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फ़सील की तकमील पर मैंने दरवाज़ों के किवाड़ लगवाए। फिर रब के घर के दरबान, गुलूकार और ख़िदमतगुज़ार लावी मुक़र्रर किए गए। मैंने दो आदमियों को यरूशलम के हुक्मरान बनाया। एक मेरा भाई हनानी और दूसरा क़िले का कमाँडर हननियाह था। हननियाह को मैंने इसलिए चुन लिया कि वह वफ़ादार था और अकसर लोगों की निसबत अल्लाह का ज़्यादा ख़ौफ़ मानता था। मैंने दोनों से कहा, “यरूशलम के दरवाज़े दोपहर के वक़्त जब धूप की शिद्दत है खुले न रहें, और पहरा देते वक़्त भी उन्हें बंद करके कुंडे लगाएँ। यरूशलम के आदमियों को पहरादारी के लिए मुक़र्रर करें जिनमें से कुछ फ़सील पर और कुछ अपने घरों के सामने ही पहरा दें।”
जिलावतनी से वापस आए हुओं की फ़हरिस्त
गो यरूशलम शहर बड़ा और वसी था, लेकिन उसमें आबादी थोड़ी थी। ढाए गए मकान अब तक दुबारा तामीर नहीं हुए थे। चुनाँचे मेरे ख़ुदा ने मेरे दिल को शुरफ़ा, अफ़सरों और अवाम को इकट्ठा करने की तहरीक दी ताकि ख़ानदानों की रजिस्ट्री तैयार करूँ। इस सिलसिले में मुझे एक किताब मिल गई जिसमें उन लोगों की फ़हरिस्त दर्ज थी जो हमसे पहले जिलावतनी से वापस आए थे। उसमें लिखा था,
“ज़ैल में यहूदाह के उन लोगों की फ़हरिस्त है जो जिलावतनी से वापस आए। बाबल का बादशाह नबूकदनज़्ज़र उन्हें क़ैद करके बाबल ले गया था, लेकिन अब वह यरूशलम और यहूदाह के उन शहरों में फिर जा बसे जहाँ पहले रहते थे।
उनके राहनुमा ज़रुब्बाबल, यशुअ, नहमियाह, अज़रियाह, रामियाह, नहमानी, मर्दकी, बिलशान, मिस्फ़रत, बिगवई, नहूम और बाना थे।
ज़ैल की फ़हरिस्त में वापस आए हुए ख़ानदानों के मर्द बयान किए गए हैं।
परऊस का ख़ानदान : 2,172,
सफ़तियाह का ख़ानदान : 372,
10 अरख़ का ख़ानदान : 652,
11 पख़त-मोआब का ख़ानदान यानी यशुअ और योआब की औलाद : 2,818,
12 ऐलाम का ख़ानदान : 1,254,
13 ज़त्तू का ख़ानदान : 845,
14 ज़क्की का ख़ानदान : 760,
15 बिन्नूई का ख़ानदान : 648,
16 बबी का ख़ानदान : 628,
17 अज़जाद का ख़ानदान : 2,322,
18 अदूनिक़ाम का ख़ानदान : 667,
19 बिगवई का ख़ानदान : 2,067,
20 अदीन का ख़ानदान : 655,
21 अतीर का ख़ानदान यानी हिज़क़ियाह की औलाद : 98,
22 हाशूम का ख़ानदान : 328,
23 बज़ी का ख़ानदान : 324,
24 ख़ारिफ़ का ख़ानदान : 112,
25 जिबऊन का ख़ानदान : 95,
26 बैत-लहम और नतूफ़ा के बाशिंदे : 188,
27 अनतोत के बाशिंदे : 128,
28 बैत-अज़मावत के बाशिंदे : 42,
29 क़िरियत-यारीम, कफ़ीरा और बैरोत के बाशिंदे : 743,
30 रामा और जिबा के बाशिंदे : 621,
31 मिकमास के बाशिंदे : 122,
32 बैतेल और अई के बाशिंदे : 123,
33 दूसरे नबू के बाशिंदे : 52,
34 दूसरे ऐलाम के बाशिंदे : 1,254,
35 हारिम के बाशिंदे : 320,
36 यरीहू के बाशिंदे : 345,
37 लूद, हादीद और ओनू के बाशिंदे : 721,
38 सनाआह के बाशिंदे : 3,930।
39 ज़ैल के इमाम जिलावतनी से वापस आए।
यदायाह का ख़ानदान जो यशुअ की नसल का था : 973,
40 इम्मेर का ख़ानदान : 1,052,
