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जो अपने आपको मख़सूस करते हैं
रब ने मूसा से कहा, “इसराईलियों को हिदायत देना कि अगर कोई आदमी या औरत मन्नत मानकर अपने आपको एक मुक़र्ररा वक़्त के लिए रब के लिए मख़सूस करे तो वह मै या कोई और नशा-आवर चीज़ न पिए। न वह अंगूर या किसी और चीज़ का सिरका पिए, न अंगूर का रस। वह अंगूर या किशमिश न खाए। जब तक वह मख़सूस है वह अंगूर की कोई भी पैदावार न खाए, यहाँ तक कि अंगूर के बीज या छिलके भी न खाए। जब तक वह अपनी मन्नत के मुताबिक़ मख़सूस है वह अपने बाल न कटवाए। जितनी देर के लिए उसने अपने आपको रब के लिए मख़सूस किया है उतनी देर तक वह मुक़द्दस है। इसलिए वह अपने बाल बढ़ने दे। जब तक वह मख़सूस है वह किसी लाश के क़रीब न जाए, चाहे वह उसके बाप, माँ, भाई या बहन की लाश क्यों न हो। क्योंकि इससे वह नापाक हो जाएगा जबकि अभी तक उस की मख़सूसियत लंबे बालों की सूरत में नज़र आती है। वह अपनी मख़सूसियत के दौरान रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस है।
अगर कोई अचानक मर जाए जब मख़सूस शख़्स उसके क़रीब हो तो उसके मख़सूस बाल नापाक हो जाएंगे। ऐसी सूरत में लाज़िम है कि वह अपने आपको पाक-साफ़ करके सातवें दिन अपने सर को मुँडवाए। 10 आठवें दिन वह दो क़ुम्रियाँ या दो जवान कबूतर लेकर मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर आए और इमाम को दे। 11 इमाम इनमें से एक को गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाए और दूसरे को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के तौर पर। यों वह उसके लिए कफ़्फ़ारा देगा जो लाश के क़रीब होने से नापाक हो गया है। उसी दिन वह अपने सर को दुबारा मख़सूस करे 12 और अपने आपको मुक़र्ररा वक़्त के लिए दुबारा रब के लिए मख़सूस करे। वह क़ुसूर की क़ुरबानी के तौर पर एक साल का भेड़ का बच्चा पेश करे। जितने दिन उसने पहले मख़सूसियत की हालत में गुज़ारे हैं वह शुमार नहीं किए जा सकते क्योंकि वह मख़सूसियत की हालत में नापाक हो गया था। वह दुबारा पहले दिन से शुरू करे।
13 शरीअत के मुताबिक़ जब मख़सूस शख़्स का मुक़र्ररा वक़्त गुज़र गया हो तो पहले उसे मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर लाया जाए। 14 वहाँ वह रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के लिए भेड़ का एक बेऐब यकसाला नर बच्चा, गुनाह की क़ुरबानी के लिए एक बेऐब यकसाला भेड़ और सलामती की क़ुरबानी के लिए एक बेऐब मेंढा पेश करे। 15 इसके अलावा वह एक टोकरी में बेख़मीरी रोटियाँ जिनमें बेहतरीन मैदा और तेल मिलाया गया हो और बेख़मीरी रोटियाँ जिन पर तेल लगाया गया हो मुताल्लिक़ा ग़ल्ला की नज़र और मै की नज़र के साथ 16 रब को पेश करे। पहले इमाम गुनाह की क़ुरबानी और भस्म होनेवाली क़ुरबानी रब के हुज़ूर चढ़ाए। 17 फिर वह मेंढे को बेख़मीरी रोटियों के साथ सलामती की क़ुरबानी के तौर पर पेश करे। इमाम ग़ल्ला की नज़र और मै की नज़र भी चढ़ाए। 18 इस दौरान मख़सूस शख़्स मुलाक़ात के ख़ैमे पर अपने मख़सूस किए गए सर को मुँडवाकर तमाम बाल सलामती की क़ुरबानी की आग में फेंके।
19 फिर इमाम मेंढे का एक पका हुआ शाना और टोकरी में से दोनों क़िस्मों की एक एक रोटी लेकर मख़सूस शख़्स के हाथों पर रखे। 20 इसके बाद वह यह चीज़ें वापस लेकर उन्हें हिलाने की क़ुरबानी के तौर पर रब के सामने हिलाए। यह एक मुक़द्दस क़ुरबानी है जो इमाम का हिस्सा है। सलामती की क़ुरबानी का हिलाया हुआ सीना और उठाई हुई रान भी इमाम का हिस्सा हैं। क़ुरबानी के इख़्तिताम पर मख़सूस किए हुए शख़्स को मै पीने की इजाज़त है।
21 जो अपने आपको रब के लिए मख़सूस करता है वह ऐसा ही करे। लाज़िम है कि वह इन हिदायात के मुताबिक़ तमाम क़ुरबानियाँ पेश करे। अगर गुंजाइश हो तो वह और भी पेश कर सकता है। बहरहाल लाज़िम है कि वह अपनी मन्नत और यह हिदायात पूरी करे।”
इमाम की बरकत
22 रब ने मूसा से कहा, 23 “हारून और उसके बेटों को बता देना कि वह इसराईलियों को यों बरकत दें,
24 ‘रब तुझे बरकत दे और तेरी हिफ़ाज़त करे।
25 रब अपने चेहरे का मेहरबान नूर तुझ पर चमकाए और तुझ पर रहम करे।
26 रब की नज़रे-करम तुझ पर हो, और वह तुझे सलामती बख़्शे।’
27 यों वह मेरा नाम लेकर इसराईलियों को बरकत दें। फिर मैं उन्हें बरकत दूँगा।”