में उन्हें दिए तो मैं कभी नहीं होने दूँगा कि इसराईलियों को उस मुल्क से जिलावतन कर दिया जाए जो मैंने उनके बापदादा को अता किया था।” लेकिन लोग रब के ताबे न रहे, और मनस्सी ने उन्हें ऐसे ग़लत काम करने पर उकसाया जो उन क़ौमों से भी सरज़द नहीं हुए थे जिन्हें रब ने मुल्क में दाख़िल होते वक़्त उनके आगे से तबाह कर दिया था।
10 आख़िरकार रब ने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त एलान किया, 11 “यहूदाह के बादशाह मनस्सी से क़ाबिले-घिन गुनाह सरज़द हुए हैं। उस की हरकतें मुल्क में इसराईल से पहले रहनेवाले अमोरियों की निसबत कहीं ज़्यादा शरीर हैं। अपने बुतों से उसने यहूदाह के बाशिंदों को गुनाह करने पर उकसाया है। 12 चुनाँचे रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘मैं यरूशलम और यहूदाह पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा कि जिसे भी इसकी ख़बर मिलेगी उसके कान बजने लगेंगे। 13 मैं यरूशलम को उसी नाप से नापूँगा जिससे सामरिया को नाप चुका हूँ। मैं उसे उस तराज़ू में रखकर तोलूँगा जिसमें अख़ियब का घराना तोल चुका हूँ। जिस तरह बरतन सफ़ाई करते वक़्त पोंछकर उलटे रखे जाते हैं उसी तरह मैं यरूशलम का सफ़ाया कर दूँगा। 14 उस वक़्त मैं अपनी मीरास का बचा-खुचा हिस्सा भी तर्क कर दूँगा। मैं उन्हें उनके दुश्मनों के हवाले कर दूँगा जो उनकी लूट-मार करेंगे। 15 और वजह यही होगी कि उनसे ऐसी हरकतें सरज़द हुई हैं जो मुझे नापसंद हैं। उस दिन से लेकर जब उनके बापदादा मिसर से निकल आए आज तक वह मुझे तैश दिलाते रहे हैं’।”
16 लेकिन मनस्सी ने न सिर्फ़ यहूदाह के बाशिंदों को बुतपरस्ती और ऐसे काम करने पर उकसाया जो रब को नापसंद थे बल्कि उसने बेशुमार बेक़ुसूर लोगों को क़त्ल भी किया। उनके ख़ून से यरूशलम एक सिरे से दूसरे सिरे तक भर गया।
17 बाक़ी जो कुछ मनस्सी की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। उसमें उसके गुनाहों का ज़िक्र भी किया गया है। 18 जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे उसके महल के बाग़ में दफ़नाया गया जो उज़्ज़ा का बाग़ कहलाता है। फिर उसका बेटा अमून तख़्तनशीन हुआ।
यहूदाह का बादशाह अमून
19 अमून 22 साल की उम्र में बादशाह बना और दो साल तक यरूशलम में हुकूमत करता रहा। उस की माँ मसुल्लिमत बिंत हरूस युतबा की रहनेवाली थी। 20 अपने बाप मनस्सी की तरह अमून ऐसा ग़लत काम करता रहा जो रब को नापसंद था। 21 वह हर तरह से अपने बाप के बुरे नमूने पर चलकर उन बुतों की ख़िदमत और पूजा करता रहा जिनकी पूजा उसका बाप करता आया था। 22 रब अपने बापदादा के ख़ुदा को उसने तर्क किया, और वह उस की राहों पर नहीं चलता था।
23 एक दिन अमून के कुछ अफ़सरों ने उसके ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे महल में क़त्ल कर दिया। 24 लेकिन उम्मत ने तमाम साज़िश करनेवालों को मार डाला और अमून के बेटे यूसियाह को बादशाह बना दिया।
25 बाक़ी जो कुछ अमून की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। 26 उसे उज़्ज़ा के बाग़ में उस की अपनी क़ब्र में दफ़न किया गया। फिर उसका बेटा यूसियाह तख़्तनशीन हुआ।