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रूबिन की औलाद
इसराईल का पहलौठा रूबिन था। लेकिन चूँकि उसने अपने बाप की दाश्ता से हमबिसतर होने से बाप की बेहुरमती की थी इसलिए पहलौठे का मौरूसी हक़ उसके भाई यूसुफ़ के बेटों को दिया गया। इसी वजह से नसबनामे में रूबिन को पहलौठे की हैसियत से बयान नहीं किया गया। यहूदाह दीगर भाइयों की निसबत ज़्यादा ताक़तवर था, और उससे क़ौम का बादशाह निकला। तो भी यूसुफ़ को पहलौठे का मौरूसी हक़ हासिल था।
इसराईल के पहलौठे रूबिन के चार बेटे हनूक, फ़ल्लू, हसरोन और करमी थे।
योएल के हाँ समायाह पैदा हुआ, समायाह के जूज, जूज के सिमई, सिमई के मीकाह, मीकाह के रियायाह, रियायाह के बाल और बाल के बईरा। बईरा को असूर के बादशाह तिग्लत-पिलेसर ने जिलावतन कर दिया। बईरा रूबिन के क़बीले का सरपरस्त था। उनके नसबनामे में उसके भाई उनके ख़ानदानों के मुताबिक़ दर्ज किए गए हैं, सरे-फ़हरिस्त यइयेल, फिर ज़करियाह और बाला बिन अज़ज़ बिन समा बिन योएल।
रूबिन का क़बीला अरोईर से लेकर नबू और बाल-मऊन तक के इलाक़े में आबाद हुआ। मशरिक़ की तरफ़ वह उस रेगिस्तान के किनारे तक फैल गए जो दरियाए-फ़ुरात से शुरू होता है। क्योंकि जिलियाद में उनके रेवड़ों की तादाद बहुत बढ़ गई थी।
10 साऊल के ऐयाम में उन्होंने हाजिरियों से लड़कर उन्हें हलाक कर दिया और ख़ुद उनकी आबादियों में रहने लगे। यों जिलियाद के मशरिक़ का पूरा इलाक़ा रूबिन के क़बीले की मिलकियत में आ गया।
जद की औलाद
11 जद का क़बीला रूबिन के क़बीले के पड़ोसी मुल्क बसन में सलका तक आबाद था। 12 उसका सरबराह योएल था, फिर साफ़म, यानी और साफ़त। वह सब बसन में आबाद थे। 13 उनके भाई उनके ख़ानदानों समेत मीकाएल, मसुल्लाम, सबा, यूरी, याकान, ज़ीअ और इबर थे। 14 यह सात आदमी अबीख़ैल बिन हूरी बिन यारूह बिन जिलियाद बिन मीकाएल बिन यसीसी बिन यहदू बिन बूज़ के बेटे थे। 15 अख़ी बिन अबदियेल बिन जूनी इन ख़ानदानों का सरपरस्त था।
16 जद का क़बीला जिलियाद और बसन के इलाक़ों की आबादियों में आबाद था। शारून से लेकर सरहद तक की पूरी चरागाहें भी उनके क़ब्ज़े में थीं। 17 यह तमाम ख़ानदान यहूदाह के बादशाह यूताम और इसराईल के बादशाह यरुबियाम के ज़माने में नसबनामे में दर्ज किए गए।
दरियाए-यरदन के मशरिक़ में क़बीलों की जंग
18 रूबिन, जद और मनस्सी के आधे क़बीले के 44,760 फ़ौजी थे। सब लड़ने के क़ाबिल और तजरबाकार आदमी थे, ऐसे लोग जो तीर चला सकते और ढाल और तलवार से लैस थे। 19 उन्होंने हाजिरियों, यतूर, नफ़ीस और नोदब से जंग की। 20 लड़ते वक़्त उन्होंने अल्लाह से मदद के लिए फ़रियाद की, तो उसने उनकी सुनकर हाजिरियों को उनके इत्तहादियों समेत उनके हवाले कर दिया। 21 उन्होंने उनसे बहुत कुछ लूट लिया : 50,000 ऊँट, 2,50,000 भेड़-बकरियाँ और 2,000 गधे। साथ साथ उन्होंने 1,00,000 लोगों को क़ैद भी कर लिया। 22 मैदाने-जंग में बेशुमार दुश्मन मारे गए, क्योंकि जंग अल्लाह की थी। जब तक इसराईलियों को असूर में जिलावतन न कर दिया गया वह इस इलाक़े में आबाद रहे।
मनस्सी का आधा क़बीला
23 मनस्सी का आधा क़बीला बहुत बड़ा था। उसके लोग बसन से लेकर बाल-हरमून और सनीर यानी हरमून के पहाड़ी सिलसिले तक फैल गए। 24 उनके ख़ानदानी सरपरस्त इफ़र, यिसई, इलियेल, अज़रियेल, यरमियाह, हूदावियाह और यहदियेल थे। सब माहिर फ़ौजी, मशहूर आदमी और ख़ानदानी सरबराह थे।
मशरिक़ी क़बीलों की जिलावतनी
25 लेकिन यह मशरिक़ी क़बीले अपने बापदादा के ख़ुदा से बेवफ़ा हो गए। वह ज़िना करके मुल्क के उन अक़वाम के देवताओं के पीछे लग गए जिनको अल्लाह ने उनके आगे से मिटा दिया था। 26 यह देखकर इसराईल के ख़ुदा ने असूर के बादशाह तिग्लत-पिलेसर को उनके ख़िलाफ़ बरपा किया जिसने रूबिन, जद और मनस्सी के आधे क़बीले को जिलावतन कर दिया। वह उन्हें ख़लह, दरियाए-ख़ाबूर, हारा और दरियाए-जौज़ान को ले गया जहाँ वह आज तक आबाद हैं।