41 फ़शहूर का ख़ानदान : 1,247,
42 हारिम का ख़ानदान : 1,017।
43 ज़ैल के लावी जिलावतनी से वापस आए।
यशुअ और क़दमियेल का ख़ानदान यानी हूदावियाह की औलाद : 74,
44 गुलूकार : आसफ़ के ख़ानदान के 148 आदमी,
45 रब के घर के दरबान : सल्लूम, अतीर, तलमून, अक़्क़ूब, ख़तीता और सोबी के ख़ानदानों के 138 आदमी।
46 रब के घर के ख़िदमतगारों के दर्जे-ज़ैल ख़ानदान जिलावतनी से वापस आए।
ज़ीहा, हसूफ़ा, तब्बाओत, 47 क़रूस, सिया, फ़दून, 48 लिबाना, हजाबा, शलमी, 49 हनान, जिद्देल, जहर, 50 रियायाह, रज़ीन, नक़ूदा, 51 जज़्ज़ाम, उज़्ज़ा, फ़ासिह, 52 बसी, मऊनीम, नफ़ूसीम, 53 बक़बूक़, हक़ूफ़ा, हरहूर, 54 बज़लूत, महीदा, हर्शा, 55 बरक़ूस, सीसरा, तामह, 56 नज़ियाह और ख़तीफ़ा।
57 सुलेमान के ख़ादिमों के दर्जे-ज़ैल ख़ानदान जिलावतनी से वापस आए।
सूती, सूफ़िरत, फ़रूदा, 58 याला, दरक़ून, जिद्देल, 59 सफ़तियाह, ख़त्तील, फ़ूकिरत-ज़बायम और अमून।
60 रब के घर के ख़िदमतगारों और सुलेमान के ख़ादिमों के ख़ानदानों में से वापस आए हुए मर्दों की तादाद 392 थी।
 
61-62 वापस आए हुए ख़ानदानों में से दिलायाह, तूबियाह और नक़ूदा के 642 मर्द साबित न कर सके कि इसराईल की औलाद हैं, गो वह तल-मिलह, तल-हर्शा, करूब, अद्दून और इम्मेर के रहनेवाले थे।
63-64 हबायाह, हक़्क़ूज़ और बरज़िल्ली के ख़ानदानों के कुछ इमाम भी वापस आए, लेकिन उन्हें रब के घर में ख़िदमत करने की इजाज़त न मिली। क्योंकि गो उन्होंने नसबनामे में अपने नाम तलाश किए लेकिन उनका कहीं ज़िक्र न मिला, इसलिए उन्हें नापाक क़रार दिया गया। (बरज़िल्ली के ख़ानदान के बानी ने बरज़िल्ली जिलियादी की बेटी से शादी करके अपने सुसर का नाम अपना लिया था।) 65 यहूदाह के गवर्नर ने हुक्म दिया कि इन तीन ख़ानदानों के इमाम फ़िलहाल क़ुरबानियों का वह हिस्सा खाने में शरीक न हों जो इमामों के लिए मुक़र्रर है। जब दुबारा इमामे-आज़म मुक़र्रर किया जाए तो वही ऊरीम और तुम्मीम नामी क़ुरा डालकर मामला हल करे।
66 कुल 42,360 इसराईली अपने वतन लौट आए, 67 नीज़ उनके 7,337 ग़ुलाम और लौंडियाँ और 245 गुलूकार जिनमें मर्दो-ख़वातीन शामिल थे।
68 इसराईलियों के पास 736 घोड़े, 245 ख़च्चर, 69 435 ऊँट और 6,720 गधे थे।
70 कुछ ख़ानदानी सरपरस्तों ने रब के घर की तामीरे-नौ के लिए अपनी ख़ुशी से हदिये दिए। गवर्नर ने सोने के 1,000 सिक्के, 50 कटोरे और इमामों के 530 लिबास दिए। 71 कुछ ख़ानदानी सरपरस्तों ने ख़ज़ाने में सोने के 20,000 सिक्के और चाँदी के 1,200 किलोग्राम डाल दिए। 72 बाक़ी लोगों ने सोने के 20,000 सिक्के, चाँदी के 1,100 किलोग्राम और इमामों के 67 लिबास अता किए।
73 इमाम, लावी, रब के घर के दरबान और ख़िदमतगार, गुलूकार और अवाम के कुछ लोग अपनी अपनी आबाई आबादियों में दुबारा जा बसे। यों तमाम इसराईली दुबारा अपने अपने शहरों में रहने लगे।”
अज़रा शरीअत की तिलावत करता है
सातवें महीने यानी अक्तूबर में जब इसराईली अपने अपने शहरों में दुबारा आबाद हो गए थे