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मख़सूस की हुई चीज़ों की वापसी
रब ने मूसा से कहा, “इसराईलियों को बताना कि अगर किसी ने मन्नत मानकर किसी को रब के लिए मख़सूस किया हो तो वह उसे ज़ैल की रक़म देकर आज़ाद कर सकता है (मुस्तामल सिक्के मक़दिस के सिक्कों के बराबर हों) : उस आदमी के लिए जिसकी उम्र 20 और 60 साल के दरमियान है चाँदी के 50 सिक्के, इसी उम्र की औरत के लिए चाँदी के 30 सिक्के, उस लड़के के लिए जिसकी उम्र 5 और 20 साल के दरमियान हो चाँदी के 20 सिक्के, इसी उम्र की लड़की के लिए चाँदी के 10 सिक्के, एक माह से लेकर 5 साल तक के लड़के के लिए चाँदी के 5 सिक्के, इसी उम्र की लड़की के लिए चाँदी के 3 सिक्के, साठ साल से बड़े आदमी के लिए चाँदी के 15 सिक्के और इसी उम्र की औरत के लिए चाँदी के 10 सिक्के।
अगर मन्नत माननेवाला मुक़र्ररा रक़म अदा न कर सके तो वह मख़सूस किए हुए शख़्स को इमाम के पास ले आए। फिर इमाम ऐसी रक़म मुक़र्रर करे जो मन्नत माननेवाला अदा कर सके।
अगर किसी ने मन्नत मानकर ऐसा जानवर मख़सूस किया जो रब की क़ुरबानियों के लिए इस्तेमाल हो सकता है तो ऐसा जानवर मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाता है। 10 वह उसे बदल नहीं सकता। न वह अच्छे जानवर की जगह नाक़िस, न नाक़िस जानवर की जगह अच्छा जानवर दे। अगर वह एक जानवर दूसरे की जगह दे तो दोनों मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाते हैं।
11 अगर किसी ने मन्नत मानकर कोई नापाक जानवर मख़सूस किया जो रब की क़ुरबानियों के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकता तो वह उसको इमाम के पास ले आए। 12 इमाम उस की रक़म उस की अच्छी और बुरी सिफ़्तों का लिहाज़ करके मुक़र्रर करे। इस मुक़र्ररा क़ीमत में कमी बेशी नहीं हो सकती। 13 अगर मन्नत माननेवाला उसे वापस ख़रीदना चाहे तो वह मुक़र्ररा क़ीमत जमा 20 फ़ीसद अदा करे।
14 अगर कोई अपना घर रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस करे तो इमाम उस की अच्छी और बुरी सिफ़्तों का लिहाज़ करके उस की रक़म मुक़र्रर करे। इस मुक़र्ररा क़ीमत में कमी बेशी नहीं हो सकती। 15 अगर घर को मख़सूस करनेवाला उसे वापस ख़रीदना चाहे तो वह मुक़र्ररा रक़म जमा 20 फ़ीसद अदा करे।
16 अगर कोई अपनी मौरूसी ज़मीन में से कुछ रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस करे तो उस की क़ीमत उस बीज की मिक़दार के मुताबिक़ मुक़र्रर की जाए जो उसमें बोना होता है। जिस खेत में 135 किलोग्राम जौ का बीज बोया जाए उस की क़ीमत चाँदी के 50 सिक्के होगी। 17 शर्त यह है कि वह अपनी ज़मीन बहाली के साल के ऐन बाद मख़सूस करे। फिर उस की यही क़ीमत मुक़र्रर की जाए। 18 अगर ज़मीन का मालिक उसे बहाली के साल के कुछ देर बाद मख़सूस करे तो इमाम अगले बहाली के साल तक रहनेवाले सालों के मुताबिक़ ज़मीन की क़ीमत मुक़र्रर करे। जितने कम साल बाक़ी हैं उतनी कम उस की क़ीमत होगी। 19 अगर मख़सूस करनेवाला अपनी ज़मीन वापस ख़रीदना चाहे तो वह मुक़र्ररा क़ीमत जमा 20 फ़ीसद अदा करे। 20 अगर मख़सूस करनेवाला अपनी ज़मीन को रब से वापस ख़रीदे बग़ैर उसे किसी और को बेचे तो उसे वापस ख़रीदने का हक़ ख़त्म हो जाएगा। 21 अगले बहाली के साल यह ज़मीन मख़सूसो-मुक़द्दस रहेगी और रब की दायमी मिलकियत हो जाएगी। चुनाँचे वह इमाम की मिलकियत होगी।
22 अगर कोई अपना मौरूसी खेत नहीं बल्कि अपना ख़रीदा हुआ खेत रब के लिए मख़सूस करे 23 तो इमाम अगले बहाली के साल तक रहनेवाले सालों का लिहाज़ करके उस की क़ीमत मुक़र्रर करे। खेत का मालिक उसी दिन उसके पैसे अदा करे। यह पैसे रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस होंगे। 24 बहाली के साल में यह खेत उस शख़्स के पास वापस आएगा जिसने उसे बेचा था।
25 वापस ख़रीदने के लिए मुस्तामल सिक्के मक़दिस के सिक्कों के बराबर हों। उसके चाँदी के सिक्कों का वज़न 11 ग्राम है।
26 लेकिन कोई भी किसी मवेशी का पहलौठा रब के लिए मख़सूस नहीं कर सकता। वह तो पहले से रब के लिए मख़सूस है। इसमें कोई फ़रक़ नहीं कि वह गाय, बैल या भेड़ हो। 27 अगर उसने कोई नापाक जानवर मख़सूस किया हो तो वह उसे मुक़र्ररा क़ीमत जमा 20 फ़ीसद के लिए वापस ख़रीद सकता है। अगर वह उसे वापस न ख़रीदे तो वह मुक़र्ररा क़ीमत के लिए बेचा जाए।
28 लेकिन अगर किसी ने अपनी मिलकियत में से कुछ ग़ैरमशरूत तौर पर रब के लिए मख़सूस किया है तो उसे बेचा या वापस नहीं ख़रीदा जा सकता, ख़ाह वह इनसान, जानवर या ज़मीन हो। जो इस तरह मख़सूस किया गया हो वह रब के लिए निहायत मुक़द्दस है। 29 इसी तरह जिस शख़्स को तबाही के लिए मख़सूस किया गया है उसका फ़िद्या नहीं दिया जा सकता। लाज़िम है कि उसे सज़ाए-मौत दी जाए।
30 हर फ़सल का दसवाँ हिस्सा रब का है, चाहे वह अनाज हो या फल। वह रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस है। 31 अगर कोई अपनी फ़सल का दसवाँ हिस्सा छुड़ाना चाहता है तो वह इसके लिए उस की मुक़र्ररा क़ीमत जमा 20 फ़ीसद दे। 32 इसी तरह गाय-बैलों और भेड़-बकरियों का दसवाँ हिस्सा भी रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस है, हर दसवाँ जानवर जो गल्लाबान के डंडे के नीचे से गुज़रेगा। 33 यह जानवर चुनने से पहले उनका मुआयना न किया जाए कि कौन-से जानवर अच्छे या कमज़ोर हैं। यह भी न करना कि दसवें हिस्से के किसी जानवर के बदले कोई और जानवर दिया जाए। अगर फिर भी उसे बदला जाए तो दोनों जानवर रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस होंगे। और उन्हें वापस ख़रीदा नहीं जा सकता।”
34 यह वह अहकाम हैं जो रब ने सीना पहाड़ पर मूसा को इसराईलियों के लिए दिए।