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ग़ल्ला की नज़र
1 अगर कोई रब को ग़ल्ला की नज़र पेश करना चाहे तो वह इसके लिए बेहतरीन मैदा इस्तेमाल करे। उस पर वह ज़ैतून का तेल उंडेले और लुबान रखकर
2 उसे हारून के बेटों के पास ले आए जो इमाम हैं। इमाम तेल से मिलाया गया मुट्ठी-भर मैदा और तमाम लुबान लेकर क़ुरबानगाह पर जला दे। यह यादगार का हिस्सा है, और उस की ख़ुशबू रब को पसंद है।
3 बाक़ी मैदा और तेल हारून और उसके बेटों का हिस्सा है। वह रब की जलनेवाली क़ुरबानियों में से एक निहायत मुक़द्दस हिस्सा है।
4 अगर यह क़ुरबानी तनूर में पकाई हुई रोटी हो तो उसमें ख़मीर न हो। इसकी दो क़िस्में हो सकती हैं, रोटियाँ जो बेहतरीन मैदे और तेल से बनी हुई हों और रोटियाँ जिन पर तेल लगाया गया हो।
5 अगर यह क़ुरबानी तवे पर पकाई हुई रोटी हो तो वह बेहतरीन मैदे और तेल की हो। उसमें ख़मीर न हो।
6 चूँकि वह ग़ल्ला की नज़र है इसलिए रोटी को टुकड़े टुकड़े करना और उस पर तेल डालना।
7 अगर यह क़ुरबानी कड़ाही में पकाई हुई रोटी हो तो वह बेहतरीन मैदे और तेल की हो।
8 अगर तू इन चीज़ों की बनी हुई ग़ल्ला की नज़र रब के हुज़ूर लाना चाहे तो उसे इमाम को पेश करना। वही उसे क़ुरबानगाह के पास ले आए।
9 फिर इमाम यादगार का हिस्सा अलग करके उसे क़ुरबानगाह पर जला दे। ऐसी क़ुरबानी की ख़ुशबू रब को पसंद है।
10 क़ुरबानी का बाक़ी हिस्सा हारून और उसके बेटों के लिए है। वह रब की जलनेवाली क़ुरबानियों में से एक निहायत मुक़द्दस हिस्सा है।
11 ग़ल्ला की जितनी नज़रें तुम रब को पेश करते हो उनमें ख़मीर न हो, क्योंकि लाज़िम है कि तुम रब को जलनेवाली क़ुरबानी पेश करते वक़्त न ख़मीर, न शहद जलाओ।
12 यह चीज़ें फ़सल के पहले फलों के साथ रब को पेश की जा सकती हैं, लेकिन उन्हें क़ुरबानगाह पर न जलाया जाए, क्योंकि वहाँ रब को उनकी ख़ुशबू पसंद नहीं है।
13 ग़ल्ला की हर नज़र में नमक हो, क्योंकि नमक उस अहद की नुमाइंदगी करता है जो तेरे ख़ुदा ने तेरे साथ बाँधा है। तुझे हर क़ुरबानी में नमक डालना है।
14 अगर तू ग़ल्ला की नज़र के लिए फ़सल के पहले फल पेश करना चाहे तो कुचली हुई कच्ची बालियाँ भूनकर पेश करना।
15 चूँकि वह ग़ल्ला की नज़र है इसलिए उस पर तेल उंडेलना और लुबान रखना।
16 कुचले हुए दानों और तेल का जो हिस्सा रब का है यानी यादगार का हिस्सा उसे इमाम तमाम लुबान के साथ जला दे। यह नज़र रब के लिए जलनेवाली क़ुरबानी है।