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मन्नत मानने के क़वायद
1 फिर मूसा ने क़बीलों के सरदारों से कहा, “रब फ़रमाता है,
2 अगर कोई आदमी रब को कुछ देने की मन्नत माने या किसी चीज़ से परहेज़ करने की क़सम खाए तो वह अपनी बात पर क़ायम रहकर उसे पूरा करे।
3 अगर कोई जवान औरत जो अब तक अपने बाप के घर में रहती है रब को कुछ देने की मन्नत माने या किसी चीज़ से परहेज़ करने की क़सम खाए
4 तो लाज़िम है कि वह अपनी मन्नत या क़सम की हर बात पूरी करे। शर्त यह है कि उसका बाप उसके बारे में सुनकर एतराज़ न करे।
5 लेकिन अगर उसका बाप यह सुनकर उसे ऐसा करने से मना करे तो उस की मन्नत या क़सम मनसूख़ है, और वह उसे पूरा करने से बरी है। रब उसे मुआफ़ करेगा, क्योंकि उसके बाप ने उसे मना किया है।
6 हो सकता है कि किसी ग़ैरशादीशुदा औरत ने मन्नत मानी या किसी चीज़ से परहेज़ करने की क़सम खाई, चाहे उसने दानिस्ता तौर पर या बेसोचे-समझे ऐसा किया। इसके बाद उस औरत ने शादी कर ली।
7 शादीशुदा हालत में भी लाज़िम है कि वह अपनी मन्नत या क़सम की हर बात पूरी करे। शर्त यह है कि उसका शौहर इसके बारे में सुनकर एतराज़ न करे।
8 लेकिन अगर उसका शौहर यह सुनकर उसे ऐसा करने से मना करे तो उस की मन्नत या क़सम मनसूख़ है, और वह उसे पूरा करने से बरी है। रब उसे मुआफ़ करेगा।
9 अगर किसी बेवा या तलाक़शुदा औरत ने मन्नत मानी या किसी चीज़ से परहेज़ करने की क़सम खाई तो लाज़िम है कि वह अपनी हर बात पूरी करे।
10 अगर किसी शादीशुदा औरत ने मन्नत मानी या किसी चीज़ से परहेज़ करने की क़सम खाई
11 तो लाज़िम है कि वह अपनी हर बात पूरी करे। शर्त यह है कि उसका शौहर उसके बारे में सुनकर एतराज़ न करे।
12 लेकिन अगर उसका शौहर उसे ऐसा करने से मना करे तो उस की मन्नत या क़सम मनसूख़ है। वह उसे पूरा करने से बरी है। रब उसे मुआफ़ करेगा, क्योंकि उसके शौहर ने उसे मना किया है।
13 चाहे बीवी ने कुछ देने की मन्नत मानी हो या किसी चीज़ से परहेज़ करने की क़सम खाई हो, उसके शौहर को उस की तसदीक़ या उसे मनसूख़ करने का इख़्तियार है।
14 अगर उसने अपनी बीवी की मन्नत या क़सम के बारे में सुन लिया और अगले दिन तक एतराज़ न किया तो लाज़िम है कि उस की बीवी अपनी हर बात पूरी करे। शौहर ने अगले दिन तक एतराज़ न करने से अपनी बीवी की बात की तसदीक़ की है।
15 अगर वह इसके बाद यह मन्नत या क़सम मनसूख़ करे तो उसे इस क़ुसूर के नतायज भुगतने पड़ेंगे।”
16 रब ने मूसा को यह हिदायात दीं। यह ऐसी औरतों की मन्नतों या क़समों के उसूल हैं जो ग़ैरशादीशुदा हालत में अपने बाप के घर में रहती हैं या जो शादीशुदा हैं।