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हन्ना का गीत
1 वहाँ हन्ना ने यह गीत गाया,
“मेरा दिल रब की ख़ुशी मनाता है, क्योंकि उसने मुझे क़ुव्वत अता की है। मेरा मुँह दिलेरी से अपने दुश्मनों के ख़िलाफ़ बात करता है, क्योंकि मैं तेरी नजात के बाइस बाग़ बाग़ हूँ।
2 रब जैसा क़ुद्दूस कोई नहीं है, तेरे सिवा कोई नहीं है। हमारे ख़ुदा जैसी कोई चट्टान नहीं है।
3 डींगें मारने से बाज़ आओ! गुस्ताख़ बातें मत बको! क्योंकि रब ऐसा ख़ुदा है जो सब कुछ जानता है, वह तमाम आमाल को तोलकर परखता है।
4 अब बड़ों की कमानें टूट गई हैं जबकि गिरनेवाले क़ुव्वत से कमरबस्ता हो गए हैं।
5 जो पहले सेर थे वह रोटी मिलने के लिए मज़दूरी करते हैं जबकि जो पहले भूके थे वह सेर हो गए हैं। बेऔलाद औरत के सात बच्चे पैदा हुए हैं जबकि वाफ़िर बच्चों की माँ मुरझा रही है।
6 रब एक को मरने देता और दूसरे को ज़िंदा होने देता है। वह एक को पाताल में उतरने देता और दूसरे को वहाँ से निकल आने देता है।
7 रब ही ग़रीब और अमीर बना देता है, वही पस्त करता और वही सरफ़राज़ करता है।
8 वह ख़ाक में दबे आदमी को खड़ा करता है और राख में लेटे ज़रूरतमंद को सरफ़राज़ करता है, फिर उन्हें रईसों के साथ इज़्ज़त की कुरसी पर बिठा देता है। क्योंकि दुनिया की बुनियादें रब की हैं, और उसी ने उन पर ज़मीन रखी है।
9 वह अपने वफ़ादार पैरोकारों के पाँव महफ़ूज़ रखेगा जबकि शरीर तारीकी में चुप हो जाएंगे। क्योंकि इनसान अपनी ताक़त से कामयाब नहीं होता।
10 जो रब से लड़ने की जुर्रत करें वह पाश पाश हो जाएंगे। रब आसमान से उनके ख़िलाफ़ गरजकर दुनिया की इंतहा तक सबकी अदालत करेगा। वह अपने बादशाह को तक़वियत और अपने मसह किए हुए ख़ादिम को क़ुव्वत अता करेगा।”
11 फिर इलक़ाना और हन्ना रामा में अपने घर वापस चले गए। लेकिन उनका बेटा एली इमाम के पास रहा और मक़दिस में रब की ख़िदमत करने लगा।
एली के बेटों की बेदीन ज़िंदगी
12 लेकिन एली के बेटे बदमाश थे। न वह रब को जानते थे,
13 न इमाम की हैसियत से अपने फ़रायज़ सहीह तौर पर अदा करते थे। क्योंकि जब भी कोई आदमी अपनी क़ुरबानी पेश करके रिफ़ाक़ती खाने के लिए गोश्त उबालता तो एली के बेटे अपने नौकर को वहाँ भेज देते। यह नौकर सिहशाख़ा काँटा
14 देग में डालकर गोश्त का हर वह टुकड़ा अपने मालिकों के पास ले जाता जो काँटे से लग जाता। यही उनका तमाम इसराईलियों के साथ सुलूक था जो सैला में क़ुरबानियाँ चढ़ाने आते थे।
15 न सिर्फ़ यह बल्कि कई बार नौकर उस वक़्त भी आ जाता जब जानवर की चरबी अभी क़ुरबानगाह पर जलानी होती थी। फिर वह तक़ाज़ा करता, “मुझे इमाम के लिए कच्चा गोश्त दे दो! उसे उबला गोश्त मंज़ूर नहीं बल्कि सिर्फ़ कच्चा गोश्त, क्योंकि वह उसे भूनना चाहता है।”
16 क़ुरबानी पेश करनेवाला एतराज़ करता, “पहले तो रब के लिए चरबी जलाना है, इसके बाद ही जो जी चाहे ले लें।” फिर नौकर बदतमीज़ी करता, “नहीं, उसे अभी दे दो, वरना मैं ज़बरदस्ती ले लूँगा।”
17 इन जवान इमामों का यह गुनाह रब की नज़र में निहायत संगीन था, क्योंकि वह रब की क़ुरबानियाँ हक़ीर जानते थे।
माँ-बाप समुएल से मिलने आते हैं
18 लेकिन छोटा समुएल रब के हुज़ूर ख़िदमत करता रहा। उसे भी दूसरे इमामों की तरह कतान का बालापोश दिया गया था।
19 हर साल जब उस की माँ ख़ाविंद के साथ क़ुरबानी पेश करने के लिए सैला आती तो वह नया चोग़ा सीकर उसे दे देती।
20 और रवाना होने से पहले एली समुएल के माँ-बाप को बरकत देकर इलक़ाना से कहता, “हन्ना ने रब से बच्चा माँग लिया और जब मिला तो उसे रब को वापस कर दिया। अब रब आपको इस बच्चे की जगह मज़ीद बच्चे दे।” इसके बाद वह अपने घर चले जाते।
21 और वाक़ई, रब ने हन्ना को मज़ीद तीन बेटे और दो बेटियाँ अता कीं। यह बच्चे घर में रहे, लेकिन समुएल रब के हुज़ूर ख़िदमत करते करते जवान हो गया।
एली के बेटे बाप की नहीं सुनते
22 एली उस वक़्त बहुत बूढ़ा हो चुका था। बेटों का तमाम इसराईल के साथ बुरा सुलूक उसके कानों तक पहुँच गया था, बल्कि यह भी कि बेटे उन औरतों से नाजायज़ ताल्लुक़ात रखते हैं जो मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर ख़िदमत करती हैं।
23 उसने उन्हें समझाया भी था, “आप ऐसी हरकतें क्यों कर रहे हैं? मुझे तमाम लोगों से आपके शरीर कामों की ख़बरें मिलती रहती हैं।
24 बेटो, ऐसा मत करना! जो बातें आपके बारे में रब की क़ौम में फैल गई हैं वह अच्छी नहीं।
25 देखें, अगर इनसान किसी दूसरे इनसान का गुनाह करे तो हो सकता है अल्लाह दोनों का दरमियानी बनकर क़ुसूरवार शख़्स पर रहम करे। लेकिन अगर कोई रब का गुनाह करे तो फिर कौन उसका दरमियानी बनकर उसे बचाएगा?”
