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रहुबियाम को इसराईल से लड़ने की इजाज़त नहीं मिलती
जब रहुबियाम यरूशलम पहुँचा तो उसने यहूदाह और बिनयमीन के क़बीलों के चीदा चीदा फ़ौजियों को इसराईल से जंग करने के लिए बुलाया। 1,80,000 मर्द जमा हुए ताकि रहुबियाम के लिए इसराईल पर दुबारा क़ाबू पाएँ। लेकिन ऐन उस वक़्त मर्दे-ख़ुदा समायाह को रब की तरफ़ से पैग़ाम मिला, “यहूदाह के बादशाह रहुबियाम बिन सुलेमान और यहूदाह और बिनयमीन के तमाम अफ़राद को इत्तला दे, ‘रब फ़रमाता है कि अपने भाइयों से जंग मत करना। हर एक अपने अपने घर वापस चला जाए, क्योंकि जो कुछ हुआ है वह मेरे हुक्म पर हुआ है’।”
तब वह रब की सुनकर यरुबियाम से लड़ने से बाज़ आए।
रहुबियाम की क़िलाबंदी
रहुबियाम का दारुल-हुकूमत यरूशलम रहा। यहूदाह में उसने ज़ैल के शहरों की क़िलाबंदी की : बैत-लहम, ऐताम, तक़ुअ, बैत-सूर, सोका, अदुल्लाम, जात, मरेसा, ज़ीफ़, अदूराईम, लकीस, अज़ीक़ा, 10 सुरआ, ऐयालोन और हबरून। यहूदाह और बिनयमीन के इन क़िलाबंद शहरों को 11 मज़बूत करके रहुबियाम ने हर शहर पर अफ़सर मुक़र्रर किए। उनमें उसने ख़ुराक, ज़ैतून के तेल और मै का ज़ख़ीरा कर लिया 12 और साथ साथ उनमें ढालें और नेज़े भी रखे। इस तरह उसने उन्हें बहुत मज़बूत बनाकर यहूदाह और बिनयमीन पर अपनी हुकूमत महफ़ूज़ कर ली।
इमाम और लावी यहूदाह में मुंतक़िल हो जाते हैं
13 गो इमाम और लावी तमाम इसराईल में बिखरे रहते थे तो भी उन्होंने रहुबियाम का साथ दिया। 14 अपनी चरागाहों और मिलकियत को छोड़कर वह यहूदाह और यरूशलम में आबाद हुए, क्योंकि यरुबियाम और उसके बेटों ने उन्हें इमाम की हैसियत से रब की ख़िदमत करने से रोक दिया था। 15 उनकी जगह उसने अपने ज़ाती इमाम मुक़र्रर किए जो ऊँची जगहों पर के मंदिरों को सँभालते हुए बकरे के देवताओं और बछड़े के बुतों की ख़िदमत करते थे। 16 लावियों की तरह तमाम क़बीलों के बहुत-से ऐसे लोग यहूदाह में मुंतक़िल हुए जो पूरे दिल से रब इसराईल के ख़ुदा के तालिब रहे थे। वह यरूशलम आए ताकि रब अपने बापदादा के ख़ुदा को क़ुरबानियाँ पेश कर सकें। 17 यहूदाह की सलतनत ने ऐसे लोगों से तक़वियत पाई। वह रहुबियाम बिन सुलेमान के लिए तीन साल तक मज़बूती का सबब थे, क्योंकि तीन साल तक यहूदाह दाऊद और सुलेमान के अच्छे नमूने पर चलता रहा।
रहुबियाम का ख़ानदान
18 रहुबियाम की शादी महलत से हुई जो यरीमोत और अबीख़ैल की बेटी थी। यरीमोत दाऊद का बेटा और अबीख़ैल इलियाब बिन यस्सी की बेटी थी। 19 महलत के तीन बेटे यऊस, समरियाह और ज़हम पैदा हुए। 20 बाद में रहुबियाम की माका बिंत अबीसलूम से शादी हुई। इस रिश्ते से चार बेटे अबियाह, अत्ती, ज़ीज़ा और सलूमीत पैदा हुए। 21 रहुबियाम की 18 बीवियाँ और 60 दाश्ताएँ थीं। इनके कुल 28 बेटे और 60 बेटियाँ पैदा हुईं। लेकिन माका बिंत अबीसलूम रहुबियाम को सबसे ज़्यादा प्यारी थी। 22 उसने माका के पहलौठे अबियाह को उसके भाइयों का सरबराह बना दिया और मुक़र्रर किया कि यह बेटा मेरे बाद बादशाह बनेगा। 23 रहुबियाम ने अपने बेटों से बड़ी समझदारी के साथ सुलूक किया, क्योंकि उसने उन्हें अलग अलग करके यहूदाह और बिनयमीन के पूरे क़बायली इलाक़े और तमाम क़िलाबंद शहरों में बसा दिया। साथ साथ वह उन्हें कसरत की ख़ुराक और बीवियाँ मुहैया करता रहा।