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सिलाफ़िहाद की बेटियाँ
सिलाफ़िहाद की पाँच बेटियाँ महलाह, नुआह, हुजलाह, मिलकाह और तिरज़ा थीं। सिलाफ़िहाद यूसुफ़ के बेटे मनस्सी के कुंबे का था। उसका पूरा नाम सिलाफ़िहाद बिन हिफ़र बिन जिलियाद बिन मकीर बिन मनस्सी बिन यूसुफ़ था। सिलाफ़िहाद की बेटियाँ मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर आकर मूसा, इलियज़र इमाम और पूरी जमात के सामने खड़ी हुईं। उन्होंने कहा, “हमारा बाप रेगिस्तान में फ़ौत हुआ। लेकिन वह क़ोरह के उन साथियों में से नहीं था जो रब के ख़िलाफ़ मुत्तहिद हुए थे। वह इस सबब से न मरा बल्कि अपने ज़ाती गुनाह के बाइस। जब वह मर गया तो उसका कोई बेटा नहीं था। क्या यह ठीक है कि हमारे ख़ानदान में बेटा न होने के बाइस हमें ज़मीन न मिले और हमारे बाप का नामो-निशान मिट जाए? हमें भी हमारे बाप के दीगर रिश्तेदारों के साथ ज़मीन दें।”
मूसा ने उनका मामला रब के सामने पेश किया तो रब ने उससे कहा, “जो बात सिलाफ़िहाद की बेटियाँ कर रही हैं वह दुरुस्त है। उन्हें ज़रूर उनके बाप के रिश्तेदारों के साथ ज़मीन मिलनी चाहिए। उन्हें बाप का विरसा मिल जाए। इसराईलियों को भी बताना कि जब भी कोई आदमी मर जाए जिसका बेटा न हो तो उस की बेटी को उस की मीरास मिल जाए। अगर उस की बेटी भी न हो तो उसके भाइयों को उस की मीरास मिल जाए। 10 अगर उसके भाई भी न हों तो उसके बाप के भाइयों को उस की मीरास मिल जाए। 11 अगर यह भी न हों तो उसके सबसे क़रीबी रिश्तेदार को उस की मीरास मिल जाए। वह उस की ज़ाती मिलकियत होगी। यह उसूल इसराईलियों के लिए क़ानूनी हैसियत रखता है। वह इसे वैसा मानें जैसा रब ने मूसा को हुक्म दिया है।”
यशुअ को मूसा का जा-नशीन मुक़र्रर किया जाता है
12 फिर रब ने मूसा से कहा, “अबारीम के पहाड़ी सिलसिले के इस पहाड़ पर चढ़कर उस मुल्क पर निगाह डाल जो मैं इसराईलियों को दूँगा। 13 उसे देखने के बाद तू भी अपने भाई हारून की तरह कूच करके अपने बापदादा से जा मिलेगा, 14 क्योंकि तुम दोनों ने दश्ते-सीन में मेरे हुक्म की ख़िलाफ़वरज़ी की। उस वक़्त जब पूरी जमात ने मरीबा में मेरे ख़िलाफ़ गिला-शिकवा किया तो तूने चटान से पानी निकालते वक़्त लोगों के सामने मेरी क़ुद्दूसियत क़ायम न रखी।” (मरीबा दश्ते-सीन के क़ादिस में चश्मा है।)
15 मूसा ने रब से कहा, 16 “ऐ रब, तमाम जानों के ख़ुदा, जमात पर किसी आदमी को मुक़र्रर कर 17 जो उनके आगे आगे जंग के लिए निकले और उनके आगे आगे वापस आ जाए, जो उन्हें बाहर ले जाए और वापस ले आए। वरना रब की जमात उन भेड़ों की मानिंद होगी जिनका कोई चरवाहा न हो।”
18 जवाब में रब ने मूसा से कहा, “यशुअ बिन नून को चुन ले जिसमें मेरा रूह है, और अपना हाथ उस पर रख। 19 उसे इलियज़र इमाम और पूरी जमात के सामने खड़ा करके उनके रूबरू ही उसे राहनुमाई की ज़िम्मादारी दे। 20 अपने इख़्तियार में से कुछ उसे दे ताकि इसराईल की पूरी जमात उस की इताअत करे। 21 रब की मरज़ी जानने के लिए वह इलियज़र इमाम के सामने खड़ा होगा तो इलियज़र रब के सामने ऊरीम और तुम्मीम इस्तेमाल करके उस की मरज़ी दरियाफ़्त करेगा। उसी के हुक्म पर यशुअ और इसराईल की पूरी जमात ख़ैमागाह से निकलेंगे और वापस आएँगे।”
22 मूसा ने ऐसा ही किया। उसने यशुअ को चुनकर इलियज़र और पूरी जमात के सामने खड़ा किया। 23 फिर उसने उस पर अपने हाथ रखकर उसे राहनुमाई की ज़िम्मादारी सौंपी जिस तरह रब ने उसे बताया था।