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इनसान का वफ़ादार मुहाफ़िज़
ज़ियारत का गीत।
मैं अपनी आँखों को पहाड़ों की तरफ़ उठाता हूँ। मेरी मदद कहाँ से आती है?
मेरी मदद रब से आती है, जो आसमानो-ज़मीन का ख़ालिक़ है।
 
वह तेरा पाँव फिसलने नहीं देगा। तेरा मुहाफ़िज़ ऊँघने का नहीं।
यक़ीनन इसराईल का मुहाफ़िज़ न ऊँघता है, न सोता है।
रब तेरा मुहाफ़िज़ है, रब तेरे दहने हाथ पर सायबान है।
न दिन को सूरज, न रात को चाँद तुझे ज़रर पहुँचाएगा।
रब तुझे हर नुक़सान से बचाएगा, वह तेरी जान को महफ़ूज़ रखेगा।
रब अब से अबद तक तेरे आने जाने की पहरादारी करेगा।