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1 जब यहूसफ़त मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़न किया गया। फिर उसका बेटा यहूराम तख़्तनशीन हुआ।
यहूदाह का बादशाह यहूराम
2 यहूसफ़त के बाक़ी बेटे अज़रियाह, यहियेल, ज़करियाह, अज़रियाहू, मीकाएल और सफ़तियाह थे।
3 यहूसफ़त ने उन्हें बहुत सोना-चाँदी और दीगर क़ीमती चीज़ें देकर यहूदाह के क़िलाबंद शहरों पर मुक़र्रर किया था। लेकिन यहूराम को उसने पहलौठा होने के बाइस अपना जा-नशीन बनाया था।
4 बादशाह बनने के बाद जब यहूदाह की हुकूमत मज़बूती से उसके हाथ में थी तो यहूराम ने अपने तमाम भाइयों को यहूदाह के कुछ राहनुमाओं समेत क़त्ल कर दिया।
5 यहूराम 32 साल की उम्र में बादशाह बना, और वह यरूशलम में रहकर 8 साल तक हुकूमत करता रहा।
6 उस की शादी इसराईल के बादशाह अख़ियब की बेटी से हुई थी, और वह इसराईल के बादशाहों और ख़ासकर अख़ियब के ख़ानदान के बुरे नमूने पर चलता रहा। उसका चाल-चलन रब को नापसंद था।
7 तो भी वह दाऊद के घराने को तबाह नहीं करना चाहता था, क्योंकि उसने दाऊद से अहद बाँधकर वादा किया था कि तेरा और तेरी औलाद का चराग़ हमेशा तक जलता रहेगा।
8 यहूराम की हुकूमत के दौरान अदोमियों ने बग़ावत की और यहूदाह की हुकूमत को रद्द करके अपना बादशाह मुक़र्रर किया।
9 तब यहूराम अपने अफ़सरों और तमाम रथों को लेकर उनके पास पहुँचा। जब जंग छिड़ गई तो अदोमियों ने उसे और उसके रथों पर मुक़र्रर अफ़सरों को घेर लिया, लेकिन रात को बादशाह घेरनेवालों की सफ़ों को तोड़ने में कामयाब हो गया।
10 तो भी मुल्के-अदोम आज तक दुबारा यहूदाह की हुकूमत के तहत नहीं आया। उसी वक़्त लिबना शहर भी सरकश होकर ख़ुदमुख़तार हो गया। यह सब कुछ इसलिए हुआ कि यहूराम ने रब अपने बापदादा के ख़ुदा को तर्क कर दिया था,
11 यहाँ तक कि उसने यहूदाह के पहाड़ी इलाक़े में कई ऊँची जगहों पर मंदिर बनवाए और यरूशलम के बाशिंदों को रब से बेवफ़ा हो जाने पर उकसाया। पूरे यहूदाह को वह बुतपरस्ती की ग़लत राह पर ले आया।
12 तब यहूराम को इलियास नबी से ख़त मिला जिसमें लिखा था, “रब आपके बाप दाऊद का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘तू अपने बाप यहूसफ़त और अपने दादा आसा बादशाह के अच्छे नमूने पर नहीं चला
13 बल्कि इसराईल के बादशाहों की ग़लत राहों पर। बिलकुल अख़ियब के ख़ानदान की तरह तू यरूशलम और पूरे यहूदाह के बाशिंदों को बुतपरस्ती की राह पर लाया है। और यह तेरे लिए काफ़ी नहीं था, बल्कि तूने अपने सगे भाइयों को भी जो तुझसे बेहतर थे क़त्ल कर दिया।
14 इसलिए रब तेरी क़ौम, तेरे बेटों और तेरी बीवियों को तेरी पूरी मिलकियत समेत बड़ी मुसीबत में डालने को है।
15 तू ख़ुद बीमार हो जाएगा। लाइलाज मरज़ की ज़द में आकर तुझे बड़ी देर तक तकलीफ़ होगी। आख़िरकार तेरी अंतड़ियाँ जिस्म से निकलेंगी’।”
16 उन दिनों में रब ने फ़िलिस्तियों और एथोपिया के पड़ोस में रहनेवाले अरब क़बीलों को यहूराम पर हमला करने की तहरीक दी।
17 यहूदाह में घुसकर वह यरूशलम तक पहुँच गए और बादशाह के महल को लूटने में कामयाब हुए। तमाम मालो-असबाब के अलावा उन्होंने बादशाह के बेटों और बीवियों को भी छीन लिया। सिर्फ़ सबसे छोटा बेटा यहुआख़ज़ यानी अख़ज़ियाह बच निकला।
18 इसके बाद रब का ग़ज़ब बादशाह पर नाज़िल हुआ। उसे लाइलाज बीमारी लग गई जिससे उस की अंतड़ियाँ मुतअस्सिर हुईं।
19 बादशाह की हालत बहुत ख़राब होती गई। दो साल के बाद अंतड़ियाँ जिस्म से निकल गईं। यहूराम शदीद दर्द की हालत में कूच कर गया। जनाज़े पर उस की क़ौम ने उसके एहतराम में लकड़ी का बड़ा ढेर न जलाया, गो उन्होंने यह उसके बापदादा के लिए किया था।
20 यहूराम 32 साल की उम्र में बादशाह बना और यरूशलम में रहकर 8 साल तक हुकूमत करता रहा था। जब फ़ौत हुआ तो किसी को भी अफ़सोस न हुआ। उसे यरूशलम शहर के उस हिस्से में दफ़न तो किया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है, लेकिन शाही क़ब्रों में नहीं।