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अल्लाह की अबदी शफ़क़त
दाऊद का ज़बूर। हम्दो-सना का गीत।
ऐ मेरे ख़ुदा, मैं तेरी ताज़ीम करूँगा। ऐ बादशाह, मैं हमेशा तक तेरे नाम की सताइश करूँगा।
रोज़ाना मैं तेरी तमजीद करूँगा, हमेशा तक तेरे नाम की हम्द करूँगा।
रब अज़ीम और बड़ी तारीफ़ के लायक़ है। उस की अज़मत इनसान की समझ से बाहर है।
एक पुश्त अगली पुश्त के सामने वह कुछ सराहे जो तूने किया है, वह दूसरों को तेरे ज़बरदस्त काम सुनाएँ।
मैं तेरे शानदार जलाल की अज़मत और तेरे मोजिज़ों में महवे-ख़याल रहूँगा।
लोग तेरे हैबतनाक कामों की क़ुदरत पेश करें, और मैं भी तेरी अज़मत बयान करूँगा।
वह जोश से तेरी बड़ी भलाई को सराहें और ख़ुशी से तेरी रास्ती की मद्हसराई करें।
रब मेहरबान और रहीम है। वह तहम्मुल और शफ़क़त से भरपूर है।
रब सबके साथ भलाई करता है, वह अपनी तमाम मख़लूक़ात पर रहम करता है।
 
10 ऐ रब, तेरी तमाम मख़लूक़ात तेरा शुक्र करें। तेरे ईमानदार तेरी तमजीद करें।
11 वह तेरी बादशाही के जलाल पर फ़ख़र करें और तेरी क़ुदरत बयान करें
12 ताकि आदमज़ाद तेरे क़वी कामों और तेरी बादशाही की जलाली शानो-शौकत से आगाह हो जाएँ।
13 तेरी बादशाही की कोई इंतहा नहीं, और तेरी सलतनत पुश्त-दर-पुश्त हमेशा तक क़ायम रहेगी।
 
14 रब तमाम गिरनेवालों का सहारा है। जो भी दब जाए उसे वह उठा खड़ा करता है।
15 सबकी आँखें तेरे इंतज़ार में रहती हैं, और तू हर एक को वक़्त पर उसका खाना मुहैया करता है।
16 तू अपनी मुट्ठी खोलकर हर जानदार की ख़ाहिश पूरी करता है।
17 रब अपनी तमाम राहों में रास्त और अपने तमाम कामों में वफ़ादार है।
18 रब उन सबके क़रीब है जो उसे पुकारते हैं, जो दियानतदारी से उसे पुकारते हैं।
19 जो उसका ख़ौफ़ मानें उनकी आरज़ू वह पूरी करता है। वह उनकी फ़रियादें सुनकर उनकी मदद करता है।
20 रब उन सबको महफ़ूज़ रखता है जो उसे प्यार करते हैं, लेकिन बेदीनों को वह हलाक करता है।
 
21 मेरा मुँह रब की तारीफ़ बयान करे, तमाम मख़लूक़ात हमेशा तक उसके मुक़द्दस नाम की सताइश करें।