लेकिन एली के बेटों ने बाप की न सुनी, क्योंकि रब की मरज़ी थी कि उन्हें सज़ाए-मौत मिल जाए।
26 लेकिन समुएल उनसे फ़रक़ था। जितना वह बड़ा होता गया उतनी उस की रब और इनसान के सामने क़बूलियत बढ़ती गई।
एली के घराने को सज़ा मिलने की पेशगोई
27 एक दिन एक नबी एली के पास आया और कहा, “रब फ़रमाता है, ‘क्या जब तेरा बाप हारून और उसका घराना मिसर के बादशाह के ग़ुलाम थे तो मैंने अपने आपको उस पर ज़ाहिर न किया?
28 गो इसराईल के बारह क़बीले थे लेकिन मैंने मुक़र्रर किया कि उसी के घराने के मर्द मेरे इमाम बनकर क़ुरबानगाह के सामने ख़िदमत करें, बख़ूर जलाएँ और मेरे हुज़ूर इमाम का बालापोश पहनें। साथ साथ मैंने उन्हें क़ुरबानगाह पर जलनेवाली क़ुरबानियों का एक हिस्सा मिलने का हक़ दे दिया।
29 तो फिर तुम लोग ज़बह और ग़ल्ला की वह क़ुरबानियाँ हक़ीर क्यों जानते हो जो मुझे ही पेश की जाती हैं और जो मैंने अपनी सुकूनतगाह के लिए मुक़र्रर की थीं? एली, तू अपने बेटों का मुझसे ज़्यादा एहतराम करता है। तुम तो मेरी क़ौम इसराईल की हर क़ुरबानी के बेहतरीन हिस्से खा खाकर मोटे हो गए हो।’
30 चुनाँचे रब जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, वादा तो मैंने किया था कि लावी के क़बीले का तेरा घराना हमेशा ही इमाम की ख़िदमत सरंजाम देगा। लेकिन अब मैं एलान करता हूँ कि ऐसा कभी नहीं होगा! क्योंकि जो मेरा एहतराम करते हैं उनका मैं एहतराम करूँगा, लेकिन जो मुझे हक़ीर जानते हैं उन्हें हक़ीर जाना जाएगा।
31 इसलिए सुन! ऐसे दिन आ रहे हैं जब मैं तेरी और तेरे घराने की ताक़त यों तोड़ डालूँगा कि घर का कोई भी बुज़ुर्ग नहीं पाया जाएगा।
32 और तू मक़दिस में मुसीबत देखेगा हालाँकि मैं इसराईल के साथ भलाई करता रहूँगा। तेरे घर में कभी भी बुज़ुर्ग नहीं पाया जाएगा।
33 मैं तुममें से हर एक को तो अपनी ख़िदमत से निकालकर हलाक नहीं करूँगा जब तेरी आँखें धुँधली-सी पड़ जाएँगी और तेरी जान हलकान हो जाएगी। लेकिन तेरी तमाम औलाद ग़ैरतबई मौत मरेगी।
34 तेरे बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास दोनों एक ही दिन हलाक हो जाएंगे। इस निशान से तुझे यक़ीन आएगा कि जो कुछ मैंने फ़रमाया है वह सच है।
35 तब मैं अपने लिए एक इमाम खड़ा करूँगा जो वफ़ादार रहेगा। जो भी मेरा दिल और मेरी जान चाहेगी वही वह करेगा। मैं उसके घर की मज़बूत बुनियादें रखूँगा, और वह हमेशा तक मेरे मसह किए हुए ख़ादिम के हुज़ूर आता जाता रहेगा।
36 उस वक़्त तेरे घर के बचे हुए तमाम अफ़राद उस इमाम के सामने झुक जाएंगे और पैसे और रोटी माँगकर इलतमास करेंगे, ‘मुझे इमाम की कोई न कोई ज़िम्मादारी दें ताकि रोटी का टुकड़ा मिल जाए’।”