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मख़लूक़ात का ताज
1 दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : गित्तीत।
ऐ रब हमारे आक़ा, तेरा नाम पूरी दुनिया में कितना शानदार है! तूने आसमान पर ही अपना जलाल ज़ाहिर कर दिया है।
2 अपने मुख़ालिफ़ों के जवाब में तूने छोटे बच्चों और शीरख़ारों की ज़बान को तैयार किया है ताकि वह तेरी क़ुव्वत से दुश्मन और कीनापरवर को ख़त्म करें।
3 जब मैं तेरे आसमान का मुलाहज़ा करता हूँ जो तेरी उँगलियों का काम है, चाँद और सितारों पर ग़ौर करता हूँ जिनको तूने अपनी अपनी जगह पर क़ायम किया
4 तो इनसान कौन है कि तू उसे याद करे या आदमज़ाद कि तू उसका ख़याल रखे?
5 तूने उसे फ़रिश्तों से कुछ ही कम बनाया, तूने उसे जलाल और इज़्ज़त का ताज पहनाया।
6 तूने उसे अपने हाथों के कामों पर मुक़र्रर किया, सब कुछ उसके पाँवों के नीचे कर दिया,
7 ख़ाह भेड़-बकरियाँ हों ख़ाह गाय-बैल, जंगली जानवर,
8 परिंदे, मछलियाँ या समुंदरी राहों पर चलनेवाले बाक़ी तमाम जानवर।
9 ऐ रब हमारे आक़ा, पूरी दुनिया में तेरा नाम कितना शानदार है!