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जब अबियाह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में दफ़नाया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। फिर उसका बेटा आसा तख़्तनशीन हुआ।
यहूदाह का बादशाह आसा
आसा की हुकूमत के तहत मुल्क में 10 साल तक अमनो-अमान क़ायम रहा। आसा वह कुछ करता रहा जो रब उसके ख़ुदा के नज़दीक अच्छा और ठीक था। उसने अजनबी माबूदों की क़ुरबानगाहों को ऊँची जगहों के मंदिरों समेत गिराकर देवताओं के लिए मख़सूस किए गए सतूनों को टुकड़े टुकड़े कर दिया और यसीरत देवी के खंबे काट डाले। साथ साथ उसने यहूदाह के बाशिंदों को हिदायत दी कि वह रब अपने बापदादा के ख़ुदा के तालिब हों और उसके अहकाम के ताबे रहें। यहूदाह के तमाम शहरों से उसने बख़ूर की क़ुरबानगाहें और ऊँची जगहों के मंदिर दूर कर दिए। चुनाँचे उस की हुकूमत के दौरान बादशाही में सुकून रहा।
अमनो-अमान के इन सालों के दौरान आसा यहूदाह में कई शहरों की क़िलाबंदी कर सका। जंग का ख़तरा नहीं था, क्योंकि रब ने उसे सुकून मुहैया किया। बादशाह ने यहूदाह के बाशिंदों से कहा, “आएँ, हम इन शहरों की क़िलाबंदी करें! हम इनके इर्दगिर्द फ़सीलें बनाकर उन्हें बुर्जों, दरवाज़ों और कुंडों से मज़बूत करें। क्योंकि अब तक मुल्क हमारे हाथ में है। चूँकि हम रब अपने ख़ुदा के तालिब रहे हैं इसलिए उसने हमें चारों तरफ़ सुलह-सलामती मुहैया की है।” चुनाँचे क़िलाबंदी का काम शुरू हुआ बल्कि तकमील तक पहुँच सका।
एथोपिया पर फ़तह
आसा की फ़ौज में बड़ी ढालों और नेज़ों से लैस यहूदाह के 3,00,000 अफ़राद थे। इसके अलावा छोटी ढालों और कमानों से मुसल्लह बिनयमीन के 2,80,000 अफ़राद थे। सब तजरबाकार फ़ौजी थे।
एक दिन एथोपिया के बादशाह ज़ारह ने यहूदाह पर हमला किया। उसके बेशुमार फ़ौजी और 300 रथ थे। बढ़ते बढ़ते वह मरेसा तक पहुँच गया। 10 आसा उसका मुक़ाबला करने के लिए निकला। वादीए-सफ़ाता में दोनों फ़ौजें लड़ने के लिए सफ़आरा हुईं। 11 आसा ने रब अपने ख़ुदा से इलतमास की, “ऐ रब, सिर्फ़ तू ही बेबसों को ताक़तवरों के हमलों से महफ़ूज़ रख सकता है। ऐ रब हमारे ख़ुदा, हमारी मदद कर! क्योंकि हम तुझ पर भरोसा रखते हैं। तेरा ही नाम लेकर हम इस बड़ी फ़ौज का मुक़ाबला करने के लिए निकले हैं। ऐ रब, तू ही हमारा ख़ुदा है। ऐसा न होने दे कि इनसान तेरी मरज़ी की ख़िलाफ़वरज़ी करने में कामयाब हो जाए।”
12 तब रब ने आसा और यहूदाह के देखते देखते दुश्मन को शिकस्त दी। एथोपिया के फ़ौजी फ़रार हुए, 13 और आसा ने अपने फ़ौजियों के साथ जिरार तक उनका ताक़्क़ुब किया। दुश्मन के इतने अफ़राद हलाक हुए कि उस की फ़ौज बाद में बहाल न हो सकी। रब ख़ुद और उस की फ़ौज ने दुश्मन को तबाह कर दिया था। यहूदाह के मर्दों ने बहुत-सा माल लूट लिया। 14 वह जिरार के इर्दगिर्द के शहरों पर भी क़ब्ज़ा करने में कामयाब हुए, क्योंकि मक़ामी लोगों में रब की दहशत फैल गई थी। नतीजे में इन शहरों से भी बहुत-सा माल छीन लिया गया। 15 इस मुहिम के दौरान उन्होंने गल्लाबानों की ख़ैमागाहों पर भी हमला किया और उनसे कसरत की भेड़-बकरियाँ और ऊँट लूटकर अपने साथ यरूशलम ले आए।